डेस्क। Sankashti Chaturthi 2022: इस माह में 12 तारीख को संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है वहीं इस दिन भगवान गणेश की पूजा भी की जाती है। ऐसी मान्यता के अनुसार इस दिन नियम पूर्वक दुखों के हरता भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकानाएं पूरी भी हो जाती हैं।
वहीं संकट काटने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। वहीं पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चुतुर्थी के नाम से जाना जाता है। दोनों ही चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा भी की जाती है।
जानिए संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े भी पहने। इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है। वहीं उत्तर दिशा की ओर मुंह कर विधि- विधान से भगवान गणेश की पूजा करें और भगवान गणेश को मोदक या तिल के लड्डू का भोग भी लगाएं और व्रत का संकल्प लें।
वहीं इस व्रत के दौरान अन्न नहीं ग्रहण किया जाता है। आप फल का सेवन कर सकते हैं। और सेंधा नमक का प्रयोग भी कर सकते हैं।
संकष्टी चतुर्थी का महत्वमान्यता की माने तो इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती है। वहीं घर में सुख-समृद्धि का वास रहता है और शांति भी बनी रहती है। वहीं सूर्योदय से शुरू होकर यह व्रत रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद समाप्त भी होता है।
पौराणिक कथा की माने तो एक बार भगवान शिव और माता पार्वती एक नदी के पास बैठे हुए थे। वहीं माता पार्वती ने चौपड़ नाम का एक खेल खेलने की इच्छा जाहिर भी की है। इस खेल में निर्णायक की समस्या आ रही है। इस समस्या का समाधान करने के लिए माता पार्वती ने एक बाल को मिट्टी की प्रतिमा का रूप दिया है और उसमें जान डाल दी। खेल शुरू गया और भगवान शिव लगातार हार रहे हैं और एक बार बालक ने जानबूझकर माता पार्वती को हारा हुआ घोषित कर दिया।
इससे माता पार्वती काफी नाराज हो गई और बालक को श्राप दे दिया और तभी उसका एक पैर खराब हो गई है। इससे दुखी बालन ने माता पार्वती से क्षमा भी मांगी। वहीं माता पार्वती ने कहा कि संकष्टी ने दिन यहां कन्याएं पूजा करने आती है और तुम विधि पूछकर इस दिन भगवान गणेश की पूजा भी करने। बालक के ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न हो गए और उसे श्राप मुक्त भी कर दिया।