डेस्क। इंडियन मुस्लिम फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी (IMSD) नाम के एक संगठन ने समलैंगिक समुदाय को लेकर मज़ाक बनाने और उनका विरोध करने के लिए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) सहित कुछ मुस्लिम संगठनों की आलोचना करी है। इस मंच ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह एक दुखद विडंबना है कि जिस दौर में भारत में मुसलमान इस्लामोफोबिया का सामना कर रहे हैं, इनमें से कुछ रूदीवादी लोग समलैंगिक समुदाय के खिलाफ नफरत भी फैला रहे हैं। उन्हें हेट स्पीच और फ्री स्पीच के बीच का कोई फर्क समझ नहीं आता।
मज़ाक बनाने वालों के खिलाफ दर्ज बयान
इस बयान में जमात-ए-इस्लामी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) और कुछ अन्य संगठनों का नाम भी शामिल है। बयान में यह भी कहा गया है कि यह लोग उन मुसलमानों को डरा रहे हैं जो खुद को एलजीबीटीक्यूआईए+ समुदाय का हिस्सा मानते हैं।
संगठन ने अपने बयान में आगे कहा कि इसमें आश्चर्य की बात नहीं है कि मुस्लिम दक्षिणपंथ और हिंदू दक्षिणपंथ में काफी समानता भी है।
इंडियन मुस्लिम फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी (IMSD) के बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में कवि, गीतकार जावेद अख्तर, अभिनेता नसीरुद्दीन शाह और तीस्ता सीतलवाड़ जैसी प्रतिष्ठित हस्तियां भी शामिल हैं। इस बयान का मुख्य आधार इन संगठनों की ओर से केरल के एक ट्रांसजेंडर जोड़े से की आलोचना से जुड़ा हुआ है। पिछले महीने की खबर है थी कि एक ट्रांस-मैन ज़ाहद फ़ाज़िल और एक ट्रांस-महिला ज़िया पायल ने एक बच्चे के जैविक माता-पिता बनने का फैसला लिया था।
इंडियन मुस्लिम फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी (IMSD) ने कहा कि समलैंगिक लोगों का मज़ाक बनाने से पहले ऐसे मुसलमानों को फ्री स्पीच और हेट स्पीच के बीच के अंतर को समझ लेना चाहिए। बयान में यह भी कहा गया है कि “कुछ संगठन हैं जो समलैंगिक समुदाय का मज़ाक बनाते हैं, उन्हें बीमार बताते हैं, खराब किस्म के लोग कहते हैं, बीमारी के इलाज की सलाह भी देते हैं और कहते हैं कि यह फ्री स्पीच है, यह फ्री स्पीच नहीं बल्कि आपकी हेट स्पीच है। ऐसे लोगों को इस तरह की बातें करने का खुलेआम कोई अधिकार नहीं मिलता है।