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Join NowMP: मध्य प्रदेश में इन दिनों पुलिस के नए आरक्षकों की ट्रेनिंग एक अनोखी वजह से सुर्खियों में है। इस बार, प्रदेश के 8 अलग-अलग ट्रेनिंग सेंटरों में ट्रेनिंग ले रहे लगभग 3800 नए रंगरूट (कांस्टेबल) फिजिकल और हथियार चलाने की ट्रेनिंग के साथ-साथ रामचरितमानस (Ramcharitmanas) का पाठ करते भी नजर आएंगे। यह पहल मध्य प्रदेश पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (प्रशिक्षण) राजाबाबू सिंह के एक विशेष निर्देश के बाद शुरू हुई है।
इस नई कवायद का उद्देश्य पुलिसकर्मियों को न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक और नैतिक रूप से भी मजबूत बनाना है, ताकि वे तनावपूर्ण परिस्थितियों में भी बेहतर तरीके से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें।
क्यों दिया गया रामचरितमानस पढ़ने का निर्देश?
इस अनोखी पहल की पृष्ठभूमि तब तैयार हुई जब कई नए रंगरूटों ने इच्छा जताई कि उनकी 9 महीने की कठिन ट्रेनिंग उनके गृह जिले के पास के ही ट्रेनिंग सेंटर में होनी चाहिए, ताकि वे अपने परिवार के करीब रह सकें।
इस पर, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) राजाबाबू सिंह ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान नए रंगरूटों को संबोधित करते हुए उन्हें भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लेने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “भगवान राम ने 14 साल वन में बिताए। क्या आप 9 महीने अपने घर से दूर ट्रेनिंग सेंटर में नहीं रह सकते?”
उन्होंने आगे एक आदेश भी जारी किया जिसमें लिखा कि सभी नए पुलिसकर्मियों को प्रेरणा के लिए रामचरितमानस पढ़ना चाहिए, क्योंकि इससे उनके जीवन को नई दिशा, ऊर्जा और सकारात्मकता मिलेगी।
पुलिस की ट्रेनिंग में क्यों जरूरी है रामचरितमानस?
दिन-रात जनता की सेवा में डटे रहने वाले पुलिसकर्मियों का जीवन अत्यधिक तनाव और चुनौतियों से भरा होता है। मध्य प्रदेश पुलिस की यह पहल इसी तनाव को कम करने और एक सकारात्मक कार्यसंस्कृति को बढ़ावा देने का एक माध्यम है।
- तनाव में राहत: रोज की भागदौड़ और तनावपूर्ण माहौल के बीच, यह आध्यात्मिक अभ्यास पुलिसकर्मियों को मानसिक शांति और आत्म-नियंत्रण प्रदान करेगा।
- सकारात्मक कार्यसंस्कृति: रामचरितमानस के नैतिक मूल्यों से पुलिसकर्मियों में आपसी रिश्तों में सौहार्द और जनता के प्रति अधिक संवेदनशीलता बढ़ेगी।
- अनुशासन और प्रेरणा: सत्यनिष्ठा, कर्तव्यपरायणता, सेवा और त्याग जैसे आदर्श अब केवल किताबी ज्ञान नहीं रहेंगे, बल्कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन से सीखकर पुलिसकर्मी अपने कर्तव्यों में और अधिक निखार ला सकेंगे। यह वर्दीधारी कर्मयोगियों के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने की एक कोशिश है।
क्या कहते हैं ट्रेनिंग ले रहे रंगरूट?
इस पहल पर नए रंगरूटों की प्रतिक्रिया भी बेहद सकारात्मक है। न्यूज की टीम ने जब भोपाल स्थित भौरी पुलिस ट्रेनिंग सेंटर का दौरा किया, तो वहां ट्रेनिंग कर रहे आरक्षकों ने इस फैसले का स्वागत किया।
- एक आरक्षक ने कहा, “ADG साहब ने कोई गलत बात नहीं कही है। रामचरितमानस से हमें प्रेरणा ही मिलेगी। हम इससे त्याग, समर्पण और सच्ची सेवा ही सीखेंगे।”
- वहीं, ट्रेनिंग ले रहे कुछ मुस्लिम आरक्षकों ने भी इस पर अपनी सहमति जताई। उन्होंने कहा, “प्रेरणा जहां से भी मिले, वहां से लेनी चाहिए। राम जी अगर वन में रहे, तो हम क्या 9 महीने ट्रेनिंग सेंटर में नहीं रह सकते?”
यह पहल दिखाती है कि मध्य प्रदेश पुलिस अपने बल को आधुनिक चुनौतियों के लिए तैयार करने के साथ-साथ पारंपरिक मूल्यों के जरिए उन्हें नैतिक रूप से भी सशक्त बनाने का एक अनूठा प्रयास कर रही है।