Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से सरकारी कर्मचारियों (government employees) के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण और बड़ी खबर (breaking news) सामने आई है। दरअसल, देश की सर्वोच्च अदालत ने एक मामले में हाईकोर्ट (High Court) के फैसले को पलटते हुए सरकारी कर्मचारियों के ट्रांसफर (government employee transfer) और वरिष्ठता (seniority) को लेकर एक अहम फैसला (important decision) सुनाया है। यह फैसला उन लाखों सरकारी कर्मचारियों (sarkari karmchari) पर सीधा असर डालेगा जो भविष्य में ट्रांसफर (transfer) लेने की सोच रहे हैं। कोर्ट की ओर से आए इस महत्वपूर्ण निर्णय (Supreme Court judgement) को विस्तार से समझने के लिए इस खबर को पूरा पढ़ें।
स्वैच्छिक ट्रांसफर अब जनहित में नहीं माना जाएगा: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने अपने स्पष्ट आदेश में कहा है कि जो सरकारी कर्मचारी (government employees) अपनी मर्जी या अनुरोध पर ट्रांसफर (voluntary transfer) लेते हैं, उसे किसी भी सूरत में जनहित में हुआ ट्रांसफर (transfer in public interest) नहीं माना जा सकता। जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा की बेंच ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे कर्मचारी (employees) अपनी पिछली या पुरानी नौकरी (previous job) के आधार पर नई पोस्टिंग (new posting) वाली जगह पर सीनियरिटी (seniority) का दावा नहीं कर सकते।
इस फैसले का सीधा मतलब यह है कि स्वैच्छिक ट्रांसफर (swachhik transfer) लेने वाले कर्मचारियों (karmchari) को अब उनकी सीनियरिटी (varishthata) में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। उन्हें नई जगह पर सबसे जूनियर (junior most) माना जाएगा, भले ही उन्होंने अपनी पिछली पोस्ट पर कितने भी साल काम किया हो। यह निर्णय कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) से जुड़े एक पुराने मामले की सुनवाई (case hearing) के दौरान आया, जिसने सरकारी सेवा नियमों (government service rules) की व्याख्या को लेकर एक नई दिशा दी है।
‘मौजूद कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखना जरूरी’
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि जनहित (public interest) में हुए तबादलों (transfers) में सरकारी कर्मचारियों (sarkari karmchari) को नई जगह पर भी अपनी पुरानी वरिष्ठता (old seniority) बरकरार रखने का अधिकार होता है। हालांकि, जब कोई कर्मचारी (employee) खुद अपनी मर्जी से ट्रांसफर (voluntary transfer) मांगता है, तो उसे नई पोस्टिंग (new posting) में सबसे जूनियर (junior) माना जाएगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसा करने के पीछे मुख्य उद्देश्य उस नई जगह पर पहले से कार्यरत कर्मचारियों (existing employees) के हितों की रक्षा करना है। बिना किसी मजबूत जनहित कारण के उनके अधिकारों (employee rights) और वरिष्ठता क्रम (seniority order) को प्रभावित नहीं किया जा सकता। यह फैसला सरकारी नौकरी (government job) में तबादला नीति (transfer policy) को लेकर एक बड़ी मिसाल कायम करेगा।
क्या था पूरा मामला?
