डेस्क रिपोर्ट :
ओडिशा के बालासोर में हुआ रेल हादसा देश के बड़े रेल हादसों में से एक है।इस दुर्घटना तीन ट्रेन एक दूसरे से भिड़ी हैं।कोरोमंडल शालीमार एक्सप्रेस नाम की एक यात्री ट्रेन पटरी से उतरकर बगल में खड़ी एक मालगाड़ी से टकराई।जिसके उसके डिब्बे पटरी से उतर गए और पटरी से उतरे डिब्बों से यशवंतपुर-हावड़ा सुपरफास्ट ट्रेन भी टकरा गई। जानकारी के मुताबिक इस हादसे में करीब 233 लोगों की मौत हुई और 900 के करीब लोग घायल हुए।यह हादसा इतना भीषण था कि देश के बड़े रेल हादसों की लिस्ट में शामिल हो गया है।भारतीय रेलवे के इतिहास में सबसे बड़ा रेल हादसा साल 1981 में हुआ था इस हादसे में करीब 800 लोगों की जान चली गई थी ।6 जून, 1981 यात्रियों से खचाखच भरी एक 9 बोगियों वाली पैसेंजर ट्रेन मानसी से सहरसा के लिए रवाना हुई थी । जैसे ही यह ट्रेन बदला घाट और धमारा घाट स्टेशन के बीच स्थित बागमती नदी के बीच पहुंची तभी ट्रेन नदी पर बनें पुल संख्या-51 से अचानक नदी में जा गिरी। ट्रेन के पिछले 7 डिब्बे ट्रेन से अलग होकर नदी में गिर गए। बरसात का मौसम था तो बागमती का जलस्तर भी काफी बढ़ा हुआ था, इसलिए पलक झपकते ही ट्रेन नदी में डूब गई।ट्रेन के उन 7 डिब्बों में सवार लोगों को बचाने वाला वहां कोई नहीं था।इससे पहले कि आसपास के लोग नदी के पास पहुंचते, तब तक सैकड़ों लोग नदी में डूबकर मर चुके थे।
इस हादसे को भारत का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल हादसा बताया जाता है।इससे पहले 23 दिसंबर, 1964 को पंबन-धनुस्कोडी पैसेंजर ट्रेन रामेश्वरम चक्रवात में बह गई थी, जिसमें 126 से अधिक यात्रियों की मौत हो गई थी ।8 जुलाई 1981 को केरल के पेरुमन के पास आईलैंड एक्सप्रेस की एक लोकल पैसेंजर टक्कर में करीब 150 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।20 अगस्त 1995 को उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस और कालिंदी एक्सप्रेस आपस में टकरा गई थीं। जिसमें लगभग 358 लोगों की मौत हुई थी।26 नवंबर, 1998 को जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस की कालिंदी एक्सप्रेस से हुई टक्कर में करीब 212 लोग मारे गए थे।ये हादसा पंजाब के पास हुआ था।2 अगस्त 1999 को असम के गैसल के पास ब्रह्मपुत्र मेल अवध-असम एक्सप्रेस से टकरा गई थी। जिसमें करीब 290 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।9 सितंबर 2002 को हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस बिहार के रफीगंज में धावे नदी पर एक पुल के ऊपर पटरी से उतर गई, जिससे उसमें सवार 140 से ज्यादा यात्रियों की मौत हो गई थी।28 मई 2010 को मुंबई जा रही ट्रेन झारग्राम के पास पटरी से उतारने की वजह से सामने से आ रही एक मालगाड़ी से टकरा गई थी।इस हादसे में 148 यात्री मारे गए थे।20 नवंबर, 2016 को इंदौर-पटना एक्सप्रेस उत्तर प्रदेश के पुखरायां के पास पटरी से उतर गई थी।हादसे में करीब 150 लोगों की जान चली गई थी। तमाम टेक्नोलॉजी के बाद भी इस तरह की दुर्घटना होना दुखद है बताया जाता है कि तीन ट्रेनों दो पैसेंजर और एक मालगाड़ी के आपस में टकराने से एक बड़ा भयावह हादसा हुआ है। कोरोमंडल एक्सप्रेस सामने से आ रही मालगाड़ी से टकरा गई, जिसके बाद ट्रेन के 10-12 डिब्बे दूसरे ट्रैक पर शिफ्ट हो गए। इस दाैैरान दूसरे ट्रैक पर यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस आ रही थी, इसलिए दो नहीं बल्कि तीन ट्रेनें दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इतने बड़े हादसे का जिम्मेदार कौन है आखिर कैसे यह दुर्घटना हुई ,तमाम निर्दोष लोगो की जान गई इन अब हादसो की जिम्मेदारी कौन लेगा।
योगेंद्र गौतम
उन्नाव
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