Gold Rate Today : साल 2025 की शुरुआत से ही सोने के दाम मानो रॉकेट की रफ्तार से भाग रहे थे, जिसने खरीदारों और निवेशकों, दोनों को चौंका दिया था। लेकिन अप्रैल महीने में रिकॉर्ड ऊंचाई छूने के बाद से इस पीली धातु की चमक थोड़ी फीकी पड़ने लगी है। अब पिछले तीन दिनों से तो सोने की कीमतों में लगातार गिरावट (Gold price fall) का सिलसिला जारी है। आज, यानी 10 जून 2025 को, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में सोने के भावों में बड़ी नरमी दर्ज की गई है।
अंतरराष्ट्रीय और भारतीय बाजारों में सोने की स्थिति
अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड (Spot Gold) में आज 0.6 फीसदी की गिरावट देखी गई है, जिससे यह 3,307.72 डॉलर प्रति औंस पर आ गया है। वहीं, यूएस गोल्ड फ्यूचर्स (US Gold Futures) भी 0.8 फीसदी सस्ता होकर 3,327.50 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था। यह वैश्विक मंदी भारत के घरेलू बाजार पर भी असर डाल रही है।
भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर भी सोने (MCX Gold Rate) में बड़ी गिरावट आई है। सुबह 11:45 बजे तक, एमसीएक्स पर गोल्ड फ्यूचर्स ₹455 की जोरदार गिरावट के साथ, यानी 0.47 फीसदी सस्ता होकर 96,718 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा था। यह गिरावट उन लोगों के लिए राहत भरी खबर है जो खरीदारी की योजना बना रहे हैं।
क्यों गिर रहे हैं सोने के दाम? एक्सपर्ट्स ने बताई ये वजह
बाजार विशेषज्ञों (Market Experts) ने सोने की कीमतों में आई इस गिरावट (Sone ki kimat mein girawat) के पीछे एक अहम कारण बताया है। उनका कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच पिछले काफी समय से चल रही ‘ट्रेड वॉर’ (Trade War) में अब नरमी आई है। लंदन में दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत जारी है और शुरुआती संकेत सकारात्मक हैं।
सूत्रों के मुताबिक, पहले दिन की बातचीत काफी अच्छी रही है। इस सकारात्मक माहौल का सीधा असर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार (International Currency Market) पर पड़ा है। डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) में मजबूती आई है और यह 0.3 फीसदी तक महंगा हुआ है। डॉलर के मजबूत होने का मतलब है कि गैर-डॉलर मुद्राओं वाले देशों के लिए सोना खरीदना महंगा हो जाता है, क्योंकि सोने का कारोबार मुख्य रूप से डॉलर में होता है। डॉलर की मजबूती अक्सर सोने की कीमतों पर दबाव डालती है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि अमेरिका और चीन के बीच बातचीत सफल रहती है और टैरिफ (Tariff) पर कोई स्पष्ट समझौता हो जाता है, तो आने वाले दिनों में सोने की कीमतों में और भी गिरावट आ सकती है।
रिकॉर्ड ऊंचाई छूने के बाद अब गिरावट का दबाव
यह याद रखना ज़रूरी है कि सोने ने इसी साल अप्रैल महीने में एक नई ऊंचाई का रिकॉर्ड बनाया था, जब कीमतें 3500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई थीं। अब अमेरिका-चीन की बातचीत के नतीजों का सीधा प्रभाव सोने की कीमतों पर देखने को मिलेगा। यदि दोनों देशों के बीच डील फाइनल हो जाती है, तो सोने पर गिरावट का दबाव और बढ़ सकता है और कीमतें 3300 डॉलर से नीचे भी फिसल सकती हैं।
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के एक्सपर्ट्स ने बताया कि केंद्रीय बैंकों द्वारा लगातार सोने की खरीदारी (Central Bank Gold Buying) के बावजूद कीमतों में यह गिरावट (Gold price fall) देखी जा रही है। फिलहाल बाजार की नजरें अमेरिका-चीन की ट्रेड बातचीत और अमेरिका से आने वाले रिटेल इन्फ्लेशन डेटा (US Retail Inflation Data) पर टिकी हुई हैं। यह डेटा फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) की ब्याज दरों (Interest Rates) को लेकर भविष्य की रणनीति तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिसका सीधा असर सोने की चाल पर पड़ेगा।
शॉर्ट टर्म में और गिर सकते हैं सोने के भाव!
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि सोने की कीमतों में शॉर्ट टर्म (Short Term) में और गिरावट देखी जा सकती है। जिस हिसाब से बाजार के संकेत मिल रहे हैं, सोने के भाव 3300 डॉलर प्रति औंस के स्तर से नीचे जा सकते हैं। इसलिए, निवेशकों और खरीदारों को अमेरिका-चीन की बातचीत के परिणामों और अमेरिका के इन्फ्लेशन डेटा (Inflation Data) पर बारीकी से नज़र रखने की सलाह दी गई है।
पिछले 1-2 सालों में सोने ने निवेश के रूप में शानदार रिटर्न (Gold Investment Return) दिया है और कई अन्य एसेट क्लास (Asset Class) से बेहतर प्रदर्शन किया है। साल 2025 में भी अब तक गोल्ड का प्रदर्शन अच्छा रहा है, लेकिन हालिया गिरावट ने बाजार में थोड़ी अनिश्चितता पैदा कर दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में सोने की कीमत (Sone ka rate) किस दिशा में जाती है।