Toll Tax : भारत में यात्रा करना एक आम बात है और हर दिन करोड़ों लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक की दूरी तय करते हैं, चाहे वो हवाई जहाज, ट्रेन, या अपने निजी वाहन (private vehicle) से हो। जब आप अपने निजी वाहन से एक राज्य की सीमा पार करके दूसरे राज्य में प्रवेश करते हैं, तो आपको रास्ते में पड़ने वाले टोल प्लाजा (toll plaza) पर टोल टैक्स (toll tax) देना पड़ता है। आंकड़ों के मुताबिक, पूरे देश में फिलहाल एक हजार से भी ज़्यादा टोल प्लाजा मौजूद हैं, जहां अलग-अलग तरह के वाहनों (vehicles) के लिए अलग-अलग दरें लागू होती हैं।
पहले टोल चुकाना एक झंझट भरा काम था। लोगों को टोल प्लाजा पर लंबी-लंबी कतारों (long queues) में इंतज़ार करना पड़ता था और टोल शुल्क का भुगतान कैश (cash payment) में या मैन्युअली (manual payment) करना पड़ता था। इससे समय की बर्बादी होती थी और ट्रैफिक जाम (traffic jam) की समस्या भी पैदा होती थी। लेकिन अब भारत में टोल टैक्स सिस्टम (toll tax system) काफी हद तक बदल गया है। फास्टैग (FASTag) की शुरुआत ने टोल भुगतान को बेहद आसान बना दिया है। फास्टैग लगी गाड़ियों को टोल प्लाजा पर रुकने की ज़रूरत नहीं पड़ती, उनका फास्टैग स्कैन (FASTag scan) होता है और राशि ऑटोमेटिक (automatic deduction) कट जाती है, जिससे समय बचता है और यात्रा सुगम होती है।
लेकिन अब परिवहन क्षेत्र (transportation sector) से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है। ऐसा माना जा रहा है कि देश में टोल चुकाने के तरीके में एक और बड़ा बदलाव होने वाला है और जल्द ही एक नई टोल व्यवस्था (new toll system) लागू की जा सकती है।
किलोमीटर के हिसाब से चुकाना पड़ेगा टोल: जानें क्या है नई पॉलिसी
भारत में मौजूदा टोल नीति (current toll policy) के तहत, आपको टोल प्लाजा पर पहुंचते ही अपनी गाड़ी के प्रकार के अनुसार निर्धारित शुल्क देना होता है, भले ही आप उस टोल रोड पर कितनी भी दूरी तय करें। लेकिन सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) एक बिल्कुल नई टोल नीति लागू करने की तैयारी में है, जो इस सिस्टम को पूरी तरह से बदल देगी।
प्रस्तावित नई टोल पॉलिसी (proposed new toll policy) के तहत, वाहनों को उनके द्वारा तय की गई दूरी (distance traveled) के हिसाब से टोल चुकाना होगा। इसका सीधा मतलब है कि आपकी गाड़ी किसी टोल रोड पर जितना चलेगी, आपसे उतना ही टोल लिया जाएगा। यह दूरी के हिसाब से स्वचालित रूप से (automatically) आपके बैंक खाते (bank account) या जुड़े हुए वॉलेट से काट लिया जाएगा। यह सिस्टम मौजूदा फिक्स्ड-रेट टोलिंग (fixed-rate tolling) की तुलना में कहीं ज़्यादा न्यायसंगत माना जा रहा है, क्योंकि आपको केवल इस्तेमाल किए गए सड़क के हिस्से के लिए ही भुगतान करना होगा।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह नई नीति कब से लागू होगी, इस बारे में सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी या समय-सीमा (official timeline) साझा नहीं की गई है। फिलहाल, यह एक प्रस्ताव के तौर पर विचाराधीन है।
कैसे काम करेगी यह नई टोल पॉलिसी? ANPR टेक्नोलॉजी का होगा इस्तेमाल
रिपोर्ट्स और संकेतों के अनुसार, इस नई टोल पॉलिसी (new toll policy) को लागू करने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जाएगा। बताया जा रहा है कि सभी टोल प्लाजा पर मौजूदा फास्टैग सिस्टम (existing FASTag system) के साथ-साथ हाई-टेक कैमरे (high-tech cameras) भी लगाए जाएंगे।
इस नई व्यवस्था का मुख्य आधार ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (Automatic Number Plate Recognition) यानी ANPR टेक्नोलॉजी (ANPR Technology) होगी। यह एक एडवांस्ड सिस्टम (advanced system) है जो गाड़ी की नंबर प्लेट (number plate) को स्वचालित रूप से पढ़ और पहचान सकता है। जब कोई वाहन किसी टोल रोड में प्रवेश करेगा और बाहर निकलेगा, तो ये ANPR कैमरे उसकी नंबर प्लेट को कैप्चर कर लेंगे। सिस्टम इस जानकारी का उपयोग करके यह गणना करेगा कि वाहन ने टोल रोड पर कितनी दूरी तय की है। इसके बाद, तय की गई दूरी के आधार पर टोल राशि की गणना की जाएगी और यह राशि वाहन मालिक के फास्टैग या सीधे जुड़े हुए बैंक खाते (bank account) से ऑटोमेटिकली काट ली जाएगी।
इस टेक्नोलॉजी का उद्देश्य टोल कलेक्शन (toll collection) को पूरी तरह से स्वचालित और बाधा रहित बनाना है। इससे टोल प्लाजा पर रुकने की ज़रूरत खत्म हो जाएगी, ट्रैफिक फ्लो (traffic flow) बेहतर होगा और यात्रियों का समय बचेगा।
एनुअल फास्टैग (Annual Fastag) पर भी चल रहा है विचार
इसके अलावा, सरकार एक और सुविधा पर भी विचार कर रही है जो वाहन मालिकों के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है: एनुअल फास्टैग (annual FASTag)। इस व्यवस्था के तहत, वाहन मालिक एक बार में पूरे साल का टोल शुल्क (annual toll fee) चुकाकर अपना फास्टैग रिचार्ज (FASTag recharge) करवा सकेंगे। एक बार वार्षिक शुल्क का भुगतान करने के बाद, वे उस वर्ष में जितनी चाहें उतनी यात्रा कर सकेंगे, बिना हर यात्रा के लिए अलग से टोल चुकाए। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी होगा जो अक्सर लंबी दूरी की यात्राएं (long-distance travel) करते हैं।
कुल मिलाकर, भारत का टोलिंग सिस्टम एक बड़े बदलाव की ओर अग्रसर है। दूरी-आधारित टोलिंग और ANPR टेक्नोलॉजी का उपयोग यात्रा को अधिक कुशल, पारदर्शी और न्यायसंगत बना सकता है। हालांकि, इसके पूरी तरह से लागू होने और इसके प्रभाव को देखने के लिए हमें सरकार की आधिकारिक घोषणा का इंतज़ार करना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नई व्यवस्था आम जनता और लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री (logistics industry) पर क्या प्रभाव डालती है।