Kuberaa Film:  शेखर कम्मुला की ‘कुबेरा’ – धन, लालच और असमानता की जटिल दुनिया का साहसिक अन्वेषण, धनुष-नागार्जुन का जबरदस्त अभिनय

Published On: June 21, 2025
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Kuberaa Film: शेखर कम्मुला की 'कुबेरा' - धन, लालच और असमानता की जटिल दुनिया का साहसिक अन्वेषण, धनुष-नागार्जुन का जबरदस्त अभिनय

Kuberaa Film: फिल्म ‘कुबेरा’ (Kuberaa Film) का आरम्भ ही इसके लेखक-निर्देशक शेखर कम्मुला (Sekhar Kammula) के 25 साल के करियर को स्वीकार करते हुए होता है, और फिल्म का टाइटल कार्ड – ‘शेखर कम्मुला की कुबेरा’ – अपने आप में सब कुछ कह जाता है। ‘कुबेरा’ अपने निर्देशक और उनकी महत्वाकांक्षी कहानी से संचालित है, जो धनुष (Dhanush)नागार्जुन अक्किनेनी (Nagarjuna Akkineni), और रश्मिका मंदाना (Rashmika Mandanna) की स्टार-छवि (Star Aura of Cast) पर निर्भर नहीं करती। शेखर कम्मुला (Sekhar Kammula Direction) इन सितारों से ऐसे किरदार निभाने के लिए कहते हैं जो धन, सत्ता और लालच (Money, Power, Greed) से संचालित एक जटिल दुनिया में रहते हैं। फिल्म की कहानी (Kuberaa Storyline) भले ही पूरी तरह से त्रुटिहीन न हो, लेकिन यह मुख्यधारा के तेलुगु सिनेमा (Mainstream Telugu Cinema) के दायरे में एक साहसिक प्रयास है, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है।

मोटे तौर पर, कुबेरा (Kuberaa Plot) एक पूंजीपति की कहानी है जो गरीबी रेखा (Poverty Line) से नीचे रहने वाले लोगों का शोषण करता है। इन दो बिल्कुल अलग-अलग दुनियाओं का आपस में टकराव (Clash of Two Worlds) ही इस कहानी का मुख्य बिंदु है। एक मल्टी-बिलियनेयर (Multi-Billionaire Jim Sarbh), जिसका किरदार जिम सर्भ (Jim Sarbh as Neeraj Mitra) ने ‘नीरज मित्रा’ के रूप में निभाया है, का मानना ​​है कि ‘शोहरत ही शक्ति है’ (‘Fame is Power’)। वह मुंबई की एक ऊंची इमारत में रहता है जिसमें एक अनंत पूल (Infinity Pool) भी है। वहीं, समाज के दूसरे छोर पर वे लोग हैं जो भीख मांगते हैं, और जिन्हें यह फिल्म ‘अदृश्य’ (The Invisible People) कहती है – ट्रैफिक सिग्नलों पर या पूजा स्थलों पर जिन्हें बस एक असुविधा मानकर अनदेखा कर दिया जाता है।

कुबेरा (Kuberaa Telugu)

  • निर्देशक (Director): शेखर कम्मुला
  • कलाकार (Cast): धनुष, नागार्जुन अक्किनेनी, रश्मिका मंदाना, जिम सर्भ
  • रन-टाइम (Run-time): 182 मिनट
  • कहानी (Storyline): एक बिजनेस टाइकून (Business Tycoon’s Plans) की महत्वाकांक्षी योजनाएं तब खतरे में पड़ जाती हैं जब एक ‘अंडरडॉग’ (Underdog Character) का बचने का हठ अनपेक्षित चुनौतियां (Unexpected Challenges) पैदा करता है।

अभिनय और कथा का चित्रण (Performances and Narrative Depiction):

फिल्म का पहला घंटा इन अलग-अलग दुनियाओं को सामने लाता है। एक तेज़ शुरुआती क्रम (Pacy Opening Sequence) बिजनेस टाइकून की पावर गेम्स (Power Games in Business World) को स्थापित करता है, जो अपनी महत्वाकांक्षा (Ambition of Business Tycoon) के लिए जान लेने से भी नहीं हिचकता। जिम सर्भ (Jim Sarbh Acting) एक ठंडे, हिसाब-किताब करने वाले विरोधी के रूप में अपने किरदार में कोई कमी नहीं छोड़ते। उनकी तेलुगु बोलने (Jim Sarbh in Telugu) की क्षमता, सभी सूक्ष्म भावों के साथ, एक अतिरिक्त बोनस है।

