Varanasi-Kolkata Expressway: देश को एक और बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure) सौगात मिलने जा रही है, जिसका सीधा फायदा चार राज्यों – उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), बिहार (Bihar), झारखंड (Jharkhand) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) की जनता को मिलेगा। हम बात कर रहे हैं वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे (Varanasi-Kolkata Expressway) की, जो लगभग 610 किलोमीटर लंबा होगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना (Ambitious Project) के पहले चरण का काम तेज़ी से शुरू हो चुका है। एक बार यह एक्सप्रेसवे (Expressway) बन जाने के बाद, इस पर गाड़ियां 120 किमी प्रति घंटे (120 kmph) की रफ्तार से दौड़ सकेंगी, जिससे यात्रा का समय नाटकीय रूप से कम हो जाएगा।
वाराणसी (Varanasi) से कोलकाता (Kolkata) के बीच बनने वाले इस महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे (Expressway) का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। यह पूरा प्रोजेक्ट 13 चरणों (13 Phases) में पूरा होगा। फिलहाल, इसके पहले चरण (Phase 1) का निर्माण कार्य चल रहा है। पहला चरण वाराणसी (Varanasi) से शुरू होकर बिहार (Bihar) के कैमूर (Kaimur) जिले के चैनपुर (Chainpur) तक 27 किलोमीटर लंबा है। इस हिस्से के लिए ज़रूरी भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) का काम पूरा हो चुका है और निर्माण तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। यह एक्सप्रेसवे (Expressway) कई मायनों में फायदेमंद साबित होगा। यह न केवल व्यापार (Trade) और वाणिज्य को बढ़ावा देगा, बल्कि इससे पर्यटन (Tourism) को भी काफी प्रोत्साहन मिलेगा। यह एक्सप्रेसवे भारतमाला परियोजना (Bharatmala Pariyojana) का एक अहम हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश भर में वर्ल्ड-क्लास सड़क नेटवर्क (World-Class Road Network) का निर्माण करना है।
साल 2024 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इस महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे (Expressway) की आधारशिला (Foundation Stone) रखी थी। इसकी कुल लंबाई 610 किलोमीटर से 690 किलोमीटर के बीच रहने की उम्मीद है (विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार)। वर्तमान में, वाराणसी से कोलकाता (Varanasi to Kolkata) तक की सड़क यात्रा में 12 से 14 घंटे का समय लगता है। लेकिन इस नए एक्सप्रेसवे (Expressway) के चालू हो जाने के बाद, यह दूरी समय के लिहाज़ से घटकर लगभग आधी रह जाएगी, यानी आप सिर्फ 6 से 7 घंटे में बनारस (Banaras) से कोलकाता (Kolkata) पहुंच सकेंगे! यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), बिहार (Bihar), झारखंड (Jharkhand) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) इन चार राज्यों से होकर गुजरेगी।
18 जिलों से होकर गुजरेगी एक्सप्रेसवे (Expressway passing through 18 districts)
यह एक्सप्रेसवे (Expressway) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी (Varanasi) से शुरू होकर चंदौली (Chandauli) जिले से गुजरने के बाद बिहार (Bihar) में प्रवेश करेगी। बिहार में यह भभुआ (Bhabhua), सासाराम (Sasaram), औरंगाबाद (Aurangabad) और गया (Gaya) जैसे जिलों से होकर झारखंड (Jharkhand) में दाखिल होगी। झारखंड में, यह चतरा (Chatra), हजारीबाग (Hazaribagh), रामगढ़ (Ramgarh), रांची (Ranchi) और बोकारो (Bokaro) जिलों से गुजरने की संभावना है। इसके बाद यह पश्चिम बंगाल (West Bengal) में प्रवेश करेगी, जहां यह पुरुलिया (Purulia), बांकुरा (Bankura), बिष्णुपुर (Bishnupur), पंसकुरा (Panskura), हल्दिया (Haldia), डायमंड हार्बर (Diamond Harbour) और अंततः कोलकाता (Kolkata) तक पहुंचेगी। इस पूरे सफर के दौरान, यह एक्सप्रेसवे (Expressway) कुल मिलाकर 18 जिलों (18 Districts) से होकर गुजरेगी, जिससे इन क्षेत्रों का सीधा संपर्क बेहतर होगा।
लगभग ₹35,000 करोड़ (Thirty Five Thousand Crore Rupees) की अनुमानित लागत (Estimated Cost) से बनाया जा रहा यह एक्सप्रेसवे (Expressway) एक ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट (Greenfield Project) है। इसका मतलब है कि यह पूरी तरह से एक नए अलाइनमेंट पर बनाया जा रहा है, मौजूदा सड़कों को अपग्रेड करके नहीं। इस पूरे प्रोजेक्ट का सबसे लंबा हिस्सा पश्चिम बंगाल (West Bengal) में बनेगा, जिसकी लंबाई लगभग 323 किलोमीटर होगी। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में इसका सबसे छोटा हिस्सा (लगभग 22 किमी) होगा, जबकि बिहार (Bihar) में इसकी लंबाई 169 किमी और झारखंड (Jharkhand) में 196 किमी होगी। इस पूरे प्रोजेक्ट को 13 चरणों (13 Phases) में बांटकर पूरा किया जाएगा ताकि काम तेज़ी से हो सके।
कृषि और रोजगार को मिलेगा विस्तार (Agriculture and Employment will expand)
इस एक्सप्रेसवे (Expressway) के निर्माण से यूपी (UP), बिहार (Bihar), झारखंड (Jharkhand) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) के इन 18 जिलों (18 Districts) का चहुंमुखी विकास (Development) होगा। लोगों के लिए यात्रा करना और सामान ले जाना बहुत तेज़ हो जाएगा, जिससे उनकी ‘रफ्तार’ भी बढ़ेगी। 120 किमी प्रति घंटे (120 kmph) की गति से ड्राइव करना एक नया अनुभव होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस एक्सप्रेसवे (Expressway) के बन जाने से कृषि (Agriculture), औद्योगिक विकास (Industrial Development), स्थानीय अर्थव्यवस्था (Economy) और समग्र विकास (Development) को ज़बरदस्त बढ़ावा मिलेगा। खासकर गांवों (Villages) और किसानों (Farmers) के लिए यह किसी ‘मौज’ से कम नहीं होगा, क्योंकि उनकी उपज को बड़े बाजारों तक पहुंचाना आसान और सस्ता हो जाएगा। इस परियोजना से हजारों लोगों को रोजगार (Employment) के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अवसर (Job Opportunities) मिलेंगे, और लाखों लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी (Connectivity) का सीधा लाभ मिलेगा। यह एक्सप्रेसवे पूर्वी भारत के लिए गेम चेंजर (Game Changer) साबित हो सकता है, जो इन चार राज्यों की आर्थिक और सामाजिक तस्वीर बदलने की क्षमता रखता है।