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Join NowIEX: भारतीय शेयर बाजार में उस वक्त भूचाल आ गया, जब इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX) के शेयरों में कारोबार शुरू होते ही 10% की भारी गिरावट दर्ज की गई और यह अपने लोअर सर्किट ₹169.10 पर आकर क्रैश हो गया। इस भारी बिकवाली और निवेशकों में मची अफरातफरी के पीछे की वजह केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (CERC) का वह ