RBI Account Balance : अक्सर हम सोचते हैं कि अलग-अलग बैंकों (Banks in India) के पास कितना पैसा होगा। देश भर में हज़ारों प्राइवेट और सरकारी बैंक (Private and Government Banks) हैं, जिनके खातों में ग्राहकों और कंपनियों के करोड़ों-अरबों रुपये जमा रहते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन सभी बैंकों के ‘बैंक’, यानी हमारे देश के सर्वोच्च बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (Central Bank of India – Reserve Bank of India) के पास अपने ‘बही खाते’ में आखिर कितना पैसा होता है? यह सवाल वाकई बहुत उत्सुकता भरा है।
अब, हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने खुद अपनी वार्षिक रिपोर्ट (RBI Annual Report) जारी की है, जिसमें उन्होंने अपने वित्तीय लेखा-जोखा (RBI Financial Statement) का पूरा विवरण दिया है। इस रिपोर्ट के ज़रिए RBI (RBI) ने खुद बताया है कि उसके बही खाते (RBI Account Balance) का आकार कितना है और यह पैसा कहाँ से आता है। यह जानकारी न केवल वित्तीय विशेषज्ञों के लिए, बल्कि हर उस भारतीय नागरिक के लिए महत्वपूर्ण है जो देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को समझना चाहता है।
RBI का ‘बही खाता’ क्या है और यह आम बैंकों से अलग क्यों है?
यह समझना ज़रूरी है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) एक सामान्य वाणिज्यिक बैंक की तरह काम नहीं करता। यह देश का केंद्रीय बैंक (Central Bank) है, जिसके काम बहुत अलग और बड़े होते हैं। इसका मुख्य काम मुद्रा जारी करना (Currency Issuance), मौद्रिक नीति (Monetary Policy) बनाना और उसे लागू करना, देश की वित्तीय स्थिरता (Financial Stability) बनाए रखना, सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों का विनियमन (Regulation) करना और सरकार के बैंकर के रूप में काम करना है।
इसलिए, RBI (RBI) का बही खाता या बैलेंस शीट (RBI Balance Sheet) किसी आम बैंक से बहुत अलग और कहीं ज़्यादा बड़ा होता है। इसमें सिर्फ ‘जमा पैसे’ का हिसाब नहीं होता, बल्कि इसमें देश का विदेशी मुद्रा भंडार (India Foreign Exchange Reserves), सोना भंडार (RBI Gold Reserves), विभिन्न सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश, अन्य बैंकों को दिए गए कर्ज और सबसे बढ़कर – देश में चलन में मौजूद कुल नोट और सिक्के (Currency in Circulation) शामिल होते हैं।
RBI के बही खाते में है कुल कितना पैसा?
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) द्वारा जारी किए गए ताज़ा आंकड़ों (RBI Data) के मुताबिक, 31 मार्च 2025 तक उसके बही खाते (RBI Account Balance) का कुल आकार बढ़कर 76.25 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह पिछले साल यानी 31 मार्च 2024 के मुकाबले सालाना आधार पर 8.20 प्रतिशत की बड़ी बढ़ोतरी है। 31 मार्च 2024 तक यह आकार 70,47,703.21 करोड़ रुपये था, जो एक साल में 5,77,718.72 करोड़ रुपये बढ़ा है। यह दिखाता है कि देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ RBI का आकार और उसकी भूमिका भी लगातार बढ़ रही है।
केंद्र सरकार को दिया गया रिकॉर्ड डिविडेंड!
