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Join NowLucknow: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) एक बार फिर राजनीतिक गहमागहमी (political turmoil) का केंद्र बन गई है, जहाँ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party – SP) के बीच जुबानी जंग अब सीधे एफआईआर (FIR) और धमकी (threats) के आरोप-प्रत्यारोप तक पहुंच गई है। भाजपा युवा मोर्चा (BJYM) के नगर महामंत्री अमित त्रिपाठी (Amit Tripathi) ने हजरतगंज थाने में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ एक संगीन एफआईआर दर्ज कराई है। अमित त्रिपाठी का आरोप है कि सपा कार्यकर्ताओं ने न केवल उनके द्वारा लगाए गए व्यंग्यात्मक पोस्टरों (satirical posters) को फाड़ दिया, बल्कि उन्हें परिवार सहित जान से मारने की धमकी (death threat to him and his family) भी दी और सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा (abusive language) का प्रयोग किया। यह घटना उत्तर प्रदेश की राजनीति में ध्रुवीकरण (polarization) और रैलिओं में बढ़ते तनाव (rising tension in rallies) की ओर एक गंभीर इशारा है।
‘पोस्टर पॉलिटिक्स’ से भड़की आग: क्या अखिलेश यादव के जन्मदिन का तंज बना मुसीबत?
पूरे विवाद की जड़ 1 जुलाई को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (SP President Akhilesh Yadav) के जन्मदिन पर अमित त्रिपाठी द्वारा लखनऊ के विभिन्न प्रमुख चौराहों पर लगाए गए कुछ व्यंग्यात्मक पोस्टरों को माना जा रहा है। इन पोस्टरों में अखिलेश यादव को जन्मदिन की बधाई देने के साथ-साथ उन पर तंज कसा गया था, जो पार्टी कार्यकर्ताओं को नागवार गुजरा। इन पोस्टरों के सोशल मीडिया पर वायरल (viral on social media) होते ही समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी फैल गई। इसका परिणाम यह हुआ कि दूसरे ही दिन, 1090 चौराहे पर सपा कार्यकर्ताओं ने अमित त्रिपाठी द्वारा लगाए गए इन पोस्टरों को फाड़ दिया, और वहीं हजरतगंज चौराहे पर लगे पोस्टरों को नगर निगम (Nagar Nigam) ने हटा दिया। यह घटना ‘पोस्टर पॉलिटिक्स’ (poster politics) के इतिहास में एक और विवादास्पद अध्याय जोड़ गई है, जिसमें राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को अपमानित करने के लिए अक्सर ऐसे तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
सिर्फ पोस्टर ही नहीं, जान का खतरा भी? सपा कार्यकर्ताओं पर धमकाने और पीछा करने का आरोप!
अब इस मामले में अमित त्रिपाठी ने अपनी शिकायत में जो आरोप लगाए हैं, वे कहीं ज्यादा गंभीर हैं। उन्होंने अपनी एफआईआर में न केवल सपा कार्यकर्ताओं द्वारा पोस्टर फाड़ने का उल्लेख किया है, बल्कि यह भी दावा किया है कि उन्होंने और उनके परिवार को जान से मारने की गंभीर धमकियां दी हैं। त्रिपाठी के अनुसार, सपा कार्यकर्ता उनके घर का पता (home address) तलाश रहे हैं, और उनके घर के बाहर समाजवादी पार्टी के झंडे लगी संदिग्ध गाड़ियां (suspicious vehicles with SP flags) देखी गई हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी उनके खिलाफ गालियों और धमकियों का सिलसिला (series of abuses and threats) जारी है, जो लगातार उनके मानसिक उत्पीड़न का कारण बन रहा है। उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी सीधे तौर पर जान का खतरा (threat to life) होने का दावा किया है। इस तरह के आरोप यूपी की राजनीति में हमेशा गरमागरमी लाते हैं और अक्सर चुनावी माहौल को और भी तीखा कर देते हैं।
पुलिस हरकत में! एफआईआर दर्ज, मामले की गहन जांच शुरू
इन सभी गंभीर आरोपों और घटनाओं के मद्देनज़र, अमित त्रिपाठी ने हजरतगंज थाने में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत एक विस्तृत एफआईआर (FIR) दर्ज कराई है। उन्होंने एफआईआर में सपा कार्यकर्ताओं पर अराजकता फैलाना (creating chaos), धमकी देना (giving threats), और संपत्ति को नुकसान पहुंचाना (damaging property) जैसे संगीन आरोप लगाए हैं।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, लखनऊ पुलिस कमिश्नर एसबी शिरडकर (Lucknow Police Commissioner S.B. Shiradkar) ने पुष्टि की है कि एफआईआर के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि मामले की गहन जांच (thorough investigation) की जा रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई (strict action against culprits) की जाएगी। इस तरह की घटनाओं पर पुलिस का त्वरित एक्शन कानून के शासन (rule of law) को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर जब इसमें राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता शामिल हों। यह मामला लखनऊ में सुरक्षा व्यवस्था और राजनीतिक नेताओं की सुरक्षा पर भी प्रकाश डालता है। यह घटना भारत, अमेरिका और यूके में राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों के तौर-तरीकों पर होने वाली बहसों में भी एक नया बिंदु जोड़ सकती है।