डेस्क। विदुर नीति : भारत में कई महान नीति निर्माता हुए हैं। भीष्म, विदुर, मनु, चार्वाक, शुक्राचार्य, बृहस्पति, परशुराम, गर्ग, चाणक्य, भर्तृहरि, हर्षवर्धन, बाणभट आदि अनेक नीतिज्ञ भी बन गए।
महात्मा विदुर उनमें से ही एक थे। विदुर धृतराष्ट्र के सौतेले भाई थे जो एक दासी के पुत्र थे तो आइए जानते हैं कि विदुरजी ने किन 5 आदतों के बारे में बताया है, जिनके कारण जीवन में अंधेरा भी छा जाता है।
गुस्सा: महात्मा विदुर कहते हैं कि क्रोध मनुष्य का शत्रु होता है। काम, क्रोध और लोभ ये तीन प्रकार के नरक हैं जो दुख की ओर ले जाते हैं वहीं तीनों आत्मा का नाश करने वाले हैं, इसलिए इनसे सदैव दूर ही रहना चाहिए।
डाह करना: ईर्ष्यालु, दूसरों से द्वेष करने वाले, असंतुष्ट, क्रोधी, शक्की और आश्रित (दूसरों पर आश्रित) ये छह प्रकार के व्यक्ति सदा दुखी भी रहते हैं। यह जीवन को अंधकारमय बना देता है, इसलिए ईर्ष्या के बजाय स्वस्थ सकारात्मक प्रेरणा से प्रतिस्पर्धा करें वहीं असंतुष्ट होने के बजाय, जो आपको संतुष्टि देता है, उसके लिए प्रयास भी करें। क्रोधित और शंकालु होना हमारे सभी संबंधों को नष्ट कर देता है और इसलिए प्यार करना और भरोसा करना सीखें। किसी से मत जुड़ो। हर आदमी को अपने तरीके से आज़ाद भी होने दो।
विश्वास करना: जो भरोसे के लायक न हो उस पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए लेकिन जो भरोसे के काबिल हो उस पर हद से ज्यादा भरोसा भी नहीं करना चाहिए। महात्मा विदुर का यह भी कहना है कि जो व्यक्ति अच्छे कर्मों और पुरुषों में विश्वास नहीं करता है, वह गुरुओं के स्वभाव पर भी संदेह करता है और किसी पर विश्वास न करना, मित्रों को त्यागना… निश्चय ही वह मनुष्य अधर्मी ही है।
खुद की तारीफ करना: यह सच है कि हर कोई खुद की सराहना करता है या सराहना चाहता भी है, लेकिन अगर वह हमेशा खुद की प्रशंसा करता है और लगातार दूसरों की आलोचना भी करता है, तो वह सुखी जीवन नहीं जी पाएगा। और वह धीरे-धीरे अँधेरे में डूब भी जाता है।
मूर्खता: मूढ़ मन का कुरूप व्यक्ति बिन बुलाए ही आ जाता है, बिना पूछे ही बात करने भी लगता है और जो विश्वास के योग्य नहीं होता, उस पर भी आराम से विश्वास कर लेता है। महात्मा विदुर कहते हैं कि व्यक्ति की ये पांच आदतें उसका जीवन बर्बाद करके रख देती हैं।