आध्यत्मिक– ईश्वर को सत्य कहा गया है। कहते हैं जो ईश्वर की आराधना करता है और सकारात्मक रहता है उसका जीवन सदैव सुखमय रहता है और उसे कभी कष्टों को नहीं झेलना पड़ता है। वहीं एक सवाल यह भी अक्सर उठता पाया गया है कि आखिर यह ईश्वर है कौन और ईश्वर का वाश कहां होता है।
यदि हम ईश्वर की पहचान के बारे में बात करें तो ईश्वर धर्म, सत्य, निस्वार्थ, प्रेम और सकारात्मक सोच है। ईश्वर ईर्ष्या से परे, लालच से भिन्न , मोह माया का त्याग है। ईश्वर का एक मात्र मंत्र सत्य और समर्पण है। वहीं यदि हम ईश्वर के वास स्थान की खोज करें तो वह प्रत्येक व्यक्ति का मन है।
यदि आप अपने मन को षोड5करते हैं और नकारात्मक ऊर्जा को अपने मन के ऊपर हावी नहीं होने देते हैं। तो ईश्वर अपने मन मे विराजमान होते हैं और अपने दुख को हर लेते हैं। ईश्वर को प्राप्त करना बेहद आसान है। क्योंकि ईश्वर पूजा, तप या घण्टों जाप करने से नहीं प्राप्त होता है।
क्योंकि ईश्वर सत्य प्रेमी है। वह सिर्फ सत्य और समर्पण से प्राप्त होता है। यदि आप मानवीय गुणों से परिपूर्ण हैं। सत्य के पथ पर चलते हैं और लोगों के प्रति निस्वार्थ भाव से समर्पित हो जाते हैं। आपकी अभिलाषा सिर्फ कर्म करने की होती है तो आप ईश्वर को स्वयं के भीतर प्राप्त करते हैं।