Union Bank ED: देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Public Sector Banks) में आमतौर पर शीर्ष पदों पर नियुक्ति और स्थानांतरण एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं। हालांकि, हाल ही में केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा लिया गया एक निर्णय असामान्य और चौंकाने वाला (Unusual and Shocking Move) माना जा रहा है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India) के कार्यकारी निदेशक (Executive Director – ED) पंकज द्विवेदी (Pankaj Dwivedi) को पदावनत (Demotion in Banks) कर दिया गया है, यानी उन्हें उनके ऊंचे पद से सीधे महाप्रबंधक (General Manager – GM) के पद पर लौटा दिया गया है। यह आदेश अपने आप में बेहद दुर्लभ है और इसने बैंकिंग गलियारों (Banking Circles) में खासी चर्चा छेड़ दी है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) के अंतर्गत आने वाले वित्तीय सेवा विभाग (Department of Financial Services – DFS) ने एक राजपत्र अधिसूचना (Gazette Notification) जारी कर बताया है कि, “केंद्र सरकार एतद्द्वारा पंकज द्विवेदी की यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक के रूप में नियुक्ति को रद्द (Appointment Cancelled/Revoked) करती है, जो वित्तीय सेवा विभाग की अधिसूचना संख्या दिनांक 27 मार्च 2024 (March 27, 2024 Notification) के माध्यम से की गई थी।” इस घोषणा के साथ ही, सरकार ने उन्हें उनके पिछले पद, यानी पंजाब एंड सिंध बैंक (Punjab & Sind Bank) में महाप्रबंधक (General Manager in Punjab & Sind Bank) के पद पर वापस (Reverted to Previous Post) कर दिया है।
दिल्ली हाई कोर्ट का लंबित मामला बना वजह (Delhi High Court Case Behind Demotion):
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी (Sources Revealed) के अनुसार, सरकार ने यह कठोर निर्णय पंकज द्विवेदी (Pankaj Dwivedi Demotion Reason) के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में लंबित एक महत्वपूर्ण मामले (Case Pending in Delhi High Court) के चलते लिया है। अदालत में यह बताया गया है कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India ED Appointment) में उनके कार्यकारी निदेशक के रूप में उनकी नियुक्ति (Appointment of ED) नियमों का उल्लंघन (Violation of Regulations) थी। इसकी मुख्य वजह सतर्कता मंजूरी (Vigilance Clearance) की कमी बताई जा रही है। किसी भी उच्च सरकारी पद पर नियुक्ति से पहले, विजिलेंस अथॉरिटी (Vigilance Authority) द्वारा व्यक्ति की सत्यनिष्ठा और स्वच्छ रिकॉर्ड की पुष्टि करने वाली सतर्कता मंजूरी अनिवार्य होती है।
यह मामला तब और गरमा गया जब पिछले साल (Last Year PIL), पंकज द्विवेदी की यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के ईडी के रूप में नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (Public Interest Litigation – PIL) दायर (PIL Filed Against Appointment) की गई। अगस्त 2024 (PIL Notice in August 2024) में, तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन (Acting Chief Justice Manmohan) की अगुवाई वाली पीठ (Bench Headed by Justice Manmohan) ने केंद्र सरकार (Central Government), केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC – Central Vigilance Commission) और स्वयं पंकज द्विवेदी को भी इस जनहित याचिका पर नोटिस (Notice Issued on PIL) जारी किया। कोर्ट ने गंभीर सवाल (Court Questions Appointment) उठाते हुए पूछा था कि “विजिलेंस अथॉरिटी (Vigilance Authority Approval) की मंज़ूरी के अभाव में यह नियुक्ति कैसे की गई?” यह दर्शाता है कि अदालतें ऐसे बड़े प्रशासनिक निर्णयों (Administrative Decisions) की निगरानी में कितनी सक्रिय हैं।
निर्णय के निहितार्थ और बैंकिंग सेक्टर पर असर (Implications of the Decision and Impact on Banking Sector):
यह असामान्य पदावनति (Unusual Demotion) सरकारी बैंकों (Government Banks Appointment) में उच्च पदों पर नियुक्तियों में पारदर्शिता (Transparency in Appointments) और जवाबदेही (Accountability) को लेकर सरकार के सख्त रुख को दर्शाती है। ऐसे मामलों में जहां सतर्कता मंजूरी का अभाव होता है, नियुक्तियों को रद्द करना प्रणालीगत अखंडता (Systemic Integrity) सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह निर्णय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकिंग (Public Sector Banking Oversight) के भीतर कॉर्पोरेट गवर्नेंस (Corporate Governance) के महत्व को रेखांकित करता है।
आम तौर पर, उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों के खिलाफ किसी भी तरह की कानूनी कार्यवाही (Legal Proceedings Against Senior Officials) या अनियमितता (Irregularities) उनके करियर पर गहरा असर डालती है। पंकज द्विवेदी का मामला एक मिसाल कायम करेगा कि उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों को भी हर कदम पर अधिक सतर्क रहने और सभी विनियामक मानदंडों (Regulatory Compliance) का पालन करने की आवश्यकता है। यह वित्तीय सेवा विभाग और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC Role) के अधिकारियों की भूमिका को भी मजबूत करेगा, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकारी संस्थानों में भ्रष्टाचार (Corruption Prevention in Government) और अनियमितताओं को नियंत्रित किया जा सके।
यह घटना केंद्रीय कर्मचारियों (Central Government Employees) के बीच भी सतर्कता बढ़ाएगी, क्योंकि इसका सीधा संबंध वरिष्ठ अधिकारियों (Senior Officials’ Accountability) की जवाबदेही से है। यह बैंकिंग सेक्टर में ऐसी उच्च-स्तरीय नियुक्तियों (High-Level Banking Appointments) की समीक्षा प्रक्रिया (Review Process) को और अधिक कड़ा कर सकता है, जिससे भविष्य में ऐसी त्रुटियों से बचा जा सके। कुल मिलाकर, यह कदम भारत के बैंकिंग प्रणाली (Indian Banking System) में विश्वास बनाए रखने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता (Government Commitment) को दर्शाता है।