Kolkata Gang Rape Case- गैंगरेप के सच से किसको डर?” बीजेपी की फैक्ट फाइंडिंग टीम पर पुलिस की कार्रवाई, क्या ममता सरकार पर होंगे कड़े सवाल?

Published On: June 30, 2025
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पश्चिम बंगाल में सियासी घमासान: लॉ कॉलेज के अंदर जाने से रोकी गई BJP की फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी, जांच पर उठते सवाल

Kolkata Gang Rape Case : पश्चिम बंगाल में चल रही राजनीतिक गहमागहमी के बीच एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा गठित एक फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी (fact-finding committee), जो कथित तौर पर राज्य में घटे एक यौन उत्पीड़न के मामले (‘गैंगरेप के सच’ वाले बयान) से जुड़े तथ्यों की जांच करने के लिए कोलकाता के एक लॉ कॉलेज पहुंची थी, उसे पुलिस ने परिसर के अंदर जाने से रोक दिया। इस घटना ने प्रदेश की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है, और विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार पर जांच में बाधा डालने का आरोप लगा रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

रिपोर्ट्स के अनुसार, यह भाजपा की वह तथ्यान्वेषी टीम थी जो हाल ही में राज्य में सामने आए एक संवेदनशील मामले के “सच” को जानने के लिए बुलाई गई थी। यह कमेटी कथित तौर पर एक लॉ कॉलेज के अंदरूनी हालात (internal situation of law college) और घटना से जुड़े तथ्यों का जायजा लेने गई थी। हालांकि, कॉलेज के बाहर पहुंचते ही, कोलकाता पुलिस (Kolkata Police) ने टीम को रोक दिया और परिसर में प्रवेश की अनुमति देने से इंकार कर दिया। पुलिस के इस कदम ने भाजपा नेताओं को नाराज कर दिया है और इसे “कानून के राज का उल्लंघन” बताया है।

बीजेपी का आरोप, टीएमसी का जवाब (BJP’s allegations, TMC’s response):

इस घटना पर भाजपा नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा की ओर से सवाल उठाया गया है कि “गैंगरेप के सच से किसको डर है?”। उनका आरोप है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार सबूतों को दबाने और मामले की निष्पक्ष जांच को बाधित करने की कोशिश कर रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी का उद्देश्य केवल तथ्यों का पता लगाना और पीड़ितों को न्याय दिलाना है, लेकिन पुलिस की कार्रवाई यह दर्शाती है कि सरकार सच्चाई का सामना करने से कतरा रही है।

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वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इन आरोपों का खंडन किया है। उनका कहना है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस ने यह कदम उठाया है। सरकार का कहना है कि इस तरह की फैक्ट-फाइंडिंग कमेटियों को बिना किसी पूर्व सूचना या अनुमति के काम करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती, खासकर जब मामला संवेदनशील हो और उसकी जांच पहले से ही चल रही हो। दोनों पार्टियों के बीच शब्दों का जंग और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।

सियासी उबाल और आगे की रणनीति (Political Stir and Future Strategy):

यह घटना भाजपा (BJP) और TMC के बीच चल रहे राजनीतिक टकराव को और भी गहरा गई है। इस घटना को राष्ट्रीय स्तर पर भी उठाया जा रहा है, और भाजपा ने केंद्रीय नेतृत्व से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। सत्यपाल सिंह की अगुआई में (led by Satyapal Singh) पहुंची भाजपा की टीम को जिस तरह रोका गया, उस पर भाजपा ने अपना विरोध दर्ज कराया है। वे अब आगे की रणनीति तय करेंगे, जिसमें शायद राज्यपाल से मुलाकात या फिर किसी और बड़े प्रदर्शन का आयोजन शामिल हो सकता है।

इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य की पहले से ही तनावपूर्ण राजनीतिक स्थिति (political situation in Bengal) को और गरमा दिया है, और आने वाले दिनों में इसके और भी नतीजे देखने को मिल सकते हैं। मीडिया का भी इस घटना पर खास ध्यान है, और तस्वीरों में भी देखा जा सकता है कि कैसे तनावपूर्ण माहौल में भाजपा नेताओं और पुलिस के बीच नोकझोंक हो रही है।

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