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Join NowED : भले ही रनया राव ने जब्त किए गए सोने और अन्य संपत्तियों के बारे में किसी भी जानकारी होने से साफ इनकार कर दिया हो, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अनुसार, उसके दावों को जब्त किए गए भौतिक साक्ष्यों ने साफ तौर पर गलत साबित कर दिया है। इन साक्ष्यों में उसके नाम वाले कस्टम दस्तावेज़, यात्रा और खरीद के रिकॉर्ड, और डिजिटल बातचीत शामिल हैं, जिन्होंने उसकी संलिप्तता को स्पष्ट रूप से उजागर किया है।
राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) द्वारा 14.2 किलोग्राम तस्करी के सोने और संबंधित संपत्तियों को जब्त किए जाने के बावजूद, ईडी की जांच के दौरान पहचानी गई अपराध से जुड़ी कुल आय ₹55.62 करोड़ आँकी गई है। ईडी के बयान में आगे कहा गया है कि इसमें लगभग ₹38.32 करोड़ की आय शामिल है, जिसकी पहचान ईडी द्वारा जांच के दौरान इकट्ठा किए गए साक्ष्यों के विश्लेषण से हुई है, जिसमें विदेशी चालान (foreign invoices), कस्टम घोषणाएँ (customs declarations), और हवाला से जुड़े प्रेषण (hawala-linked remittances) शामिल हैं। यह सब ईडी द्वारा की गई तलाशी से भी पुष्ट हुआ है। यह दर्शाता है कि उसने दुबई से बेंगलुरु के लिए सिर्फ मार्च की यात्रा में ही नहीं, बल्कि कई यात्राओं के दौरान सोने की तस्करी की।
ईडी ने कहा कि चूंकि अपराध से हुई आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा “लेयर्ड” (layered) किया गया था और उसे ” the untainted” (यानी, वैध/शुद्ध) दिखाने के लिए अचल संपत्तियों (immovable assets) में पुनर्निवेश (reinvested) किया गया था, इसलिए ईडी ने रनया राव की चार समान मूल्य की संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क (provisionally attached) कर लिया है। कुर्क की गई संपत्तियों में बेंगलुरु के विक्टोरिया लेआउट में एक आवासीय घर, अर्कावती लेआउट में एक आवासीय प्लॉट, आनेकल में कृषि भूमि और तुमकुरू जिले में औद्योगिक भूमि शामिल है।
ईडी ने अपने शुक्रवार के बयान में कहा कि “संपत्ति की कुर्की, दूषित संपत्तियों के छिपने या उन्हें बेचने से रोकने और अपराध से हुई आय को सुरक्षित करने के लिए की गई है।” बयान में आगे कहा गया है कि “अपराध से बची हुई आय का पता लगाने और सिंडिकेट (syndicate) में शामिल अन्य व्यक्तियों और संस्थाओं की पहचान करने के लिए आगे की जांच प्रगति पर है।”
तस्करी का तरीका (Modus Operandi)
ईडी ने बताया कि एजेंसी की जांच से पता चला है कि रनया राव ने तरूण कोন্দরु राजू (Tarun Konduru Raju) और अन्य के साथ सक्रिय मिलीभगत में, भारत में सोना तस्करी के लिए एक सु-संरचित (well-structured) ऑपरेशन चलाया। सोने की खरीद दुबई, युगांडा और अन्य देशों में स्थित आपूर्तिकर्ताओं से की जाती थी, और भुगतान नकदी में हवाला चैनलों (hawala channels) के माध्यम से किया जाता था, जिससे वे वैध वित्तीय प्रणालियों को दरकिनार (circumventing legal financial systems) कर सकें। दुबई में झूठी कस्टम घोषणाएँ (false customs declarations) फाइल की जाती थीं, जिसमें सोने की शिपमेंट के गंतव्य को स्विट्जरलैंड या संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के रूप में धोखाधड़ी से दर्शाया जाता था, जबकि तस्करों की वास्तविक यात्रा भारत के लिए होती थी। उन्होंने कहा कि भारतीय हवाई अड्डों के माध्यम से तस्करी को आसान बनाने और जांच से बचने के लिए दोहरे यात्रा दस्तावेजों (dual sets of travel documents) का उपयोग किया जाता था – एक घोषित निर्यात गंतव्य के लिए और दूसरा भारत में उनके वास्तविक आगमन के लिए।
आगे की जांच से पता चला है कि तस्करी के सोने को फिर भारत के भीतर ही सीधे तौर पर सराफा व्यापारियों (jewellers) और अन्य स्थानीय संस्थाओं को नकदी में बेचा जाता था। इसके बाद, भारत में और अधिक सोने की तस्करी के लिए बार-बार खेप (repeat consignments) भेजने हेतु वित्तपोषण करने के लिए, इन आय को आगे हवाला प्रेषण (hawala remittances) के माध्यम से विदेश में लॉन्डर (laundered) किया जाता था।
ईडी ने यह भी कहा कि “जब्त किए गए मोबाइल फोन और डिजिटल उपकरणों से फोरेंसिक निकासी (forensic extraction) के माध्यम से प्राप्त साक्ष्यों से, विदेशी सोने के आपूर्तिकर्ताओं, हवाला ऑपरेटरों और दुबई स्थित कस्टम एजेंटों के साथ विस्तृत समन्वय का पता चला है।” ईडी ने आगे बताया कि रनया की संलिप्तता उसके डिजिटल फुटप्रिंट (digital footprint) से और पुष्ट हुई है, जिसमें चालान (invoices), निर्यात घोषणाएँ (export declarations), विदेशी प्रेषण रिकॉर्ड (foreign remittance records), और रिकॉर्ड किए गए चैट शामिल हैं।
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