इतिहास– आज के समय मे समाचार पत्र और मीडिया संस्थान सरकार की पैरवी में लगे हुए हैं। बड़े बड़े संगठन खबरों का प्रसारण ऐसे करते हैं मानो कि भारत अब समस्याओं से मुक्त हो गया है और जमीनी स्तर पर भारत की सभी समस्याएं खत्म हो गई है। न अब भारत मे बेरोजगारी बची है और न ही भारत के युवा मंहगाई और गरीबी की मार झेल रहे हैं।
मीडिया जो लोकतंत्र का अभिभाज्य अंग माना जाता है। वह अब लोगों के हित के पक्ष में बोलने से पीछे हटता है और वहीं जनता के सम्मुख प्रस्तुत करता है जो सरकार की जनता के मध्य सकारात्मक छवि बना सके।
लेकिन क्या आपको पता है। भारत में एक अखबार ऐसा भी हुआ था। जिसने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए। घटना 1780 की है जब भारत का पहला समाचार पत्र बंगाल गजट लॉन्च हुआ। यह सरकार के सबसे बड़े आलोचक अखबारों में से एक था। इसने अपने दौर में अंग्रेजों की शाखा हिला दी और हुकूमत को यह एहसास दिलाया की यदि मीडिया चाहे तो वह कुछ भी कर सकती है।
बंगाल गजट का प्रकाशन अगस्टन हिकी ने किया था। इस अखबार ने अंग्रेजों को हिला कर रख दिया था। क्योंकि यह भ्रष्टाचार, मानवाधिकार उल्लंघन और अंगेजों द्वारा जनता पर किए जा रहे अत्याचारों को उजागर कर रहा था। दावों के मुताबिक उस समय इस अखबार ने भारत के गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स पर आरोप लगाया था और चीफ जस्टिस को घुस लेने के मामले में जनता का बीच घसीटा था।
यह अखबार भारत की गरीबी से लेकर भारत के लोगों पर अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों पर खुलकर लिखता था। वहीं ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी जिस प्रकार से भारत के लोगों पर अत्याचार करती थी और लाखों लोगों की उनके अत्याचार से मौत हो रही थी। उसका खुलासा भी इस अखबार द्वारा किया जाता था।
हालाकि सरकार को यह अखबार काफी खटकता था और सरकार भारत के एआ अखबार पर प्रतिबंध लगाने के लिए हर सम्भव प्रयास करने में जुटी हुई थी। ऐसा कहा जाता था कि भारत के सैनिकों को 1857 की क्रांति के लिये इसी अखबार ने तैयार किया था। बंगाल गजट अपने आलोचक स्वभाव के कारण सरकार की आंखों में चुभने लगा था। वॉरेन हेस्टिंग्स इस अखबार को बन्द करवाने के लिए रणनीति बना चुके थे।
जाने कब बन्द हुआ बंगाल गजट-
सरकार की आलोचना और भारत पर ब्रिटिशों द्वारा किये जा रहे अत्याचारों को उजागर करने में अपनी स्याही खत्म कर रहे समाचार पत्र बंगाल गजट का बुरा समय तब शुरू हुआ। जब इसकी प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिए ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अन्य अखबार मार्केट में उतार दिए।
एक दिन बंगाल गजट ने अज्ञात नाम से एक लेक प्रकाशित हुआ। लेख में लिया था कि यदि सरकार हमारा हित नहीं देख सकती तो हम सरकार का काम करने के लिये बाध्य नहीं है। बंगाल गजट का यह लेख उसके लिए अभिशाप बन गया और ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अखबार पर प्रतिबंध लगा दिया।
वहीं बंगाल गजट के सम्पादक हिकी पर हेस्टिंग्स पर परिवारवाद का मुकदमा दर्ज करवाया। हिक्की को दोषी पाया गया और उन्हें जेल जाना पड़ा। लेकिन जेल जाने के बाद भी उन्होंने 9 महीने तक बंगाल गजट को जिंदा रखा। लेकिन फिर सुप्रीम कोर्ट का आदेश हुआ और प्रिंटिंग प्रेस पर सील लग गई। ततपश्चात भारत का पहला अखबार बन्द हो गया। हालाकि इस अखबार ने लोगों को मीडिया की ताकत से परिचित करवा दिया था और लोग अब कई लेख लिखने लगे थे।