इतिहास– भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इस समय चर्चा में है। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि कश्मीर विवाद नेहरू की देन है। उनके इस बयान के बाद सरदार भाई पटेल और नेहरू का पारस्परिक रिश्ते भी चर्चा में आ गए हैं। लोग दावा कर रहे हैं कि उनके पारस्परिक रिश्ते अच्छे नही थे यह दोनो ही लोग एक दूसरे के विरोधी थे।
लोग यह भी कह रहे हैं कि जवाहरलाल नेहरू की तुलना में पटेल को राजनीति की अधिक समझ थी। यदि सरदार पटेल उस समय देश के प्रधानमंत्री होते तो शायद यह कश्मीर विवाद कभी जन्म ही नही लेता। लेकिन आज हम सरदार पटेल के उस बयान पर बात करेंगे जो इन सभी सावालो का जवाब लिए है। क्योंकि सरकार पटेल नेहरु का नेता मानते थे और एक बयान में उन्होंने कहा था कि नेहरू हमारे नेता हैं।
जाने नेहरू के संदर्भ में पटेल का बयान-
सरदार पटेल ने अपनी मृत्यु से पूर्व 2 अक्टूबर, 1950 को इंदौर में एक महिला केंद्र का उद्घाटन किया और भाषण देते हुए कहा, अब महात्मा गांधी हमारे बीच नही है। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया है। वह अब हमारे नेता हैं।
बापू के सिपाहियों का यह फर्ज है कि वह उनके सपने को पूरा करे और जिसे वह जो काम देकर गए हैं उसका सुद्रण तरीके से पालन हो। मैं उनका वफादार सिपाही हूँ।
अगर हम नेहरू पटेल के मध्य मतभेद पर थोड़ा ध्यान देंगे। तो हम देख सकेंगे की उनके विचार अलग थे लेकिन वह साथ थे। उनके बीच मतभेद की जगह थी लेकिन मनभेद की नही। नेहरू जहां एक स्वप्नवादी नेता थे। वही सरदार पटेल एक यथार्थवादी नेता थे। दोनो नेताओ के विचार भिन्न थे लेकिन वह साथ रहे।
नेहरू और सरदार पटेल दोनो ही महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते थे। दोनो के लिए उनके कहे वचन सत्य थे और उन्हीं के नियमो के आधार पर यह दोनो चलते थे। दोनो ने एक साथ रहकर अपने देश के लिए काम किया और गांधी के सपने को साकार करने के लिए अपने मतभेद को पीछे रखा।