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Join NowHariyali Teej 2025 date: देवाधिदेव महादेव को समर्पित श्रावण या सावन का पवित्र महीना अपने साथ न केवल रिमझिम फुहारें और प्रकृति में छाई हरियाली लाता है, बल्कि प्रेम, आस्था और उत्सवों की एक पूरी श्रृंखला भी लेकर आता है। इन्हीं उत्सवों में से एक, जो सुहागिन स्त्रियों के लिए महत्वपूर्ण है, वह है हरियाली तीज। सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला यह त्योहार इस वर्ष 27 जुलाई, 2025 को है।
यह पर्व मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन माता पार्वती ने कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए, सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के साथ यह व्रत रखती हैं। वहीं, अविवाहित कन्याएं भी मनचाहे और सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए पूरी श्रद्धा से इस व्रत का पालन करती हैं।
हरियाली तीज का व्रत केवल अन्न-जल त्यागने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके कुछ कठोर और आवश्यक नियम हैं, जिनका पालन करने से ही व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। यदि आप भी इस वर्ष हरियाली तीज का व्रत करने की तैयारी कर रही हैं, तो इन नियमों को विस्तार से जान लें।
हरियाली तीज व्रत के 10 महत्वपूर्ण नियम (Hariyali Teej Vrat Rules)
1. निर्जला व्रत का संकल्प: हरियाली तीज का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है क्योंकि यह निर्जला रखा जाता है। इसका अर्थ है कि व्रत के संकल्प से लेकर अगले दिन पारण तक अन्न और जल, किसी भी चीज का सेवन नहीं किया जाता है। हालांकि, गर्भवती स्त्रियाँ या जो किसी स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं, वे अपनी क्षमता के अनुसार फलाहार व्रत भी कर सकती हैं।
2. हरे रंग का विशेष महत्व: जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, “हरियाली तीज” में हरे रंग का विशेष महत्व है। हरा रंग सौभाग्य, समृद्धि, प्रकृति और सावन के महीने का प्रतीक है। इस दिन महिलाओं को हरे रंग के वस्त्र, विशेषकर हरी साड़ी या लहंगा और हरी चूड़ियाँ अवश्य पहननी चाहिए।
3. माता पार्वती को सोलह श्रृंगार अर्पण: यह दिन श्रृंगार का भी दिन है। महिलाएँ स्वयं सजने-संवरने के साथ-साथ माता पार्वती को सोलह श्रृंगार (Solah Shringar) की सभी वस्तुएं अर्पित करती हैं। इसमें कुमकुम, सिंदूर, लाल चुनरी, मेहंदी, महावर (आलता), बिंदी, चूड़ियां, पायल, इत्र आदि शामिल होते हैं। यह अखंड सौभाग्य का प्रतीक है।
4. क्रोध और नकारात्मकता से दूरी: व्रत का अर्थ केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक शुद्धि भी है। व्रत के दौरान अपने मन में किसी के प्रति क्रोध, ईर्ष्या, घृणा या कोई भी नकारात्मक विचार न आने दें। किसी से झूठ न बोलें और घर में शांति का माहौल बनाए रखें।
5. व्रत कथा का पाठ अनिवार्य: हरियाली तीज की पूजा के समय व्रत कथा का पाठ करना या सुनना अनिवार्य माना गया है। कथा के माध्यम से ही व्रत का महत्व और भगवान शिव-पार्वती की महिमा का पता चलता है, जिसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
6. शिव-पार्वती का ध्यान: व्रत के दौरान सांसारिक बातों से मन हटाकर अपना अधिक से अधिक समय भगवान शिव और माता पार्वती के ध्यान और भजन-कीर्तन में लगाना चाहिए। ‘ॐ उमामहेश्वराभ्यां नमः’ जैसे मंत्रों का जाप करते रहें।
7. परनिंदा (चुगली) से बचें: किसी भी व्रत की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि आप किसी की निंदा, बुराई या चुगली न करें। इससे व्रत का पुण्य क्षीण होता है।
8. सामर्थ्य अनुसार दान-पुण्य: व्रत का पारण करने के बाद अगले दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार किसी जरूरतमंद ब्राह्मण या गरीब को दान अवश्य करना चाहिए। आप अन्न, वस्त्र, फल या श्रृंगार की वस्तुएं दान कर सकती हैं।
9. दिन में सोने की मनाही: शास्त्रों के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत करने वाली स्त्रियों को दिन के समय नहीं सोना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि दिन में सोने से व्रत का फल नहीं मिलता। अपना समय पूजा-पाठ और सत्संग में व्यतीत करना चाहिए।
10. काले रंग का प्रयोग वर्जित: हरियाली तीज एक शुभ और मांगलिक त्योहार है, इसलिए इस दिन पूजा में या पहनने के लिए काले रंग की वस्तुओं का प्रयोग करने से बचना चाहिए। यह रंग धार्मिक अनुष्ठानों में अशुभ माना जाता है।