Supreme Court Decision : पिता ने बेची जमीन, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया सामने, करोड़ों परिवारों पर पड़ेगा असर

Supreme Court Decision : पिता ने बेची जमीन, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया सामने, करोड़ों परिवारों पर पड़ेगा असर

Supreme Court Decision : पैतृक संपत्ति (ancestral property) और पिता के जमीन बेचने (father selling land) के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से एक बेहद महत्वपूर्ण फैसला (important decision) सामने आया है। अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं जहां पिता अपनी पुश्तैनी जमीन (ancestral land) या पैतृक संपत्ति (ancestral property) बेच देते हैं और संतान इस पर आपत्ति जताती है। एक ऐसे ही मामले में जब यह विवाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा, तो कोर्ट ने साफ कर दिया है कि किन परिस्थितियों में पिता को संपत्ति बेचने का अधिकार है। यह फैसला करोड़ों परिवारों के लिए अहम है।

यह मामला एक पिता द्वारा अपनी पुश्तैनी जमीन (ancestral land) बेचे जाने से जुड़ा था, जिसे उनके बेटे ने कोर्ट (Court) में चुनौती दी। बेटे का दावा था कि पिता उनकी सहमति के बिना पैतृक संपत्ति (ancestral property) नहीं बेच सकते। इस मामले में पहले हाईकोर्ट (High Court) ने बेटे के पक्ष में फैसला सुनाया था। लेकिन पिता ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी।

सुप्रीम कोर्ट का क्या है फैसला?

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) के तहत पैतृक संपत्ति (ancestral property) से जुड़े नियमों की व्याख्या करते हुए कहा कि एक पिता (father) या हिंदू अविभाजित परिवार (HUF – Hindu Undivided Family) का कर्ता (Karta) कुछ विशेष परिस्थितियों में पैतृक संपत्ति (ancestral property) बेच सकता है, भले ही अन्य सदस्यों की सीधी सहमति न हो।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि पिता संपत्ति (property) को परिवार के फायदे (benefit of the family) के लिए बेच रहा है, जैसे परिवार के खर्चों को चलाने, कर्ज चुकाने (paying debt) या किसी अन्य ज़रूरी पारिवारिक आवश्यकता (family necessity) के लिए, तो उसे ऐसा करने का अधिकार है। यह फैसला हाईकोर्ट (High Court) के फैसले को पलटते हुए दिया गया।

क्या पिता बिना वजह बेच सकते हैं संपत्ति?

हालांकि, कोर्ट (Court) ने यह भी साफ किया कि पिता (father) के पास पैतृक संपत्ति (ancestral property) बेचने का यह अधिकार असीमित (unlimited) नहीं है। पिता बिना किसी ठोस पारिवारिक कारण (valid family reason) या आवश्यकता (necessity) के केवल अपनी मर्जी से संपत्ति (property) नहीं बेच सकते। बिक्री (sale) परिवार के हित (interest of the family) में होनी चाहिए।

जबकि पैतृक संपत्ति (ancestral property) में बेटे का जन्म से अधिकार (right) होता है (birthright), सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने माना कि परिवार के मुखिया (Karta) के तौर पर पिता के पास ऐसी परिस्थितियों में संपत्ति (property) का प्रबंधन करने का अधिकार (right to manage) है जहां बिक्री (sale) पूरे परिवार के हित में हो।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का यह फैसला (decision) पैतृक संपत्ति विवादों (ancestral property disputes) को सुलझाने में एक महत्वपूर्ण मिसाल (precedent) बनेगा और यह स्पष्ट करेगा कि पैतृक संपत्ति (ancestral property) बेचने को लेकर पिता और संतानों के क्या अधिकार (rights) और जिम्मेदारियां (responsibilities) हैं। यह करोड़ों हिंदू परिवारों (Hindu families) के लिए संपत्ति कानून (property law) को लेकर एक बड़ी स्पष्टता प्रदान करता है।