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Join NowShigeru Ishiba resignation: जापान के राजनीतिक गलियारों में उस वक्त भूचाल आ गया, जब देश के प्रमुख मीडिया संस्थानों ने बुधवार को यह चौंकाने वाली खबर दी कि प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा (Shigeru Ishiba) अगले महीने के अंत तक अपने पद से इस्तीफे की घोषणा कर देंगे। यह फैसला हाल ही में हुए चुनावों में उनकी पार्टी की करारी हार के बाद आया है, जिसमें उनके प्रशासन ने संसद के उच्च सदन में अपना बहुमत खो दिया था।
यह खबर ठीक उस समय आई है जब इशिबा और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौते (Trade Deal) का अनावरण किया है, जिसके तहत जापानी कारों के आयात पर टैरिफ कम किया जाएगा और टोक्यो को अन्य वस्तुओं पर लगने वाले दंडात्मक नए शुल्कों से बचाया जाएगा।
रविवार को चुनाव में मिली भारी हार के बाद, इशिबा ने पहले कहा था कि वह टैरिफ समझौते को आगे बढ़ाने और बढ़ती आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए पद पर बने रहेंगे। लेकिन अब उनके सुर बदलते नजर आ रहे हैं।
बुधवार को जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या वाशिंगटन के साथ टैरिफ समझौते का उनके पद पर बने रहने के फैसले पर कोई असर पड़ेगा, तो इशिबा ने कहा, “मैं समझौते के नतीजे का विश्लेषण करने तक कुछ नहीं कह सकता।”
जापान के योमिउरी अखबार ने पहले रिपोर्ट दी थी कि इशिबा ने मंगलवार शाम को अपने करीबी सहयोगियों से कहा था कि वह व्यापार समझौते पर पहुंचने के बाद चुनावी हार की जिम्मेदारी लेंगे।
जापान की राजनीति में उत्तराधिकार की जंग और नई पार्टियों का उदय
शिगेरु इशिबा का एक साल से भी कम समय में पद छोड़ना सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) के भीतर उत्तराधिकार की एक बड़ी जंग छेड़ देगा। LDP पहले से ही नई राजनीतिक पार्टियों, विशेष रूप से दक्षिणपंथी दलों की चुनौतियों से जूझ रही है, जो उसके समर्थन आधार में सेंध लगा रहे हैं।
इनमें से एक प्रमुख पार्टी “जापानी फर्स्ट” सांसेतो (Sanseito) है, जो एक धुर-दक्षिणपंथी समूह है और रविवार के चुनाव में जिसने जबरदस्त बढ़त हासिल की है। इस पार्टी ने 248 सीटों वाले उच्च सदन में अपनी सीटों की संख्या 1 से बढ़ाकर 14 कर ली है। सांसेतो पार्टी आप्रवासन पर अंकुश लगाने, टैक्स में भारी कटौती करने, और बढ़ती कीमतों से परेशान परिवारों को वित्तीय राहत देने जैसे वादों के साथ मतदाताओं को आकर्षित करने में सफल रही है।
आपको बता दें कि पिछले साल, इशिबा ने पार्टी नेतृत्व की दौड़ में कट्टर रूढ़िवादी नेता सने तकाइची (Sanae Takaichi) को हराया था।
उम्मीद है कि इशिबा चुनावी नतीजों पर चर्चा के लिए बुधवार देर रात सत्तारूढ़ पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात करेंगे, जिसके बाद इस्तीफे की औपचारिक घोषणा की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकते हैं। यह घटनाक्रम जापान के साथ-साथ भारत और अमेरिका जैसे सहयोगी देशों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह जापान की राजनीतिक स्थिरता और भविष्य की नीतियों को प्रभावित कर सकता है।