डेस्क। भारतीय सेना (Indian Army) चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (People’s Liberation Army) को अब उसी की भाषा में जवाब देने की तैयारी में जुटी हुई है। इसके लिए सैनिकों को विशेष ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
भारतीय सेना को तेजपुर यूनिवर्सिटी में मेंडेरिन की ट्रेनिंग दी जाएगी और भारतीय सेना के तेजपुर स्थित 4 कोर और तेजपुर विश्वविद्यालय के बीच एक एमओयू पर दस्तखत भी हुए हैं। जिसमें भारतीय सैनिकों को ये ट्रेनिंग देना तय हुआ है और सैनिकों को 16 हफ्ते के लिए ये ट्रेनिंग दी जाएगी।
इस ट्रेनिंग के चलते एलएसी पर फेसऑफ, बॉर्डर पर्सनल मीटिंग के दौरान भारतीय सेना को चीनी सैनिकों की बातचीत को समझने में आसानी भी होगी, इसके साथ ही इंटेलिजेंस को इकट्ठा करने में भी आसानी होगी और चीन ने भी भारतीय भाषा को डीकोड करने के लिए हाल ही में वहां की यूनिवर्सिटी से 19 ट्रांसलेटर चुने हैं।
समझौता ज्ञापन पर भारतीय सेना की ओर से मुख्यालय 4 कोर और तेजपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसएन सिंह के हस्ताक्षर किए है इस सिलेबस से बेहतर चीनी भाषा कौशल के साथ, सेना के जवानों को अपनी बातों को और अधिक सशक्त तरीके से करने के बेहतर अधिकार भी मिलेंगे।
चीन के साथ ही भारत के संबंधों पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को थल सेना से कहा कि वह चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कड़ी निगरानी रखे क्योंकि चीनी सैनिकों की तैनाती को देखते हुए उत्तरी क्षेत्र में स्थिति ‘तनावपूर्ण’ बनी हुई है और सूत्रों ने बताया है कि सेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने बिना किसी विशेष संदर्भ का जिक्र करते हुए, सशस्त्र बलों का आह्वान भी किया कि वे विश्व भर में हो रहे भू-राजनीतिक परिवर्तनों पर गौर करें और अपनी योजना और रणनीतियों को उस अनुसार ढालने का प्रयास भी करें।