Income Tax Return: ITR फाइलिंग का मौसम शुरू, डेडलाइन बढ़ी, पर जल्दी फाइल करने के ये हैं फायदे, नोटिस से बचें

Published On: June 17, 2025
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Income Tax Return: ITR फाइलिंग का मौसम शुरू, डेडलाइन बढ़ी, पर जल्दी फाइल करने के ये हैं फायदे, नोटिस से बचें

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Income Tax Return: भारत में आयकर रिटर्न (Income Tax Return – ITR) दाखिल करने का महत्वपूर्ण सीजन एक बार फिर से शुरू हो चुका है, और कई जिम्मेदार करदाता (taxpayers) पहले ही अपने वार्षिक कर दायित्वों को पूरा करने की प्रक्रिया आरंभ कर चुके हैं। हालांकि, वेतनभोगी व्यक्तियों (salaried individuals) का एक बड़ा वर्ग अक्सर अपने नियोक्ता (employer) द्वारा जारी किए जाने वाले फॉर्म 16 (Form 16) का इंतजार करता है, जो आमतौर पर 15 जून तक उपलब्ध करा दिया जाता है। इस वर्ष करदाताओं को कुछ राहत देते हुए, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes – CBDT) ने वित्त वर्ष 2023-24 (आकलन वर्ष 2024-25) के लिए ITR दाखिल करने की समय सीमा (ITR filing deadline) को बढ़ाकर 31 सितंबर कर दिया है। यह विस्तारित समय सीमा निश्चित रूप से करदाताओं को अपना रिटर्न सावधानीपूर्वक तैयार करने और जमा करने के लिए अधिक समय प्रदान करती है।

रिटर्न फाइल करने के लिए अंतिम तिथि का इंतजार न करें – यह महंगा पड़ सकता है!

भले ही आयकर रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करने की समय सीमा बढ़ा दी गई हो, वित्तीय विशेषज्ञों और कर सलाहकारों का स्पष्ट मत है कि करदाताओं को डेडलाइन (deadline) के बिल्कुल करीब आने का इंतजार नहीं करना चाहिए। इसके कई महत्वपूर्ण कारण हैं:

  1. जल्दबाजी में गलतियों की संभावना: अंतिम समय में ITR फाइल करने की हड़बड़ी में अक्सर गलतियां होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। यह गलत जानकारी भरने, कटौतियों का दावा करने में चूक या गलत ITR फॉर्म का चयन करने जैसी त्रुटियां हो सकती हैं।
  2. आय का उल्लेख भूल जाना: जल्दबाजी में रिटर्न फाइल करते समय, करदाता अपनी किसी विशेष आय के स्रोत (source of income), जैसे कि बैंक ब्याज, पूंजीगत लाभ (capital gains), या फ्रीलांसिंग से हुई आय, का उल्लेख करना भूल सकते हैं।
  3. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस: उपरोक्त किसी भी गलती या चूक के परिणामस्वरूप आपको आयकर विभाग (Income Tax Department) की ओर से इनकम टैक्स नोटिस (Income Tax Notice) मिल सकता है, जो अनावश्यक तनाव और परेशानी का कारण बन सकता है। कई बार इसके परिणामस्वरूप जुर्माना या अतिरिक्त ब्याज भी देना पड़ सकता है।
  4. वेबसाइट पर तकनीकी समस्याएं: अंतिम दिनों में आयकर विभाग के पोर्टल पर भारी ट्रैफिक के कारण तकनीकी समस्याएं या सर्वर धीमा होने की आशंका रहती है, जिससे आपको रिटर्न फाइल करने में दिक्कत आ सकती है।
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जल्दबाजी में रिटर्न फाइल करने से होने वाली आम त्रुटियाँ:

