Supreme Court: घर खरीदने का बदल गया नियम, Registry ही काफी नहीं

Published On: June 28, 2025
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Supreme Court: घर, फ्लैट या प्लॉट खरीदने जा रहे हैं? तो सावधान हो जाइए! सिर्फ प्रॉपर्टी रजिस्ट्री करा लेने से ही आप उस संपत्ति के पूर्ण मालिक नहीं बन जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट के अप्रैल के एक बड़े और ऐतिहासिक फैसले के अनुसार, केवल रजिस्ट्री हो जाना अब यह साबित नहीं करता कि आप ही उस प्रॉपर्टी के कानूनी मालिक हैं। यह एक गेम-चेंजर निर्णय है जो भारत में प्रॉपर्टी खरीदने के तरीके को हमेशा के लिए बदल देगा। इस नये सुप्रीम कोर्ट नियम के बाद आपको घर खरीदते समय कई दूसरे अहम डॉक्यूमेंट्स को भी बहुत गहनता से जांचना चाहिए, वरना बाद में आपको भारी पछतावा हो सकता है और आपकी कड़ी मेहनत की कमाई खतरे में पड़ सकती है, जिससे आपकी प्रॉपर्टी विवादित भी हो सकती है।

इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महनूर फातिमा इमरान बनाम स्टेट ऑफ तेलंगाना केस में एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। इस फैसले में माननीय न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि, “अगर किसी प्रॉपर्टी की पहली खरीद अनरजिस्टर्ड सेल एग्रीमेंट (Unregistered Sale Agreement) के बेस पर हुई है, तो उसके बाद की कोई भी रजिस्टर्ड डील या उस संपत्ति पर कब्जा (Possession) लीगल ओनरशिप (Legal Ownership) नहीं माना जाएगा।” इस फैसले का सीधा मतलब यह है कि अगर प्रॉपर्टी का पहला लेन-देन ही कानूनी तौर पर वैध नहीं था या ठीक से रजिस्टर नहीं किया गया था, तो उसके बाद की गई सभी डील्स और उस पर होने वाले हस्तांतरण पर सवाल उठेंगे। यह निर्णय प्रॉपर्टी खरीददार के लिए संपूर्ण प्रॉपर्टी चेन (Property Chain of Title) को समझने के महत्व पर जोर देता है।

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क्या होती है रजिस्ट्री और क्यों नहीं है यह पर्याप्त? (Registry Meaning and Limitations)

प्रॉपर्टी खरीदते समय रजिस्ट्री एक बेहद महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह रजिस्ट्री कार्यालय में संपत्ति के लेन-देन को आधिकारिक रूप से दर्ज करती है, जिससे यह रिकॉर्ड में आ जाता है कि कौन इसका नया मालिक है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह स्पष्ट है कि केवल प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री हो जाना ही इस बात की गारंटी नहीं है कि लेन-देन पूरी तरह से सही है या नहीं। यदि पुराने मालिक के पास उस संपत्ति का स्पष्ट और कानूनी स्वामित्व (Clear Ownership) नहीं है, या पिछली कोई अनियमितता रही है, तो रजिस्ट्री होने के बावजूद भी आपको उस पर पूर्ण और स्पष्ट मालिकाना हक़ (Malikana Hak) नहीं मिलेगा। इसलिए, संपत्ति का स्वामित्व साबित करने और खुद को विवादों से बचाने के लिए आपको रजिस्ट्री के अलावा अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की भी गहन जांच-पड़ताल करनी होगी।

इन डॉक्यूमेंट्स को जरूर देखें: मालिकाना हक की पूरी चेन समझें! (Essential Property Documents Checklist)

