Ancestral Property Rights : क्या दादा, पिता या भाई आपकी पैतृक संपत्ति का हिस्सा नहीं दे रहे? जानिए कैसे पाएं अपना कानूनी हक

Published On: June 2, 2025
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Ancestral Property Rights : क्या दादा, पिता या भाई आपकी पैतृक संपत्ति का हिस्सा नहीं दे रहे? जानिए कैसे पाएं अपना कानूनी हक
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Ancestral Property Rights : जब बात संपत्ति के नियमों और कानूनों की आती है, तो अक्सर लोगों को पूरी जानकारी नहीं होती। यह जानकारी का अभाव (lack of information) कई बार उन्हें उनके जायज हक से वंचित कर देता है। आज हम इसी महत्वपूर्ण विषय पर बात करेंगे: अगर आपके दादा, पिता, या भाई आपको आपकी पैतृक संपत्ति (ancestral property) में आपका हिस्सा नहीं दे रहे हैं, तो कानूनन आप क्या कर सकते हैं और अपना अधिकार (legal right) कैसे प्राप्त कर सकते हैं।

भारत की सदियों पुरानी परंपरा में, संयुक्त परिवार (joint family) का चलन रहा है, जहाँ कई पीढ़ियाँ एक छत के नीचे साथ रहती थीं और संपत्ति पर सबका साझा अधिकार माना जाता था। हालाँकि, समय के साथ यह प्रथा बदल रही है और अब एकल परिवारों (nuclear families) की संख्या बढ़ रही है। इस बदलाव के कारण अक्सर संपत्ति के बंटवारे (property distribution) को लेकर गंभीर विवाद (property disputes) उत्पन्न होते हैं।

आजकल, लगभग हर तीसरे परिवार में संपत्ति विवाद (property conflict) देखने को मिलते हैं। ये झगड़े कभी-कभी बातचीत से सुलझ जाते हैं, तो कभी बात इतनी बढ़ जाती है कि मामला कोर्ट-कचहरी (court case) तक पहुँच जाता है। कई बार तो संपत्ति पर कब्ज़ा (possession of property) करने की चाहत इतनी हावी हो जाती है कि रिश्तों की डोर ही टूट जाती है।

दुर्भाग्यवश, कई उत्तराधिकारी (heirs), विशेष रूप से महिलाएं और लड़कियाँ, अपने कानूनी हिस्से से वंचित रह जाती हैं। पारंपरिक सोच या पारिवारिक दबाव के कारण, अक्सर लड़कियों को पैतृक संपत्ति (daughters’ share in ancestral property) में उनका बनता हक नहीं मिल पाता। लेकिन कानून इस मामले में पूरी तरह से स्पष्ट है। आज हम आपको यही बताएंगे कि यदि आपको आपके दादा, पिता, या भाई आपकी पुश्तैनी जायदाद (inherited property) में हिस्सा नहीं देते हैं, तो आपके पास क्या कानूनी रास्ते उपलब्ध हैं।

पैतृक संपत्ति में किसका कितना हक होता है? (Who has how much right in ancestral property?)

हिंदू कानून के अनुसार, पैतृक संपत्ति (ancestral property) उसे कहते हैं जो आपके पूर्वजों (दादा, परदादा आदि) से पुरुषों की चार पीढ़ियों तक विरासत (inheritance) में मिलती आई हो और जिसका अभी तक पूरी तरह बंटवारा न हुआ हो। इस प्रकार की संपत्ति में परिवार के सदस्यों का अधिकार जन्म से ही (by birth) प्राप्त होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब पैतृक संपत्ति में बेटियों का भी बेटों के बराबर अधिकार (equal rights for daughters and sons) है। जन्म लेते ही बेटी का भी पैतृक संपत्ति में हिस्सा बन जाता है, भले ही उसके दादा, पिता और भाई भी उस संपत्ति के हिस्सेदार हों। यह अधिकार परिवार की स्वयं अर्जित संपत्ति (self-acquired property) से अलग है, जिस पर मालिक का पूरा अधिकार होता है।

अगर पैतृक संपत्ति में आपका हिस्सा न मिले तो क्या करें? (What to do if you don’t get your share in ancestral property?)