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना एक जिम्मेदारी भरा काम है और इसमें पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। अपनी छोटी-बड़ी हर आय की सही जानकारी (correct information of all income) ITR फॉर्म में स्पष्ट रूप से देनी चाहिए। साथ ही, उपलब्ध सभी कटौतियों (deductions) और छूटों (exemptions) का सही तरीके से दावा करना भी महत्वपूर्ण है। इसके बावजूद, यदि आयकर विभाग का नोटिस आता है, तो अनावश्यक रूप से घबराना नहीं चाहिए। खासकर अगर आपने आयकर के नियमों का पालन ठीक तरह से किया है और अपनी सभी आय और निवेशों का सही खुलासा किया है, तो आपको चिंतित होने की कोई विशेष आवश्यकता नहीं है। कई करदाता (taxpayers) इनकम टैक्स नोटिस मिलते ही अत्यधिक तनाव में आ जाते हैं और यह जानने की भी कोशिश नहीं करते कि नोटिस में वास्तव में क्या लिखा है या विभाग उनसे क्या जानकारी चाहता है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और पारदर्शिता:

पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय आयकर विभाग (Indian Income Tax Department) ने अपने कामकाज के तरीकों में व्यापक सुधार करते हुए इसे काफी हद तक डिजिटल (digital) और स्वचालित बना दिया है।

  • सॉफ्टवेयर आधारित प्रोसेसिंग: अब अधिकांश रिटर्न की प्रोसेसिंग (return processing)रिफंड जारी करने (refund issuance) का काम विशेष सॉफ्टवेयर के माध्यम से होता है।
  • आईटीआर फॉर्म की स्क्रूटनी: यहां तक कि आईटीआर फॉर्म की प्रारंभिक स्क्रूटनी (scrutiny) यानी जांच भी सॉफ्टवेयर द्वारा ही की जाती है, जो विसंगतियों को पहचानने में सक्षम है।
  • वित्तीय लेनदेन पर कड़ी नजर: डिपार्टमेंट अब फॉर्म 26AS (Form 26AS) (जिसमें आपके TDS, TCS और उच्च-मूल्य लेनदेन का विवरण होता है) और वार्षिक सूचना विवरण (Annual Information Statement – AIS) के जरिए करदाताओं के विभिन्न वित्तीय लेनदेन (financial transactions) पर पहले से कहीं अधिक कड़ी नजर रखता है। AIS में आपकी बचत खाते का ब्याज, म्यूचुअल फंड लेनदेन, शेयर ट्रेडिंग, संपत्ति की खरीद-फरोख्त आदि जैसी कई जानकारियां होती हैं।

यदि आपके ITR में भरी गई जानकारी और विभाग के पास उपलब्ध इन डेटा स्रोतों (जैसे फॉर्म 26AS और AIS) की जानकारी में कोई विसंगति (mismatch) या कमी (discrepancy) पाई जाती है, तो सिस्टम स्वतः ही संदेह के आधार पर नोटिस जारी कर सकता है।

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इनकम टैक्स नोटिस का मतलब यह नहीं कि आपने अपराध किया है:

यह समझना महत्वपूर्ण है कि आपको इनकम टैक्स नोटिस (Income Tax Notice) मिलने का यह कतई मतलब नहीं है कि आपने कोई बड़ा कर घोटाला (tax fraud) किया है या आप अपराधी हैं। अक्सर, आयकर विभाग केवल किसी विशेष जानकारी को स्पष्ट करने (clarify information), किसी दस्तावेजी प्रमाण की मांग करने या आपके द्वारा दावा की गई किसी कटौती के संबंध में अतिरिक्त विवरण मांगने के लिए नोटिस भेजता है। आपको बस उनके द्वारा उठाए गए सवालों का सही और समय पर जवाब देना होता है। एक बार जब विभाग आपके जवाब और प्रस्तुत साक्ष्यों से संतुष्ट हो जाता है, तो आमतौर पर मामला वहीं हल हो जाता है।

आयकर विभाग द्वारा भेजे जाने वाले विभिन्न प्रकार के नोटिस:

आयकर विभाग आयकर अधिनियम, 1961 (Income Tax Act, 1961) की विभिन्न धाराओं के तहत करदाताओं (taxpayers) को नोटिस जारी करता है। कुछ सामान्य प्रकार के नोटिस इस प्रकार हैं:

