डेस्क। अवमानना केस में दो साल की सजा के फैसले को लेकर राहुल गांधी ने (Rahul Gandhi On Two years Jail) चुनौती देते हुए अपनी याचिका में सात अहम बिंदू कोर्ट के सामने भी रखे हैं। उनका यह कहना था कि मेरे खिलाफ मानहानि केस दायर करने का हक केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही है और हर कोई केस दायर नहीं कर सकता।
राहुल ने अपनी याचिका में ये भी बोला है कि फैसला देने वाले जज को सोचना चाहिए था कि जो वो करने जा रहे हैं उससे मेरी लोकसभा सदस्यता भी चली जाएगी।
राहुल गांधी को गुजरात के सूरत की एक कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई थी और इसके बाद उन्हें लोकसभा से ऑटोमेटिक अयोग्य घोषित कर दिया गया। ये मामला 2019 में दायर किया गया था और उनके खिलाफ बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने याचिका भी दायर की थी। उनका कहना था कि कोलार में एक जनसभा के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी। सारे चोरों के नाम के साथ मोदी क्यों लगा है। बता दें पूर्णेश मोदी का कहना था कि राहुल गांधी के बयान से सारे मोदी समाज को धक्का लगा है और सूरत की कोर्ट ने राहुल को अपने फैसले में दोषी मान सजा भी सुना दी।
राहुल गांधी की तरफ से सीनियर एडवोकेट आरएस चीमा, कीर्ति पनावाला और तरन्नुम चीमा ने कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करी और उनका कहना था कि राहुल गांधी के बयान पर पूर्णेश मोदी को केस दायर करने का कोई हक नहीं है। नरेंद्र मोदी ही आईपीसी के सेक्शन 499 के तहत ऐसा केस कर सकते थे।
राहुल आगे बोले- उन्होंने तो मेहुल चोकसी, अनिल अंबानी का नाम भी लिया था।
याचिका में ये कहा गया कि विपक्ष के नेता होने के नाते उन्हें सरकार की आलोचना करने का पूरा हक है। विपक्ष का नेता सरकार की निंदा के दौरान हमेशा अच्छे लगने वाले शब्दों का ही इस्तेमाल नहीं कर सकता और सूरत की कोर्ट को सजा से पहले शब्दों का सही अर्थ भी निकालना था। राहुल ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्होंने छह लोगों का नाम लिया था जिसमें नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या, ललित मोदी और अनिल अंबानी पर उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार ने इन सभी लोगों को बेजा तरीके से कहीं न कहीं फायदा पहुंचाया। इनमें से कई के नाम से साथ मोदी नहीं लगा हुआ है।