Ashadha Month 2025:  12 जून से शुरू हो रहा है हिंदू धर्म का चौथा महीना, जानें इस माह के प्रमुख व्रत, त्योहार और महत्व

Published On: June 10, 2025
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Ashadha Month 2025: 12 जून से शुरू हो रहा है हिंदू धर्म का चौथा महीना, जानें इस माह के प्रमुख व्रत, त्योहार और महत्व
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Ashadha Month 2025: हिंदू पंचांग (Hindu Calendar) के अनुसार, तीसरा महीना ज्येष्ठ माह समाप्त होने वाला है, और जल्द ही हिंदू धर्म (Hindu Religion) का चौथा पवित्र महीना आषाढ़ माह (Ashadh Month) शुरू होने जा रहा है। आषाढ़ माह (Ashadh Maas) का धार्मिक दृष्टि (Religious Significance) से बहुत खास महत्व (Importance) माना गया है। इस पूरे महीने में विशेष रूप से सृष्टि के पालक भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और ऊर्जा व स्वास्थ्य के दाता सूर्यदेव भगवान (Lord Surya) की आराधना (Worship) करने का विधान है। इस माह में किए गए पूजा-पाठ (Puja Path) और धार्मिक अनुष्ठानों (Religious Rituals) का विशेष फल (Special Fruits) प्राप्त होता है।

आषाढ़ माह (Ashadh Month) की शुरुआत (Beginning) ज्येष्ठ पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima) के अगले दिन से होती है। साल 2025 में, आषाढ़ माह (Ashadh Month 2025) का आरंभ 11 जून, बुधवार को दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से हो जाएगा। हालांकि, हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) में उदया तिथि (Udaya Tithi – rising sun date) को प्रमुखता दी जाती है, इसलिए आषाढ़ माह (Ashadh Month) का वास्तविक और आधिकारिक आरंभ 12 जून 2025 (गुरुवार) को माना जाएगा।

इस महीने में बारिश (Monsoon) की शुरुआत होती है, जिससे प्रकृति में नई जान आती है। साथ ही, यह महीना कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहारों (Vrat Tyohar) का भी साक्षी बनता है, जिनका पालन कर भक्तगण देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस माह में सूर्यदेव (Surya Dev) को प्रतिदिन जल अर्पण (Water Offering to Sun) करना अत्यंत फलदायी माना गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से सूर्यदेव (Surya Dev) की कृपा प्राप्त होती है, स्वास्थ्य (Health) अच्छा रहता है, और मान-सम्मान (Respect) में वृद्धि होती है।

आषाढ़ माह 2025 के प्रमुख व्रत-त्योहार (Major Festivals and Fasts in Ashadh Month 2025):

आषाढ़ माह (Ashadh Month) में कई ऐसे महत्वपूर्ण पर्व और व्रत आते हैं जिनका धार्मिक और सामाजिक महत्व बहुत अधिक है। साल 2025 के आषाढ़ माह (Ashadh Month 2025) में पड़ने वाले कुछ प्रमुख व्रत-त्योहार (Vrat-Tyohar) इस प्रकार हैं:

  • 14 जून 2025 (शनिवार) – संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sankashti Ganesh Chaturthi): हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाने वाली यह तिथि भगवान गणेश (Lord Ganesh) को समर्पित है। इस दिन व्रत (Fast) रखने और चंद्रमा (Moon) को अर्घ्य (Arghya) देने से विघ्न दूर होते हैं।
  • 15 जून 2025 (रविवार) – मिथुन संक्रांति (Mithun Sankranti): इस दिन सूर्य (Sun) वृषभ राशि (Taurus) से निकलकर मिथुन राशि (Gemini) में प्रवेश करते हैं। यह सौर माह (Solar Month) की शुरुआत का प्रतीक है और ओडिशा जैसे राज्यों में इसे विशेष पर्व के रूप में मनाया जाता है।
  • 21 जून 2025 (शनिवार) – योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi): आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी (Ekadashi) को योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा और व्रत (Fast) रखने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • 23 जून 2025 (सोमवार) – प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat), मास शिवरात्रि (Masik Shivratri): प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है और माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि (Trayodashi Tithi) को रखा जाता है। मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है, इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा (Puja) का विशेष महत्व है।
  • 24 जून 2025 (मंगलवार) – रोहिणी व्रत (Rohini Vrat): यह व्रत जैन धर्म (Jainism) में मनाया जाता है।
  • 25 जून 2025 (बुधवार) – अमावस्या (Amavasya), आषाढ़ अमावस्या (Ashadh Amavasya): यह आषाढ़ माह की अमावस्या (Amavasya) होगी। इस दिन पितरों (Ancestors) का तर्पण (Tarpan) करने और पवित्र नदियों (Holy Rivers) में स्नान (Holy Bath) करने का विशेष महत्व है।
  • 26 जून 2025 (गुरुवार) – गुप्त नवरात्रि आरंभ (Gupt Navratri Arambh), चंद्र दर्शन (Chandra Darshan): आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) का आरंभ होता है। यह विशेष रूप से तांत्रिक साधनाओं (Tantric Practices) और गुप्त शक्तियों (Secret Powers) की देवी माँ दुर्गा (Maa Durga) के दस महाविद्या स्वरूपों (Ten Mahavidyas) की पूजा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन चंद्रमा (Moon) का दर्शन (Darshan) भी शुभ माना जाता है।
  • 27 जून 2025 (शुक्रवार) – जगन्नाथ रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra): यह ओडिशा (Odisha) के पुरी (Puri) में होने वाला एक विश्व प्रसिद्ध पर्व (World Famous Festival) है, जो आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि (Dwitiya Tithi) को होता है। इसमें भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath), बलभद्र (Balabhadra) और सुभद्रा (Subhadra) की विशाल मूर्तियों (Giant Idols) को रथों (Chariots) में बिठाकर यात्रा (Procession) निकाली जाती है। इसमें शामिल होने के लिए दुनिया भर से लाखों भक्त (Devotees) पुरी आते हैं।
  • 06 जुलाई 2025 (रविवार) – आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi), देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi): यह आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi) है और इसका विशेष महत्व है। इस एकादशी (Ekadashi) को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) भी कहा जाता है क्योंकि माना जाता है कि इस दिन से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) चार माह (Four Months) के लिए योग निद्रा (Yoga Nidra) में चले जाते हैं। यह चातुर्मास (Chaturmas) की शुरुआत का प्रतीक है।
  • 08 जुलाई 2025 (मंगलवार) – भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat), जया पार्वती व्रत प्रारंभ (Jaya Parvati Vrat Prarambh): भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh) तब होता है जब प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ता है। जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat) गुजरात में विवाहित और अविवाहित महिलाएं (Married and Unmarried Women) अच्छे पति और वैवाहिक सुख (Marital Bliss) के लिए रखती हैं।
  • 10 जुलाई 2025 (गुरुवार) – पूर्णिमा (Purnima), गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima), व्यास पूजा (Vyas Puja), सत्य व्रत (Satya Vrat): आषाढ़ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि (Purnima Tithi) को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के नाम से जाना जाता है। इस दिन गुरु (Guru – Teacher) और गुरुजनों (Teachers) का सम्मान किया जाता है। इसे व्यास पूजा (Vyas Puja) भी कहते हैं, जो महर्षि वेदव्यास (Maharishi Ved Vyas) को समर्पित है।