प्रॉपर्टी खरीद करते समय, सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक है मालिकाना हक की चेन (Chain of Title) या स्वामित्व श्रृंखला प्रणाली को गहराई से समझना और उसकी जांच करना। इसका सीधा अर्थ यह है कि आपको यह जांचना चाहिए कि आप जिस व्यक्ति से प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, उससे पहले यह संपत्ति किसके मालिकाना हक में थी, और क्या हर पिछले मालिक ने इसे कानूनी तरीके से खरीदा था और सभी हस्तांतरण उचित थे। आप यह महत्वपूर्ण जानकारी अपने स्थानीय नगर निकाय (Municipal Body) से, या सबसे प्रभावी तरीका है कि आप पुरानी सेल डीड (Old Sale Deed) और चेन डीड (Chain Deed) को ध्यान से देखें। सेल डीड (Sale Deed) और टाइटल डीड (Title Deed Property), दोनों ही प्रॉपर्टी खरीदते समय सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ हैं, क्योंकि ये आपके मालिकाना हक को कानूनी रूप से सुनिश्चित करते हैं और किसी भी भविष्य के विवाद से बचाते हैं। संपत्ति दस्तावेज सत्यापन बेहद महत्वपूर्ण है।

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इन बातों का विशेष ध्यान रखें: धोखा खाने से बचें! (Key Precautions for Property Buyers)

  • टाइटल डीड का महत्व: यदि आप जिससे प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, उसके पास उस प्रॉपर्टी की ओरिजिनल टाइटल डीड (Original Title Deed) नहीं है, तो उसे कानूनी रूप से वह संपत्ति बेचने का अधिकार नहीं है। ऐसी स्थिति में, उस प्रॉपर्टी के विवादित होने की पूरी संभावना है और आप एक बड़ी मुश्किल में फंस सकते हैं। इसलिए, बिना सही टाइटल डीड और चेन डीड की पूरी जांच-पड़ताल किए कोई भी प्रॉपर्टी (घर, जमीन या फ्लैट) बिल्कुल भी न खरीदें।
  • प्रॉपर्टी टैक्स रसीदें: प्रॉपर्टी खरीदते समय आपको पिछले कुछ वर्षों की प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदों (Property Tax Receipts) को भी ध्यानपूर्वक देखना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि पुराने मालिक ने प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान नियमित रूप से किया है या नहीं, और उस पर कोई बकाया (Tax Dues) तो नहीं है। बकाया होने पर इसकी जिम्मेदारी नये मालिक पर आ सकती है।
  • प्रॉपर्टी का नक्शा पास: यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि संबंधित नगर निगम (Municipal Corporation) या विकास प्राधिकरण (Development Authority) से प्रॉपर्टी का नक्शा (Property Map) विधिवत पास (Approved Map) हुआ है या नहीं। यदि निर्माण पास किए गए नक्शे के अनुसार नहीं हुआ है, तो वह अवैध निर्माण (Illegal Construction) कहलाएगा, जिससे भविष्य में सरकारी कार्रवाई और संपत्ति को गिराने (Demolition) का जोखिम हो सकता है।
  • इनकम्बरेंस सर्टिफिकेट (भार-मुक्त सर्टिफिकेट): प्रॉपर्टी खरीदते समय Encumbrance Certificate (भार-मुक्त सर्टिफिकेट) देखना अनिवार्य है। यह महत्वपूर्ण दस्तावेज आपको यह बताता है कि खरीदी जाने वाली प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी केस (Legal Case)गिरवी (Mortgage) या कर्ज (Loan) तो नहीं है। यह सर्टिफिकेट सुनिश्चित करता है कि संपत्ति सभी कानूनी और वित्तीय देनदारियों से मुक्त है। आजकल कई लीगल फर्म्स (Legal Firms) और रियल एस्टेट विशेषज्ञ लोगों को यह सुविधा प्रदान करते हैं।
  • ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (OC): यदि आप कोई फ्लैट (Flat) खरीद रहे हैं, तो ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (Occupancy Certificate – OC) की जांच अवश्य कर लें। यह दस्तावेज इस बात का प्रमाण होता है कि उस बिल्डिंग को स्वीकृत प्लान और सभी निर्माण नियमों के तहत बनाया गया है। यदि बिल्डिंग को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट नहीं मिली है, तो उसमें रहना गैर कानूनी माना जा सकता है और आपको भविष्य में पानी, बिजली, गैस कनेक्शन जैसी सुविधाओं और संपत्ति के मालिकाना हक़ से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह फ्लैट खरीदारों के लिए एक अनिवार्य चेकलिस्ट है।
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