डेस्क। कर्नाटक चुनाव (Karnataka Election) में बीजेपी इस बार 38 साल पुरानी परंपरा को तोड़ने की कवायद करती दिखाई दे रही है। सत्ता परिवर्तन वाले ट्रेंड को बदलने की उसकी कोशिश है और ऐसा करने के लिए उसने एक बार फिर 80 साल के कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (B.S.Yediyurappa) पर अपना भरोसा भी जताया है। इस समय वे कोई मुख्यमंत्री नहीं हैं बल्कि चुनाव भी नहीं लड़ने वाले हैं फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह तक, नाराज विधायक से लेकर बड़े सपने देख रहे नेताओं तक, सभी के लिए येदियुरप्पा की अहमियत अलग है। चाहे कुछ भी हो जाए, बीजेपी अपने इस वरिष्ठ नेता को नजरअंदाज नहीं कर सकती है।
कर्नाटक की राजनीति और येदियुरप्पा फैक्टर
अब येदियुरप्पा को मिल रही इस अहमियत के कई कारण हैं और एक तो उनकी लिंगायत जाति जो कर्नाटक में सियासी रूप से काफी निर्णायक भी साबित होती है। दूसरा उनकी स्थानीय मुद्दों को लेकर समझ और तीसरा पार्टी लाइन से सभी नेताओं के साथ उनका संवाद।
येदियुरप्पा कहने को इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन बीजेपी के लिए प्रचार का जिम्मा उन्होंने ही संभाला हुआ है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी लिंगायत समुदाय से आते हैं और बीजेपी को भरोसा और उम्मीद दोनों येदियुरप्पा से ही है। अब येदियुरप्पा फैक्टर बीजेपी के लिए कितना जरूरी है, इसे कर्नाटक की राजनीति में उनके योगदान से समझा भी जा सकता है।
लिंगायत समाज और 100 से ज्यादा सीटों पर असर
बीएस येदियुरप्पा चार बार सीएम की कुर्सी संभाल चुके हैं और साल 2008 में जब राज्य में पहली बार किसी दक्षिण के राज्य में बीजेपी की सरकार बनी थी, तब जीत का सेहरा भी येदियुरप्पा के सिर ही बंधा था। जिस लिंगायत समुदाय से येदियुरप्पा आते हैं, उसी के इर्द-गिर्द कर्नाटक की राजनीति रहती है और राज्य में इनकी आबादी 16 फीसदी के करीब है जो दूसरे समुदायों की तुलना में सबसे ज्यादा है।
दूसरी जातियों की बात की जाए तो राज्य में वोक्कालिगा 11%, दलित 19।5%, मुस्लिम 14%, कोरबा समुदाय 7% है। अब कहने को सभी जातियों के अपने मायने है, पर कर्नाटक की राजनीति देख पता चलता है कि यहां लिंगायत और वोक्कालिगा का ही सारा खेल भी रहता है। इन दो समुदाय का वोट जिस भी पार्टी को मिल जाए, उनका सत्ता में आना तय है और यहां भी कित्तूर कर्नाटक में सबसे ज्यादा लिंगायत वोट है, बागलकोट, धारवाड़, विजयपुरा, बेलगावी, हावेरी, गडग और उत्तर कन्नड़ जैसे जिलों में इनकी अच्छी-खासी संख्या है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल शिवमोगा एयरपोर्ट का उद्घाटन भी किया था। अब क्योंकि उस दिन येदियुरप्पा का जन्मदिन था और ऐसे में पीएम ने अलग ही अंदाज में उनका सम्मान जताया है। एक तरफ उन्होंने रैली में मौजूद भारी भीड़ से फोन की फ्लैशलाइट जलवा उनका अभिवादन करवाया है तो वहीं दूसरी तरफ यहां तक कहा कि वे खुद येदियुरप्पा से ही प्रेरणा लेते हैं। साथ ही अब कहने को ये सिर्फ एक बयान रहा पर पीएम द्वारा जिस तरह से उन्हीं के लोगों के बीच येदियुरप्पा का सम्मान किया गया है। जानकार मानते हैं कि येदियुरप्पा के सीएम पद से इस्तीफे के बाद ये एक तरह का पार्टी द्वारा डैमेज कंट्रोल है।