Bahadur Shah Zafar History: अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर के बेटों मिर्जा जवान बख्त और मिर्जा शाह अब्बास की तस्वीरें अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होती ही रहती है।
अपने पिता की तरह ही दोनों लड़कों ने भी मुगल साम्राज्य को ढहते देखा है।
1857 की क्रांति में अंग्रेजों जीत के करीब पहुंच गए तो बादशाह जफर ने हुमायूं के मकबरे में शरण ले ली थी पर अंग्रेजों को इसका पता चल गया और उन्होंने मकबरे को चारों तरफ से घेर भी लिया। 20 सितंबर 1857 को जफर ने मेजर विलियम हडसन के सामने आत्मसमर्पण भी कर दिया था। इसी क्रम में मुगल काल आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया और मुगलों ने भारत पर 332 साल तक शासन भी किया।
यह बताया जाता है कि मुगल बादशाह के परिवार के करीब 16 सदस्यों को गिरफ्तार भी किया गया और कुछ इतिहासकारों के अनुसार, इनमें जवान बख्ति और शाह अब्बासस भी शामिल थे।
जफर परिवार पर टूट पड़ा मुसीबतों का पहाड़
1857 के विद्रोह के बाद जफर परिवार का जीवन बेहद ही तकलीफों में गुजरा। वहीं बादशाह बहादुर शाह जफर को अंग्रजों ने रंगून निर्वासित कर दिया और उनके साथ मिर्जा जवान बख्ता और मिर्जा शाह अब्बास रंगून गए। ऐसा कहा जाता है कि तीन अन्य शहजादों को गोली मार दी गई और शवों को तीन दिन तक चांदनी चौक की एक कोतवाली के बाहर ही लटका दिया गया था।
बादशाह जफर और उनके बेटों ने रंगून में तोड़ा था दम
रंगून में जफर की तबीयत दिन-ब-दिन खराब होती ही गई। साथ ही 6 नवंबर 1862 को लकवे का तीसरा दौरा पड़ा और 7 नवंबर की सुबह 5 बजे आखिरी मुगल बादशाह ने अपना दम तोड़ दिया।
जफर और उनकी बेगम जीनत महल के बेटे मिर्जा जवां बख्त को रंगून में शराब की लत लग गई थी। 18 सितंबर 1884 को 43 साल की उम्र में लिवर सिरोसिस से उनकी मौत हो गई दो साल बाद उनकी मां जीनत महल की भी मृत्यु हो गई थी।