डेस्क। Garuda Purana Lord Vishnu Niti in Hindi: वैष्णव संप्रदाय से संबंधित और हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में एक गरुड़ पुराण में व्यक्ति द्वारा किए कर्म को महत्व दिया गया है और क्योंकि कर्म का फल केवल जीवन नहीं बल्कि जीवन के बाद भी आपको मिलता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, आप अगले जन्म में क्या बनेंगे, इसका रहस्य भी आपके कर्मों में ही छिपा हुआ है।
84 लाख योनियों का चक्र
धर्म-पुराणों में 84 लाख योनियों का जिक्र किया मिलता है 84 लाख योनियों का अर्थ है सृष्टि में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु है। इन्हें दो हिस्से योजिन और आयोजित रूप में विभाजित किया गया है साथ ही प्राणियों को थलचर,नभचर और जलचर तीन भागों में वर्गीकरण किया गया है।
84 लाख योनियों में जलचर 9 लाख, पेड़-पौधे 20 लाख, कीड़े-मकोड़े 11 लाख, पक्षी 10 लाख, पशु 30 लाख और देवता-दैत्य-मानव की 4 लाख यानी योनियां भी हैं। इसमें मानव योनि को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। साथ ही पुण्य और अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति का जन्म मनुष्य योनि में होता है।
कर्म के आधार पर जानें अगले जन्म का रहस्य
गरुड़ पुराण के अनुसार, जो लोग महिलाओं का शोषण करते हैं वो अगले जन्म में गंभीर रोगों से पीड़ित रहते हैं।
ऐसे लोग जो अप्राकृतिक रूप से संबंध बनाते हैं वो अगले जन्म में नपुंसक ही बनते हैं।
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, जो लोग जीवनभर छल, कपट, झूठ बोलकर और धोखा देकर लाभ कमाते हैं, उनका अगला जन्म में उल्लू के रूप का होता है।
जानवरों का सताने वाले, जानवर का शिकार कर परिवार का भरण-पोषण करने वाले और लूटपाट मचाने वालों का अगला जन्म किसी जानवर के रूप में होता है और ऐसे लोगों की मृत्यु एक कसाई के हाथ से होती है।
ऐसे लोग जो झूठी गवाही देते हैं या दिलवाते हैं वो अगले जन्म में अंधे होते है।
जो लोग माता-पिता को प्रताड़ित करते हैं या भाई-बहन को कष्ट पहुंचाते हैं वो जन्म ही नहीं ले पाते हैं यानी ऐसे लोग धरती पर नहीं आते बल्कि गर्भ में ही इनकी मृत्यु हो जाती है।
गुरुजनों, ब्राह्मण या ज्ञानी का अपमान करने वाले को मृत्यु के बाद नरक की प्राप्ति होती है और ऐसे लोग अगले जन्म में जल रहित वन में ब्रह्मराक्षस का रूप लेकर पैदा होते हैं।
गरुड़ पुराण के अनुसार, जो स्त्री की हत्या करते है, गर्भपात करते या कराते हैं या गौ हत्या करते हैं वो अगले जन्म में मूर्ख और कुबड़ा बनते हैं।
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, जो लोग मृत्यु के अंतिम समय में भगवान का नाम लेकर प्राण त्याग देते हैं, उसे मुक्ति का मार्ग मिल जाता है और यही कारण है कि, शास्त्रों में मरते समय ‘राम’ नाम लेने की बात बोली गई है।