RBI के इस मजबूत वित्तीय प्रदर्शन का एक सीधा फायदा केंद्र सरकार को मिला है। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपये (₹2,68,590.07 करोड़) का रिकॉर्ड डिविडेंड (RBI Dividend to Government) दिया है। यह डिविडेंड RBI के परिचालन अधिशेष (Operating Surplus) में से दिया जाता है, जो इसकी कमाई और खर्च का अंतर होता है। यह सरकार के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत होता है।
संपत्ति में बढ़ोतरी के मुख्य कारण:
RBI की 2024-25 की सालाना रिपोर्ट (RBI Annual Report 2024-25) के मुताबिक, उसकी संपत्तियों (RBI Assets) में यह बढ़ोतरी कई कारणों से हुई है। इनमें सबसे प्रमुख हैं:
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सोना भंडार (Gold Reserves): सोने के मूल्य में वृद्धि और शायद कुछ नई खरीद के चलते सोने के भंडार में तकरीबन 52.09 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी हुई है।
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घरेलू निवेश (Domestic Investments): सरकारी प्रतिभूतियों और अन्य घरेलू संपत्तियों में निवेश में 14.32 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
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विदेशी निवेश (Foreign Investments): देश के विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets) यानी विदेशी मुद्राओं और बॉन्ड में भी 1.70 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, हालांकि सोने और घरेलू निवेश की तुलना में यह कम रही है।
RBI की कमाई और खर्च का हिसाब:
रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान RBI की कुल कमाई (RBI Income) में 22.77 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इसके साथ ही, खर्चों (RBI Expenditure) में भी 7.76 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कमाई ज़्यादा और खर्च कम होने से RBI का समग्र अधिशेष (Overall Surplus) बढ़ा है। साल के आखिर में RBI का अधिशेष ₹2,68,590.07 करोड़ रहा, जो पिछले साल के ₹2,10,873.99 करोड़ से 27.37 प्रतिशत ज़्यादा है। यही अधिशेष केंद्र सरकार को डिविडेंड के रूप में दिया जाता है।
RBI की देनदारी में भी बढ़ोतरी:
RBI के बही खाते में सिर्फ संपत्ति ही नहीं, देनदारियां (RBI Liabilities) भी होती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, RBI की मुख्य देनदारियों में भी बढ़ोतरी हुई है:
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जारी नोट (Notes in Circulation): यानी बाजार में कुल जितने नोट चलन में हैं, उनकी संख्या बढ़ने से यह देनदारी 6.03 प्रतिशत बढ़ी है। यह RBI की सबसे बड़ी देनदारी होती है।
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रिवेल्यूएशन अकाउंट (Revaluation Account): यह सोने और विदेशी मुद्रा भंडार के मूल्य में उतार-चढ़ाव के कारण होने वाले लाभ या हानि को दर्शाता है। इसमें 17.32 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
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अन्य देनदारियां: इसमें बैंकों और सरकार के RBI के पास जमा पैसे और अन्य अल्पकालिक देनदारियां शामिल हैं, जिनमें 23.31 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
संपत्तियों का वितरण:
31 मार्च 2025 तक RBI की कुल परिसंपत्तियों (Total Assets) में घरेलू परिसंपत्तियों (Domestic Assets) का हिस्सा 25.73 प्रतिशत था, जबकि विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets), सोना (Gold) और भारत के बाहर वित्तीय संस्थानों को दिए गए कर्ज एवं अग्रिम राशि का हिस्सा मिलाकर कुल 74.27 प्रतिशत था। पिछले साल (31 मार्च 2024 तक) यह वितरण लगभग 23.31 प्रतिशत घरेलू और 76.69 प्रतिशत विदेशी था, जो घरेलू परिसंपत्तियों के हिस्से में मामूली वृद्धि दर्शाता है।
आपात खर्चों के लिए प्रावधान:
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) अपनी वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए भविष्य के संभावित आपात खर्चों (Emergency Expenditure) के लिए भी फंड अलग रखता है। इस वित्त वर्ष में, RBI ने ₹44,861.70 करोड़ का प्रावधान किया है और इस राशि को अपने इमरजेंसी फंड (Contingency Fund) में ट्रांसफर कर दिया है। यह दिखाता है कि RBI किसी भी अप्रत्याशित आर्थिक झटके से निपटने के लिए कितनी तैयार है।
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) की यह वार्षिक रिपोर्ट देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के स्वास्थ्य और वित्तीय प्रणाली (Indian Financial System) की मज़बूती का एक स्पष्ट चित्र प्रस्तुत करती है। 76.25 लाख करोड़ रुपये का बही खाता आकार और केंद्र सरकार को दिया गया रिकॉर्ड डिविडेंड इसकी सशक्त स्थिति को दर्शाता है। विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) और सोना भंडार (Gold Reserves) में बढ़ोतरी देश की आर्थिक सुरक्षा को बढ़ाती है। यह रिपोर्ट हमें यह समझने में मदद करती है कि हमारा केंद्रीय बैंक कैसे काम करता है और कैसे वह देश की आर्थिक स्थिरता (Economic Stability India) बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।