शेखर कम्मुला (Sekhar Kammula’s Non-Formulaic Approach) अपने मुख्य किरदारों को गैर-फॉर्मूलिक तरीके से प्रस्तुत करते हैं। जब धनुष (Dhanush as Deva), ‘देवा’ नाम के भिखारी के रूप में स्क्रीन पर आते हैं, तो दर्शक तालियाँ बजाते हैं। धनुष ने अतीत में समाज के दबे-कुचले वर्गों (Oppressed Sections of Society) का प्रतिनिधित्व करने वाले यथार्थवादी किरदार (Realistic Characters by Dhanush) सराहनीय संगति के साथ निभाए हैं। यहां, वह इसे एक पायदान ऊपर ले जाते हैं। फिल्म की कहानी उन्हें, और उनके सहयोगियों को, भिखारी के जीवन (Life of Beggars) को करीब से देखने के लिए पर्याप्त सामग्री देती है। क्या वे बेहतरीन सूट में संवरे और सजे होने पर भी समझ पाते हैं कि उनके आसपास क्या हो रहा है? क्या उनका न्यूनतम भोजन (Food) और आश्रय (Shelter) जैसी जरूरतों के लिए शोषण किया जा सकता है? एक मार्मिक क्रम उनकी मौत में भी गरिमा की कमी (Lack of Dignity in Death) को दिखाता है। बाद के हिस्सों में, इस पहलू को एक जोशपूर्ण गीत और नृत्य क्रम (Song and Dance Sequence) के माध्यम से उचित रूप से संबोधित किया जाता है।

ये विपरीत ध्रुव वाली दुनिया CBI अधिकारी दीपक तेज (Nagarjuna as CBI Officer Deepak Tej) की मदद से एक-दूसरे के रास्ते पार करती हैं, जो अपना काम करने के लिए अब सलाखों के पीछे (CBI Officer in Jail) हैं। नागार्जुन (Nagarjuna Acting) एक ऐसे आदमी की भूमिका निभाते हैं जो उथल-पुथल में है, एक ऐसा जो सही काम करना चाहता है लेकिन अपनी अंतरात्मा (Go Against Conscience) के खिलाफ जाने के लिए उसे बरगलाया जाता है। नागार्जुन अपने किरदार की पीड़ा को संयमित तीव्रता (Restrained Intensity) के साथ व्यक्त करते हैं। उनकी बॉडी लैंग्वेज (Nagarjuna Body Language) और आँखें एक शेर की दुर्दशा (Plight of a Caged Lion) को बयां करती हैं, जो अब पिंजरे में है।

तकनीकी उत्कृष्टता और यथार्थवादी स्थान (Technical Excellence and Real Locations):

फिल्म की कहानी को अपनी लय (Narrative Rhythm) पकड़ने में थोड़ा समय लगता है, क्योंकि यह विभिन्न किरदारों (Shifting Characters) के बीच घूमती रहती है। निकेत बोम्मी (Niketh Bommi’s Cinematography) की सिनेमैटोग्राफी (Cinematography) और थोटा थारानी (Thota Tharani’s Production Design) का प्रोडक्शन डिज़ाइन (Production Design) नीरज मित्रा (Neeraj Mitra’s Luxurious World) की अत्यधिक शानदार दुनिया को स्थापित करते हैं, जिसमें प्रभावशाली संरचनाएँ (Imposing Structures) उन्हें बौना दिखाती हैं जो उनके लिए काम करते हैं। अन्य समय पर, निकेत और थारानी (Niketh and Tharani) बैकग्राउंड (Working in Background) में काम करते हैं, अदृश्य रहते हैं और सारा ध्यान कहानी और उसके किरदारों (Focus on Story and Characters) पर बना रहने देते हैं। फिल्म के महत्वपूर्ण हिस्से वास्तविक लोकेशंस (Real Locations in Kuberaa) पर फिल्माए गए हैं, जिसमें मुंबई के प्रसिद्ध स्थल (Mumbai Landmarks) से लेकर कचरे के ढेर (Garbage Dumps Mumbai) तक शामिल हैं, और यह सब कहानी में विश्वसनीयता (Adds Credibility to Narrative) जोड़ता है।

कहानी तब चरम पर पहुँचती है जब सारे पत्ते खुल जाते हैं और बचने के लिए चूहे-बिल्ली का खेल (Cat-and-Mouse Game for Survival) शुरू होता है। एक किरदार का जानवरों के प्रति प्रेम (Character’s Love for Animals) भी कहानी में गहराई (Adds Depth to Narrative) जोड़ता है। यदि तीन किरदार – अत्यधिक अमीर (Uber Rich), मध्यम वर्ग (Middle Class) और निचला तबका (Lower Strata) – एक जाल में उलझे हुए काफी नहीं हैं, तो एक चौथा किरदार ड्रामा को एक किनारा देता है। रश्मिका मंदाना (Rashmika Mandanna as Sameera) का ‘समीरा’ के रूप में शांत लेकिन प्रभावी परिचय शॉट (Quiet yet Effective Introduction) सराहनीय है। जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, वह एक रहस्योद्घाटन होती हैं, जो मासूमियत (Innocence), लाचारी (Helplessness) और हल्के हास्य (Gentle Humour) का अद्भुत मिश्रण पेश करती हैं।

उठाए गए प्रश्न और अंतिम भाग की समीक्षा (Questions Raised and Review of Final Portions):

