Shradh 2022 start date and end date: पितृ पक्ष 10 सितंबर से शुरू हो रहे है और यह 25 सितंबर को खत्म होंगे। पितृ पक्ष में सभी लोग अपने पूर्वजों तर्पण करते हैं ब्राह्मण भोज करवाते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शान्ति की कामना करते हैं।
हमारे हिन्दू धर्म के मुताबिक पितरों की तृप्ति के निमित्त तर्पण और पिंडदान का प्रावधान है। वही अगर किसी की अकाल मृत्यु होती है तो कहते हैं उसकी आत्मा को जल्दी शांति नही मिलती। आत्मा भटकती रहती है। वही अगर आप अकाल मृत्यु वाले व्यक्ति का पिंडदान गंगा के अमृत जल के साथ करते हैं तो उस व्यक्ति को मुक्ति मिल जाती है
धर्मशास्त्र में तीर्थराज प्रयाग को पितृमुक्ति का पहला, काशी को दूसरा और गया को तीसरा द्वार माना जाता है। पिड दान, तर्पण और श्रद्धा करने के लिए संगम तट आते हैं। जो भी अपने पूर्वजों का श्राद्ध संगम तट पर करता है उनके पूर्वजों को मुक्ति मिलती और अगर किसी भी व्यक्ति की अकाल मृत्यु होती है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।