डेस्क। Atiq Ahmed And Ashraf Shot Dead: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी ने इस मामले में याचिका दाखिल कर पूरे मामले की पूर्व जज की निगरानी में जांच करने की मांग की है। वहीं इतना ही नहीं याचिका में 2017 से लेकर अब तक यूपी में हुए 183 एनकाउंटर की भी जांच कराने की मांग करी है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति का गठन करने की मांग भी की गई है।
विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि 2020 में कानपुर के बिकरू हत्याकांड के बाद विकास दुबे और उसके सहयोगियों का भी पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया था। और इस मामले को लेकर भी याचिका दाखिल की गई कि पूरे मामले की सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि उनकी जनहित याचिका कानून के शासन के उल्लंघन और पुलिस की बर्बरता के खिलाफ है।
आपको बता दें कि अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की शनिवार को उस समय हत्या कर दी गई जब वह पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद से यूपी पुलिस पर कई सवाल भी उठ रहे हैं।
अतीक के बेटे असद की पुलिस ने 13 अप्रैल को एनकाउंटर कर दिया था साथ ही में एक शूटर मोहम्मद गुलाम भी मारा गया था। दोनों का शनिवार को अंतिम संस्कार किया गया। सुबह दोनों को प्रयागराज के कसारी मसारी कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया गया और 12 घंटे के भीतर की शनिवार रात अतीक और उसके भाई अशरफ की भी हत्या की गई थी। देर रात पुलिस की भारी सुरक्षा के बीच अतीक और अशरफ को भी इसी कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया गया है।
प्रयागराज के धूमनगंज थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर राजेश कुमार मौर्य द्वारा दर्ज प्राथमिकी में बांदा निवासी लवलेश तिवारी (22), हमीरपुर निवासी मोहित उर्फ सनी (23) और कासगंज जिले के अरुण कुमार मौर्य (18) को अतीक अहमद और अशरफ को गोली मारने के आरोप में नामजद किया गया है और तीनों हमलावरों ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि उन्होंने अतीक और अशरफ को उनके गिरोह का सफाया करने और राज्य में अपना नाम बनाने के लिए मार डाला है।
इस एफआईआर के मुताबिक, ‘इन तीनों हमलावरों ने पुलिस को बताया है कि वे सुरक्षा व्यवस्था को भांपने में विफल रहे और इसलिए घटनास्थल से भाग नहीं सके और पकड़े भी गए। उन्होंने यह भी कहा कि अपराधियों को पुलिस रिमांड में भेजे जाने के बाद से ही वे पत्रकारों की भीड़ के साथ अहमद और अशरफ का पीछा भी कर रहे थे।