Supreme Court : गहने हों या संपत्ति, जानें कब पति कर सकता है इस्तेमाल और दुरुपयोग पर क्या है सजा – पूरी जानकारी

Published On: June 8, 2025
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Supreme Court : गहने हों या संपत्ति, जानें कब पति कर सकता है इस्तेमाल और दुरुपयोग पर क्या है सजा - पूरी जानकारी
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Supreme Court :भारतीय समाज और संस्कृति में, जब किसी महिला की शादी होती है, तो उसे उसके माता-पिता, रिश्तेदारों, दोस्तों और ससुराल पक्ष से कई तरह के उपहार मिलते हैं। इन उपहारों में अक्सर गहने (Jewellery), कपड़े, नकदी (Cash) और अन्य मूल्यवान वस्तुएँ शामिल होती हैं। इन सभी वस्तुओं और संपत्ति को सामूहिक रूप से स्त्रीधन (Stridhan) कहा जाता है। कई लोगों के मन में, और दुर्भाग्य से कुछ परिवारों में, यह गलतफहमी या धारणा होती है कि शादी के बाद इस स्त्रीधन पर पति (Husband) या ससुराल वालों (In-laws) का भी किसी प्रकार का अधिकार हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि भारतीय कानून (Indian Law) और माननीय सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसलों के अनुसार, यह धारणा पूरी तरह से गलत है? अगर आप इस महत्वपूर्ण कानूनी अधिकार (Legal Right) के बारे में नहीं जानते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है और आपको इसे अंत तक पढ़ना चाहिए।

आज हम आपको स्त्रीधन (Stridhan) से जुड़े आपके अधिकारों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। आइए विस्तार से जानते हैं कि स्त्रीधन पर क्या पति का अधिकार होता है या नहीं? (Does the husband have a right over Stridhan or not?)

स्त्रीधन पर क्या पति का अधिकार होता है? (Does the husband have a right over Stridhan?)

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने स्त्रीधन (Stridhan) को लेकर एक बहुत ही स्पष्ट और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि स्त्रीधन महिला की अपनी व्यक्तिगत संपत्ति (Woman’s Own Property) है और कानूनी रूप से उस पर केवल और केवल उसी महिला का पूर्ण अधिकार (Sole Right) होता है। महिला अपनी मर्जी और इच्छानुसार (As per her wish) इस संपत्ति को खर्च कर सकती है, इसका इस्तेमाल कर सकती है, इसे बेच सकती है या किसी को उपहार में दे सकती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस संपत्ति में पति का कोई अधिकार या हिस्सेदारी (No Right or Share of Husband) बिल्कुल भी नहीं होती है। यह महत्वपूर्ण फैसला महिलाओं के वित्तीय अधिकारों (Financial Rights) को मजबूत करता है और उन्हें अपनी संपत्ति पर पूरा नियंत्रण देता है।

महिला के साथ जबरदस्ती – कानूनी तौर पर गलत (Coercion with Woman – Legally Wrong)

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे कि किसी बड़ी मुसीबत या आर्थिक संकट (Financial Crisis) के समय में, पति पत्नी के स्त्रीधन (Stridhan) का इस्तेमाल कर सकता है। लेकिन (But), यह इस्तेमाल केवल तभी मान्य होगा जब उसकी पत्नी पूरी तरह से अपनी मर्जी और सहमति (Voluntarily and with Consent) से उसे अपना स्त्रीधन (Stridhan) इस्तेमाल करने के लिए देना चाहे। यदि पत्नी किसी भी कारण से स्त्रीधन देने से इनकार (Refuse to give Stridhan) कर देती है या मना कर देती है, तो पति उसके साथ किसी भी तरह की जबरदस्ती (Coercion or Force) नहीं कर सकता है। यह महिला का कानूनी अधिकार है कि वह अपनी संपत्ति के बारे में अंतिम निर्णय ले। महिला को अपने स्त्रीधन (Stridhan) पर पूरा अधिकार बनाए रखना चाहिए, चाहे वह संपत्ति या गहने शादी से पहले (Before Marriage) उसके पास आए हों या शादी के बाद (After Marriage) उसे उपहार स्वरूप मिले हों। यह सब उसके व्यक्तिगत स्वामित्व (Personal Ownership) में आता है।

महिला के धन का इस्तेमाल और पति की जिम्मेदारी (Use of Woman’s Property and Husband’s Responsibility)

जैसा कि बताया गया है, महिला अपनी स्त्रीधन संपत्ति (Stridhan Property) का इस्तेमाल जैसा चाहे वैसे कर सकती है। इस पर उसे कोई भी बाहरी व्यक्ति, यहां तक कि उसका पति या ससुराल वाले भी, रोक नहीं सकता है और ना ही किसी तरह की जबरदस्ती (Coercion) कर सकता है। इसके अलावा, यदि जीवन में कोई गंभीर संकट (Crisis) आता है और स्त्री अपनी मर्जी (Voluntarily) से अपने पति को अपनी धनराशि (Money) या गहने (Jewellery) इस्तेमाल करने के लिए देती है, तो वह ऐसा कर सकती है। लेकिन, कानून यह भी कहता है कि पति की यह जिम्मेदारी (Responsibility) है कि वह अपनी पत्नी की उस धनराशि या गहनों को उसका काम पूरा होने या स्थिति सामान्य होने पर वापस लौटाए (Return the Amount)। जब पति का काम पूरा हो जाए तब उसे पूरा स्त्रीधन (Stridhan) अपनी पत्नी को वापस दे देना चाहिए। यह उधार लेने जैसा है, न कि अधिकार।

स्त्रीधन का बेईमानी से दुरुपयोग – एक गंभीर अपराध (Dishonest Misappropriation of Stridhan – A Serious Offence)

महिला को शादी के समय या उसके जीवनकाल में मिले सभी उपहार (Gifts), ज्वेलरी (Jewellery) और अन्य मूल्यवान संपत्ति (Property) उसका स्त्रीधन (Stridhan) है, जिस पर उसका पूर्ण और अनन्य अधिकार (Complete and Exclusive Right) होता है। वह इसे अपनी इच्छा के अनुसार बेच सकती है, गिरवी रख सकती है (Pledge), या अपने पास रख सकती है, और उसे कोई भी व्यक्ति, परिवार का सदस्य भी, रोक-टोक (Interfere) नहीं कर सकता। यदि किसी व्यक्ति (पति या ससुराल वाले सहित) द्वारा महिला के स्त्रीधन (Stridhan) का बेईमानी से दुरुपयोग (Dishonest Misappropriation) किया जाता है, यानी उसे धोखे या जबरदस्ती से छीन लिया जाता है, हड़प लिया जाता है, या बिना सहमति के इस्तेमाल कर वापस नहीं किया जाता है, तो कानून इसे एक गंभीर अपराध (Serious Offence) मानता है। ऐसे मामलों में, पीड़ित महिला कानूनी कार्रवाई कर सकती है और दोषी व्यक्तियों को सजा मिल सकती है। यह भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code – IPC) के तहत भी एक अपराध माना जा सकता है।

यह जानकारी सभी महिलाओं के लिए अपने अधिकारों को जानने और समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्त्रीधन (Stridhan) उनका कानूनी हक है, और इस पर किसी और का अधिकार नहीं है। किसी भी तरह के दबाव या दुरुपयोग का सामना करने पर महिलाओं को कानूनी सहायता लेनी चाहिए।


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