डेस्क। 26 जनवरी, 2023 का गणतंत्र दिवस इस बार भी बेहद खास होने वाला है। बता दें इस साल रिपब्लिक डे की परेड में प्रसिद्ध बीएसएफ ऊंट दल भाग लेगा जो कि 1976 से गणतंत्र दिवस समारोह का हिस्सा बना रहा है।
इस साल परेड में बीएसएफ की पहली महिला टुकड़ी को ऊंट की सवारी करते हुए अपने पुरुष सुरक्षाबलों के साथ कदमताल करते हुए देखा जाएगा। वहीं हाल ही में महिला सुरक्षा बल ऊंट सवार दस्ते का हिस्सा भी बनी है। बीएसफ के ऊंट दस्ते की इन महिला बलों की शाही पोशाक भी होगी। साथ ही इनकी पोशाक प्रसिद्ध डिजाइनर राघवेंद्र राठौर द्वारा डिजाइन भी की गई है।
डिजाइनर राघवेंद्र राठौर द्वारा डिजाइन की गई है ये वर्दी
महिला प्रहारियों के लिए वर्दी भारत के कई क़ीमती शिल्प रूपों का प्रतिनिधित्व भी करती है। साथ ही जो देश के विभिन्न हिस्सों में तैयार की जाती है और राघवेंद्र राठौर जोधपुर स्टूडियो में इन-हाउस असेंबल भी की जाती है। बता दें बीएसएफ कैमल कांटिनजेंट ब्रांड के लिए महिला प्रहारियों की वर्दी के डिजाइन में राजस्थान के इतिहास के सार्टोरियल और सांस्कृतिक तत्वों को भी शामिल किया गया है। साथ ही बीएसएफ महिलाओं के लिए पोशाक डिजाइन करते समय, राष्ट्रीय बलों की वर्दी में से एक को पहनने की कार्यक्षमता विशेषाधिकार और सम्मान परिलक्षित भी करता है।
400 साल पुरानी डंका तकनीक से बनाई गई है ये पोशाक
महिला प्रहारियों की पोशाक प्रतिष्ठित आरआरजे जोधपुरी बंधगला का प्रतिध्वनित भी करता है जो आलीशान, क्लासिक और लालित्य का प्रतीक रहा है। बनारस के विभिन्न ट्रिम्स के लिए हाथ से तैयार किए गए जरदोजी के काम वाले बनावट वाले कपड़े को 400 साल पुरानी डंका तकनीक में बनाया गया है। वहीं इससे अलावा महिला प्रहारियों की वर्दी को आकर्षक पाघ के साथ स्टाइल भी किया गया है। साथ ही वर्दी में एक पगड़ी है जो राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र के विरासत पाघ से प्रेरित है।
पहली बार ऊंट सवार दस्ते में नजर आएंगी भी महिलाएँ
मेवाड़ में प्रतिष्ठा और सम्मान के प्रतीक के रूप में देखे जाने वाला पाघ, राजस्थान के लोगों के सांस्कृतिक पहनावे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। बता दें कि बीएसएफ का ऊंट दस्ता 1976 से गणतंत्र दिवस समारोह की गरिमा को बढ़ाता रहा है और पहली बार बीएसएफ की पहली महिला टुकड़ी अपने पुरुष समकक्षों के साथ ऊंटों की सवारी करती हुई भी दिखाई देगी।