  • धारा 142(1) (Section 142(1)): इस धारा के तहत इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ITR फाइल (ITR File) नहीं करने पर प्रारंभिक पूछताछ या नोटिस भेज सकता है। यदि विभाग को आपके द्वारा फाइल किए गए रिटर्न के संबंध में किसी अतिरिक्त दस्तावेज (additional document) या जानकारी की आवश्यकता होती है, तो भी वह इस सेक्शन के तहत नोटिस (notice) भेज सकता है।
  • धारा 139(9) (Section 139(9)): यह नोटिस तब भेजा जाता है जब करदाता (taxpayer) रिटर्न फाइल (return file) करते समय गलत ITR फॉर्म (wrong ITR form) का इस्तेमाल करता है या रिटर्न में कुछ अनिवार्य जानकारी नहीं भरता (defective return)।
  • धारा 143(1) (Section 143(1)): यह एक सूचना (intimation) होती है जो आपके द्वारा फाइल किए गए ITR की प्रारंभिक प्रोसेसिंग के बाद भेजी जाती है। इसमें यह बताया जाता है कि क्या आपकी गणना विभाग की गणना से मेल खाती है, या कोई अतिरिक्त टैक्स देनदारी बन रही है, या कोई रिफंड बन रहा है।
  • धारा 143(2) (Section 143(2)): यदि आपके रिटर्न को विस्तृत जांच (scrutiny assessment) के लिए चुना जाता है तो यह नोटिस जारी किया जाता है।
  • धारा 148 (Section 148): यदि विभाग को यह विश्वास हो कि आपकी कोई आय कर निर्धारण से छूट गई है (income escaping assessment), तो यह नोटिस भेजा जाता है।
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आवश्यकता पड़ने पर टैक्स एक्सपर्ट्स की सलाह अवश्य लें:

यदि आपको कोई आयकर नोटिस (Income Tax Notice) मिलता है, तो सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम यह है कि आप उसे ध्यान से पढ़ें और समझें (read and understand carefully) कि विभाग द्वारा क्या जानकारी मांगी गई है या किस विसंगति की ओर इशारा किया गया है।

  • समय पर जवाब दें: यदि कोई दस्तावेज़ या स्पष्टीकरण मांगा गया है, तो उसे निर्धारित समय-सीमा (within the prescribed time limit) के भीतर जमा करें, क्योंकि हर नोटिस समय-बाध्य (time-bound) होता है और देरी से जवाब देने पर नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।
  • टैक्स एक्सपर्ट से मदद लें: यदि नोटिस की भाषा जटिल है या आपको यह समझ नहीं आ रहा है कि क्या जवाब देना है, तो घबराने के बजाय तुरंत किसी कर विशेषज्ञ (tax expert), चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) या टैक्स सलाहकार से मदद लें। वे नोटिस को सही ढंग से समझने और उसका उचित जवाब तैयार करने में आपकी सहायता कर सकते हैं।
  • त्वरित प्रतिक्रिया आवश्यक है: किसी भी आयकर नोटिस को हल्के में न लें। आपकी त्वरित और सही प्रतिक्रिया न केवल मामले को जल्द हल करने में मदद करेगी बल्कि आपको संभावित जुर्माने और कानूनी जटिलताओं से भी बचाएगी। अपना ई-फाइलिंग पोर्टल (e-filing portal) नियमित रूप से जांचते रहें ताकि कोई भी संचार छूट न जाए।

आईटीआर फाइलिंग (ITR filing) एक वार्षिक कर्तव्य है जिसे हर जिम्मेदार नागरिक को गंभीरता से लेना चाहिए। समय सीमा का इंतजार किए बिना, सभी आवश्यक दस्तावेजों को इकट्ठा करके, अपनी आय और कटौतियों का सही आकलन करके और AIS तथा फॉर्म 26AS से अपनी जानकारी का मिलान करके समय पर ITR फाइल करना सबसे अच्छा तरीका है। यह न केवल आपको अंतिम समय की भागदौड़ (last-minute rush) और संभावित गलतियों से बचाएगा, बल्कि आपको इनकम टैक्स नोटिस (income tax notices) के तनाव से भी काफी हद तक दूर रखेगा। यदि फिर भी कोई नोटिस आता है, तो शांत रहें, उसे समझें और समय पर उचित कार्रवाई करें। जागरूक करदाता (aware taxpayer) ही एक मजबूत राष्ट्र निर्माण में योगदान देता है।

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