फिल्म के माध्यम से, शेखर कम्मुला (Sekhar Kammula Questions) सवाल करते हैं कि क्या एक आदमी का लालच (One Man’s Greed) और महत्वाकांक्षा (Ambition) सभी को एक सर्पिल (Throw Everyone into a Spiral) में धकेल सकती है। क्या शोषितों के पास गरिमा के साथ (Dignified Survival of Oppressed) जीने का कोई मौका नहीं है? ये प्रश्न बार-बार आते हैं और कभी-कभी लेखन थोड़ा उपदेशात्मक (Writing Gets Preachy) भी लगता है।

फिल्म के सर्वश्रेष्ठ भाग वे हैं जब यह एक थ्रिलर ज़ोन (Thriller Zone in Kuberaa) में होती है और जिसमें हालात बदलने की संभावना होती है। इसमें विश्वास (Trust), विश्वासघात (Betrayal) और मुक्ति की तलाश (Quest for Redemption) है।

हालांकि, फिल्म के अंतिम भाग थोड़े असंबद्ध (Final Portions Unconvincing) लगते हैं। ऐसा लगता है कि निर्देशक, जिन्होंने अपने लंबे समय के सहयोगी चैतन्य पिंगली (Chaitanya Pingali) के साथ फिल्म लिखी है, एक अनुमानित रास्ते से (Move Away from Predictable Path) हटना चाहते थे और इसके बजाय, काव्यात्मक न्याय (Deliver Poetic Justice) देना चाहते थे। कुछ दृश्यों के बीच बदलाव (Abrupt Transitions) भी अचानक महसूस होते हैं। उदाहरण के लिए, यह समझने में थोड़ा समय लगता है कि चार भिखारियों को देश के चार अलग-अलग कोनों से (Beggars from Four Corners of Country) लाया गया है।

एक गर्भवती महिला से जुड़ा एक उप-प्लॉट (Subplot Involving Pregnant Woman) (भले ही इसे सशक्त रूप से चित्रित किया गया है) एक अजीब लगता है; ऐसे ही एक युवा माँ से जुड़ा एक संक्षिप्त फ्लैशबैक (Brief Flashback of Young Mother) भी। कुछ साल पहले, सुजॉय घोष (Sujoy Ghosh) की ‘कहानी’ (Kahaani Remake) के तेलुगु रीमेक (अनामिका के रूप में) को बनाते समय, शेखर ने अपनी नायिका को गर्भवती महिला (Protagonist as Pregnant Woman) के रूप में चित्रित करने से परहेज किया था, यह तर्क देते हुए कि वह केवल संकट में एक गर्भवती महिला को दिखाकर दर्शकों की सहानुभूति (Evoke Audience Sympathy) प्राप्त नहीं करना चाहते थे। हालाँकि, यहाँ, इस पहलू को उछाला गया है और चरित्र का निष्कर्ष गढ़ा हुआ (Character’s Conclusion Contrived) लगता है। विरोधी का एक ‘वन-नोट’ सहायक (One-note Sidekick of Antagonist) भी परेशान करने वाला है।

सकारात्मक पहलू और संगीत (Positive Aspects and Music):

कहानी के पक्ष में काम करने वाले कुछ सूक्ष्म स्पर्श (Subtle Touches in Narrative) देवा के बचपन (Deva’s Childhood) के किस्से और उसकी जीवित रहने की दृढ़ता (Tenacity to Survive) हैं। एक दृश्य में, देवा को एक टूटी पाइपलाइन से बहते पानी में नहाते हुए, ‘पानी बचाओ’ (Save Water Slogan) के शब्दों के खिलाफ, शहरी बुनियादी ढांचे में दरारें (Cracks in Urban Infrastructure) दिखाता है। देवा की बार-बार दिन के बारे में पूछताछ (Deva’s Query about Day of Week) और कैसे यह भोजन और धर्म से जुड़ा है (Ties to Food and Religion) यह एक स्मार्ट अवलोकन है। एक चरित्र कैसे मंदिर में एक हीरे का मुकुट (Diamond Crown to Temple) चढ़ाने का वादा करता है यदि उसकी समस्याएं हल हो जाती हैं, यह भी मज़ेदार है।

संगीतकार देवी श्री प्रसाद (Devi Sri Prasad Music), जो विभिन्न दुनियाओं के बीच कुशलता से स्विच करते हैं, अपने स्कोर (DSP Score for Kuberaa) के साथ कुछ खुरदुरे किनारों को नजरअंदाज करवाते हैं, जो कभी-कभी शांत होता है और कभी-कभी जोशीला।

‘कुबेरा’ गेमचेंजर बनने से थोड़ी चूक जाती है, लेकिन यह एक निर्देशक की ओर से एक साहसिक फिल्म (Brave Film from Sekhar Kammula) है जिसने अक्सर सामान्य से हटकर (Steps Away from the Norm) कदम उठाया है, और प्रासंगिक प्रश्न (Raises Pertinent Questions) उठाए हैं। यही कारण इसे देखने और सराहे जाने के लिए काफी है। कुबेरा (Kuberaa Movie) वर्तमान में सिनेमाघरों में चल रही है।

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