यदि परिवार के सदस्य, जैसे दादा, पिता, या भाई आपको आपकी पैतृक संपत्ति (ancestral property) में आपका जायज हिस्सा देने से इनकार करते हैं, तो आप अपने अधिकार की मांग करते हुए कानूनी कदम (legal steps) उठा सकते हैं।

  1. कानूनी नोटिस भेजें (Send a Legal Notice): पहला कदम है कि आप अपने परिवार के उन सदस्यों को एक कानूनी नोटिस (legal notice) भेजें जो आपका हिस्सा नहीं दे रहे हैं। इस नोटिस में आप संपत्ति में अपने अधिकार का दावा (claim your right) स्पष्ट रूप से बताएँ और उनसे बंटवारे की मांग करें।

  2. सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर करें (File a Suit in Civil Court): यदि कानूनी नोटिस का जवाब नहीं आता या वे फिर भी हिस्सा देने से मना कर देते हैं, तो आप सिविल कोर्ट (civil court) में एक बंटवारे का मुकदमा (partition suit) दायर कर सकते हैं। इस मुकदमे में आप कोर्ट से संपत्ति का बंटवारा कराने और उसमें अपना हिस्सा दिलाने की मांग कर सकते हैं।

  3. संपत्ति की बिक्री पर रोक लगवाएं (Get an Injunction on Property Sale): मुकदमा चलने के दौरान, यह सुनिश्चित करना बहुत ज़रूरी है कि संबंधित संपत्ति (property) को बेचा या किसी और को हस्तांतरित न किया जाए। इसके लिए आप कोर्ट से स्थगन आदेश (injunction) या रोक लगाने की मांग कर सकते हैं।

  4. यदि संपत्ति बेच दी गई है तो खरीदार को भी पक्षकार बनाएं (Include Buyer if Property is Sold): अगर आपकी जानकारी या सहमति के बिना पैतृक संपत्ति बेच दी गई है, तब भी आप अपना हिस्सा मांग सकते हैं। ऐसे में, आपको खरीदार को भी मुकदमे में एक पक्षकार (party) के तौर पर शामिल करना होगा और उससे अपने हिस्से का दावा करना होगा। कानून आपकी सहमति के बिना हुए ऐसे लेनदेन को रद्द कर सकता है या आपको आपके हिस्से का उचित मूल्य दिलवा सकता है।

पैतृक संपत्ति में बेटियों का समान अधिकार: हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 (Daughters’ Equal Rights: Hindu Succession (Amendment) Act, 2005)

हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून, 2005 (Hindu Succession (Amendment) Act, 2005) भारतीय संपत्ति कानूनों (Indian property laws) के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ है। इस महत्वपूर्ण संशोधन से पहले, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 (Hindu Succession Act, 1956) के तहत पैतृक संपत्ति में केवल पुरुषों को ही सह-उत्तराधिकारी (coparceners) माना जाता था। लेकिन धारा 6 (Section 6) में किए गए इस संशोधन ने बेटियों को भी बेटों के समान दर्जा दिया। अब, जन्म से ही बेटी भी पैतृक संपत्ति में सह-उत्तराधिकारी (coparcener) मानी जाती है और उसे संपत्ति में बेटों के बराबर कानूनी अधिकार (equal legal rights) प्राप्त हैं। यह कानून सुनिश्चित करता है कि पैतृक संपत्ति के मामले में लैंगिक समानता (gender equality) बनी रहे और किसी भी बेटी को उसके जायज हक से वंचित न किया जाए।

अपने कानूनी अधिकारों को जानना और उनका दावा करना ज़रूरी है, खासकर जब आपके अपने परिवार के सदस्य ही आपके हक को पहचानने से इनकार कर रहे हों। पैतृक संपत्ति (ancestral property) आपका कानूनी अधिकार है, और आप इसे प्राप्त करने के लिए कानूनी रास्ते अपना सकते हैं।

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