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Join NowNCERT: बच्चों के भविष्य को आकार देने वाली किताबों में इतिहास का ताना-बाना कैसे बुना जाए, यह एक संवेदनशील विषय है। इसी कड़ी में, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में कई बड़े और विवादास्पद बदलाव किए हैं। नए चैप्टर में बाबर को एक क्रूर विजेता (cruel conqueror Babur) के रूप में चित्रित किया गया है, जबकि महान मुगल बादशाहों अकबर और औरंगजेब के अध्यायों में भी महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि औरंगजेब को मंदिरों और गुरुद्वारों को तोड़ने वाला (Aurangzeb demolishing temples and gurdwaras) बताया गया है। NCERT की ये नई किताबें बाज़ार में आ चुकी हैं, लेकिन इन बदलावों पर NCERT की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया या स्पष्टीकरण नहीं आया है, जिससे अटकलों का बाज़ार गर्म है।
इतिहास के पन्नों में नई व्याख्या: अकबर, औरंगजेब और बाबर पर बदले गए अध्याय
NCERT द्वारा कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में किए गए ये बदलाव इतिहास की समझ को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकते हैं। नई किताबों के अनुसार:इतिहास सीखना।
- दिल्ली सल्तनत और मुगल काल में धार्मिक असहिष्णुता के उदाहरण: छात्रों को अब इस अवधि के दौरान धार्मिक असहिष्णुता के विभिन्न उदाहरणों से अवगत कराया जाएगा, जिससे तत्कालीन सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य की एक अलग तस्वीर सामने आएगी।
- बाबर को क्रूर विजेता: जहाँ पहले बाबर को मुख्य रूप से एक प्रभावी शासक के रूप में प्रस्तुत किया जाता था, वहीं अब उसे एक “क्रूर विजेता” के रूप में परिभाषित किया गया है, जो उसके सैन्य अभियानों और शासन के विवादास्पद पहलुओं पर अधिक ज़ोर देता है।
- अकबर: सहिष्णुता और क्रूरता का मिश्रण: महान अकबर, जिन्हें अक्सर उनकी सहिष्णुता और सुलह की नीति के लिए सराहा जाता है, अब उन्हें “सहिष्णुता और क्रूरता का मिश्रण” (mix of tolerance and cruelty) बताया गया है। यह दर्शाता है कि उनके शासनकाल के दोनों पहलुओं पर प्रकाश डाला जाएगा।
- औरंगजेब: मंदिर विध्वंसक का नया अध्याय: सबसे बड़े बदलावों में से एक यह है कि औरंगजेब को स्पष्ट रूप से मंदिर और गुरुद्वारे तोड़ने वाले शासक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह पारंपरिक रूप से उनके धार्मिक और राजनीतिक निर्णयों पर दी जाने वाली व्याख्याओं से हटकर है।
ये परिवर्तन छात्रों को भारतीय इतिहास की एक नई और संभवतः अधिक आलोचनात्मक समझ प्रदान करेंगे, लेकिन इसने शैक्षिक गलियारों और इतिहासकारों के बीच एक बहस को जन्म दे दिया है।
बदलाव के पीछे की वजह क्या? NCERT का सन्नाटा और विवाद से बचने की तरकीब!
NCERT की तरफ से इन अहम बदलावों पर कोई सीधा जवाब या स्पष्टीकरण न आना, अटकलों को और हवा दे रहा है। यह समझना मुश्किल हो रहा है कि इन व्याख्याओं को क्यों बदला गया है और इसके पीछे का मकसद क्या है। हालांकि, विवादों से बचने के लिए NCERT ने एक विशेष रणनीति अपनाई है। नई किताबों में एक स्पेशल नोट जोड़ा गया है, जिसमें लिखा है, “पिछले समय की घटनाओं के लिए आज किसी को दोष नहीं देना चाहिए।” यह संदेश शायद वर्तमान समय में इतिहास की विवादास्पद घटनाओं पर राजनीतिक या सामाजिक प्रतिक्रियाओं को कम करने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है। यह कथन छात्रों को यह समझने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है कि इतिहास को उसके तत्कालीन संदर्भ में देखा जाना चाहिए, न कि वर्तमान नैतिक मानकों से।
बदलाव की परंपरा जारी: पिछले साल भी हुए थे सिलेबस में फेरबदल
यह पहली बार नहीं है जब NCERT ने अपनी पाठ्यपुस्तकों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। पिछले साल भी, छात्रों के सिलेबस में ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ (National War Memorial) को शामिल किया गया था। साथ ही, 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायक, वीर अब्दुल हमीद (Shaheed Abdul Hamid) पर भी एक चैप्टर जोड़ा गया था। वीर अब्दुल हमीद भारतीय सेना की 4 ग्रेनेडियर के जवान (CQMH) थे, जिन्होंने युद्ध में अद्वितीय वीरता दिखाई थी। किताबों में ऐसे बदलाव पहले भी होते रहे हैं, लेकिन 2025 के लिए जारी की गई इन नई किताबों में किए गए बदलावों का स्वरूप और सामग्री काफी बड़े और महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, जो भारतीय इतिहास की समझ को नया मोड़ दे सकते हैं।
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