योगिनी एकादशी का महत्व (Importance of Yogini Ekadashi):

जैसा कि बताया गया है, साल 2025 में योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) का व्रत 21 जून को रखा जाएगा। इस एकादशी (Ekadashi) पर भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के साथ-साथ तुलसी जी (Tulsi Ji) की पूजा (Puja) का भी बहुत बड़ा महत्व है। मान्यता है कि योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) पर विष्णु जी (Vishnu Ji) की पूजा (Puja) तुलसी (Tulsi) के बिना अधूरी मानी जाती है। इस दिन तुलसी (Tulsi) को जल चढ़ाना और दीपक जलाना अत्यंत शुभ (Auspicious) होता है।

जगन्नाथ रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra):

जगन्नाथ रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra) का महा पर्व 27 जून 2025 (शुक्रवार) से शुरू होगा। यह यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि (Dwitiya Tithi) को पुरी (Puri), ओडिशा (Odisha) से निकलती है। इस भव्य यात्रा (Grand Procession) में शामिल होने और भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) के दर्शन (Darshan) करने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु (Devotees) पुरी पहुंचते हैं।

देवशयनी एकादशी और चातुर्मास (Devshayani Ekadashi and Chaturmas):

आषाढ़ माह (Ashadh Month) का एक और प्रमुख पर्व देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) है, जिसे आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है। यह एकादशी (Ekadashi) आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (Ekadashi Tithi) को पड़ती है, और साल 2025 में यह 6 जुलाई, रविवार को पड़ रही है। इस एकादशी (Ekadashi) से माना जाता है कि भगवान विष्णु (Lord Vishnu) चार महीने (Four Months) के लिए क्षीरसागर (Kshirsagar) में योग निद्रा (Yoga Nidra) में चले जाते हैं। यह अवधि चातुर्मास (Chaturmas) कहलाती है। चातुर्मास (Chaturmas) के इन चार महीनों (Four Months) में कोई भी शुभ कार्य (Auspicious Work) जैसे विवाह (Marriage), मुंडन (Mundan), गृह प्रवेश (Griha Pravesh) आदि करना वर्जित माना जाता है। भगवान विष्णु (Lord Vishnu) देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) पर इस निद्रा से जागते हैं, जिसके बाद ही शुभ कार्य दोबारा शुरू होते हैं।

गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima):

आषाढ़ माह (Ashadh Month) की पूर्णिमा तिथि (Purnima Tithi) को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व गुरु (Guru – Teacher), शिक्षक (Teacher) और मार्गदर्शक (Guide) के प्रति सम्मान (Respect) और कृतज्ञता (Gratitude) व्यक्त करने का दिन है। साल 2025 में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2025) 10 जुलाई, गुरुवार को पड़ेगी। इस दिन व्यास पूजा (Vyas Puja) भी होती है, जो महाभारत (Mahabharata) के रचयिता और वेदों के संकलनकर्ता महर्षि वेदव्यास (Maharishi Ved Vyas) को समर्पित है, जिन्हें आदि गुरु (Adi Guru – First Teacher) माना जाता है। आषाढ़ माह (Ashadh Month) धर्म, भक्ति और प्रकृति के सामंजस्य का महीना है। इस माह में पूजा-अर्चना (Puja Archana) करने और व्रत (Fast) रखने से विशेष पुण्य (Punya) प्राप्त होता है।

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