यह पूरा मामला कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) से जुड़ा हुआ था। एक स्टाफ नर्स (Staff Nurse) ने 1985 में मेडिकल कारणों (medical grounds) से अपना ट्रांसफर (transfer) फर्स्ट डिवीजन असिस्टेंट (FDA – First Division Assistant) के पद पर चाहा था। मेडिकल बोर्ड (Medical Board) ने भी उनकी बीमारी की पुष्टि की थी। महत्वपूर्ण बात यह है कि नर्स ने लिखित रूप में यह सहमति दी थी कि अगर उनका ट्रांसफर (transfer) FDA के पद पर होता है, तो उन्हें नई जगह पर सबसे नीचे (सबसे जूनियर) रखा जाए। कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) ने 1989 में उनके ट्रांसफर (transfer) को मंजूरी दी और उनकी सीनियरिटी (seniority) की गणना 1989 से ही तय की।
हालांकि, वर्षों बाद 2007 में, उस नर्स ने सरकार के इस फैसले को चुनौती दी और दावा किया कि उनकी सीनियरिटी (seniority) 1989 से नहीं, बल्कि उनकी पहली नियुक्ति (first appointment) की तारीख 5 जनवरी 1979 से गिनी जानी चाहिए, जब वह स्टाफ नर्स के रूप में नियुक्त हुई थीं।
इस मामले में, कर्नाटक प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (Karnataka Administrative Tribunal) और बाद में कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने नर्स के पक्ष में फैसला सुनाया। उन्होंने अपने फैसले के समर्थन में ‘स्टेट ऑफ कर्नाटक बनाम के. सीतारामुलु (2010)’ मामले का हवाला दिया। उस पुराने मामले में, मेडिकल कारणों (medical reasons) से हुए ट्रांसफर (transfer) को जनहित में माना गया था और कर्मचारियों को पुरानी सीनियरिटी (old seniority) बरकरार रखने की अनुमति दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने HC के फैसले को पलटा
राज्य सरकार ने हाई कोर्ट (High Court) के फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी। राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट (SC) ने कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) के उस फैसले को पूरी तरह से पलट दिया। हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में नर्स को उनकी पुरानी नियुक्ति की तारीख (1979) से वरिष्ठता (seniority) का लाभ दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने गलत ठहराया।
जस्टिस नरसिम्हा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि चूंकि नर्स ने खुद स्वेच्छा से ट्रांसफर (voluntary transfer) का अनुरोध किया था और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने नई पोस्टिंग (new posting) में सबसे नीचे (सबसे जूनियर) रहने की शर्त को लिखित में स्वीकार किया था, इसलिए वह अपनी पिछली नियुक्ति की तारीख (previous appointment date) से वरिष्ठता (seniority) का दावा किसी भी हालत में नहीं कर सकतीं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने यह भी टिप्पणी की कि हाई कोर्ट (High court) और ट्रिब्यूनल (Tribunal) का फैसला नई जगह पर पहले से कार्यरत कर्मचारियों (existing employees) के प्रति अन्याय था, जिनकी वरिष्ठता को प्रभावित किया जा रहा था।
कोर्ट ने कहा, “हमारी स्पष्ट राय है कि ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट (High Court) दोनों ने कानूनी तौर पर गलती की है। उन्होंने यह आदेश देकर भारी त्रुटि की कि FDA के पद पर नर्स की सीनियरिटी (seniority) 19 अप्रैल 1989 से नहीं, बल्कि 5 जनवरी 1979 से गिनी जाए, जब उन्होंने स्टाफ नर्स (Staff Nurse) के तौर पर अपनी सरकारी नौकरी (government job) शुरू की थी।” सुप्रीम कोर्ट (SC) ने इस प्रकार सरकारी कर्मचारियों (government employees) के स्वैच्छिक ट्रांसफर (voluntary transfer) से संबंधित वरिष्ठता नियमों (seniority rules) पर स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट कर दी है।
सरकारी कर्मचारियों पर होगा बड़ा असर
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इस ऐतिहासिक फैसले (historic decision) का देश भर के लाखों सरकारी कर्मचारियों (sarkari karmchari) पर सीधा और बड़ा असर पड़ेगा। अब जो भी कर्मचारी (employee) अपनी मर्जी से, व्यक्तिगत कारणों से ट्रांसफर (voluntary transfer) लेंगे, उन्हें निश्चित तौर पर सीनियरिटी (seniority) के मामले में नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्हें नई पोस्टिंग (new posting) में सबसे जूनियर (junior) माना जाएगा, भले ही उन्होंने अपनी पिछली सेवा में कितने ही वर्ष क्यों न दिए हों। यह फैसला सरकारी सेवा नियमों (Government Service Rules) के तहत ट्रांसफर (transfer) और वरिष्ठता (seniority) से जुड़े विवादों को कम करने में मदद कर सकता है, लेकिन कर्मचारियों को अब ट्रांसफर (tadbada) का निर्णय लेते समय अपनी वरिष्ठता (varishthata) के संभावित नुकसान पर गंभीरता से विचार करना होगा। यह खबर सभी सरकारी कर्मचारियों (government employees news) के लिए जानना अत्यंत आवश्यक है।