बिहार में जहरीली शराब के सेवन से लोगों की मौत हो रही है। हर ओर मातम छाया हुआ है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहरीली शराब से लोगों की हो रही मौत पर मौन धारण किये हुए हैं। वहीं अब खबर यह भी सामने आ रही है कि बिहार सरकार जहरीली शराब से होने वाली मौत के आंकड़े को छुपा रही है।
जाने कब हुई शराब बंदी और क्या है आकड़ा-
बिहार में साल 2016 में शराबबंदी की गई थी। उस समय नीतीश कुमार के इस फैसले का स्वागत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सुशील मोदी तक ने किया था। लेकिन शराबबंदी के पांच वर्षों में मौत का आकड़ा 200 के पार पहुंच गया है।
लेकिन जहरीली शराब के सेवन से होने वाली मौत के संदर्भ में एनसीआरबी ने महज 23 लोगों की पुष्टि की है। बिहार में शराब से हुई मौत के आकड़े को इस प्रकार गलत दिखाना कोई नई बात नहीं है। साल 2016 से लेकर 2021 तक यह आकड़ा गड़बड़ ही रहा है।
एनसीआरबी के डेटा के मुताबिक, बिहार में 2016 में छह, 2017 में कोई नहीं, 2018 में कोई नहीं, 2019 में नौ, 2020 में छह और 2021 में दो मौतें जहरीली शराब से हुई थीं। जबकि वास्तविकता कुछ ओर ही इशारा कर रही है।
बिहार में जहरीली शराब से मौत की कम से कम 20 घटनाएं सामने आई हैं और इनमें लगभग 200 लोगों की जान गंवानी पड़ी। वही मीडिया रिपोर्ट की माने तो बिहार में साल 2021 के दौरान 106 लोगों की मौत जहरीली शराब के सेवन से हुई है।
अब क्या करेंगे नीतीश कुमार-
नीतीश कुमार का कहना है कि शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जो शराब का सेवन करेगा वह तो मरेगा ही। वहीं बीजेपी नीतीश सरकार की शराबबंदी की नीति का जमकर विरोध कर रही है।
हालाकि अब नीतीश कुमार ने कहा है कि वह बिहार के लोगों को शराब से होने वाले नुकसान के संदर्भ में जागरूक करवाएंगे। वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार में जहरीली शराब से होने वाली मौतों की जांच के लिए एक जांच दल भेजने का फैसला किया है।