Income Tax Department: भारत में हर करदाता (Taxpayer India) से इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) उनकी आय और संपत्ति का विस्तृत ब्योरा मांगता है। यह प्रक्रिया इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return – ITR) दाखिल करने के माध्यम से पूरी की जाती है, जहाँ करदाताओं को विभाग को अपनी वित्तीय गतिविधियों और परिसंपत्तियों से संबंधित कई तरह की जानकारी उपलब्ध करानी होती है। हाल ही में, आयकर विभाग ने एक खास तरह की जानकारी को छिपाने वाले करदाताओं (Non-compliant Taxpayers) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का ऐलान किया है, जिसमें 10 लाख रुपये तक का जुर्माना (Penalty on Hidden Assets) लगाया जा सकता है। यह उन सभी व्यक्तियों के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण अपडेट (Latest Update for Taxpayers) है, जिनके पास विदेशों में संपत्ति या आय है। आयकर विभाग के नियम (IT Department Rules) इस संबंध में काफी सख्त हो गए हैं, और इनके बारे में जानना बेहद जरूरी है, नहीं तो भविष्य में करदाताओं के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है।
आईटीआर में देनी होगी यह अनिवार्य जानकारी (Mandatory Disclosure in ITR)
आयकर विभाग द्वारा जारी दिशानिर्देशों (IT Department Guidelines) के अनुसार, करदाताओं के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय विदेश में अर्जित किसी भी संपत्ति (Foreign Assets Disclosure) या आय (Overseas Income) का खुलासा करना अनिवार्य है। यदि कोई व्यक्ति इस महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाता है या इसका खुलासा करने में विफल रहता है, तो संबंधित व्यक्ति पर 10 लाख रुपये का भारी-भरकम जुर्माना लगाया जा सकता है। आयकर विभाग इस तरह की छिपी हुई आय या संपत्ति को सीधे तौर पर काले धन (Black Money) की श्रेणी में वर्गीकृत करेगा, जिस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। यह नया नियम एसेसमेंट ईयर 2024-25 (Assessment Year 2024-25) के लिए आईटीआर दाखिल करने वाले सभी करदाताओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, और उन्हें इस जानकारी को ITR में शामिल करना सुनिश्चित करना होगा। यह कदम काला धन पर लगाम (Curbing Black Money India) लगाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
क्या कहना है आयकर विभाग का? (Statement from Income Tax Department)
आयकर विभाग ने अपने हालिया कंसल्टेंसी लेटर (IT Department Consultancy Letter) में इस बात पर जोर दिया है कि, “विदेश में रह रहा भारत का कोई निवासी, जो पिछले वित्तीय वर्ष में भारत में किसी भी प्रकार की टैक्स से जुड़ी गतिविधि (Tax-related Activity in India) में शामिल रहा है, तो वह भारत में टैक्स देनदारी (Tax Paying Rules India) के प्रति जवाबदेह है।” ऐसे निवासी को अपनी विदेश में अर्जित आय और संपत्ति की पूरी जानकारी को अपने आईटीआर (ITR for NRIs) में स्पष्ट रूप से शामिल करना होगा। यह नियम उन अप्रवासी भारतीयों (NRIs) पर भी लागू होता है जिनकी भारतीय कर दायरे में कोई न कोई व्यावसायिक या वित्तीय गतिविधि रही है। इसका मतलब है कि केवल भारतीय निवासी ही नहीं, बल्कि भारतीय मूल के वो लोग भी इसकी जद में आ सकते हैं जो भारत से आर्थिक संबंध रखते हैं।
विदेशी संपत्ति और आय को लेकर नए नियम (New Rules for Foreign Assets and Income)
जो भी भारत का निवासी है (Resident in India) और उसकी विदेश में आय या संपत्ति है, उसे आईटीआर फाइलिंग नियमों (ITR Filing Rules) के तहत इसका विस्तृत खुलासा करना अनिवार्य है। जैसा कि पहले बताया गया, इसकी जानकारी ITR में न देने पर करदाता को 10 लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है। आयकर विभाग ने विदेशी संपत्तियों (Foreign Assets Rules) की व्यापक परिभाषा दी है, जिसमें कई प्रकार की वित्तीय परिसंपत्तियों को शामिल किया गया है। इनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:
- विदेशी बैंक खाते (Foreign Bank Accounts): विदेशों में खोले गए किसी भी प्रकार के बैंक खाते।
- नकद मूल्य बीमा अनुबंध (Cash Value Insurance Contracts): ऐसे बीमा उत्पाद जिनका नकद मूल्य हो।
- आय व व्यापार (Income from Business Abroad): विदेशों में किसी भी व्यवसाय या पेशे से अर्जित आय।
- अचल संपत्ति (Immovable Property Abroad): विदेशों में खरीदी गई भूमि या भवन जैसी संपत्तियां।
- इक्विटी और लोन (Equity and Loans Held Abroad): विदेशी कंपनियों के शेयर या अन्य संस्थाओं को दिए गए ऋण।
- हस्ताक्षर प्राधिकार वाले खाते (Accounts with Signatory Authority): ऐसे खाते जहाँ आपका हस्ताक्षर प्राधिकार हो, भले ही आप मालिक न हों।
- संरक्षक खाता (Custodial Accounts): ऐसे खाते जिनमें आपके नाम पर किसी संरक्षक (Custodian) द्वारा संपत्ति रखी गई हो।
- विदेश में रखी पूंजीगत लाभ वाली परिसंपत्ति (Capital Gains Assets Held Abroad): ऐसी परिसंपत्तियां जिनकी बिक्री पर पूंजीगत लाभ होता है और वे विदेश में स्थित हों।
सीबीडीटी भी कर चुका है सचेत (CBDT Warning for Foreign Assets)
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT – Central Board of Direct Taxes) ने इस संबंध में पहले ही सचेत किया था। सीबीडीटी की ओर से यह भी कहा गया था कि वे उन विदेशी भारतीय करदाताओं (Indian Taxpayers Abroad) को एसएमएस (SMS Alerts) और ईमेल (Email Warnings) भेज रहे हैं, जिन्होंने आकलन वर्ष 2024-25 के लिए अपने आईटीआर (Income Tax Return AY 2024-25) पहले ही दाखिल कर दिए हैं, लेकिन उनकी विदेशी संपत्ति का खुलासा इसमें नहीं किया गया है।
यह विभाग यह स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है कि विदेशी संपत्तियों की जानकारी छिपाना भारतीय कानून के तहत एक गंभीर अपराध (Crime to Hide Foreign Assets) की श्रेणी में आता है, जिसके लिए न केवल भारी वित्तीय दंड बल्कि अन्य कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। ऐसे में, सभी करदाताओं के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वे अपनी आय और संपत्ति, विशेषकर विदेशों में मौजूद किसी भी वित्तीय साधन की जानकारी, आयकर विभाग से छिपाएं नहीं। पारदर्शिता बनाए रखना ही कानूनी परेशानी से बचने का एकमात्र तरीका है।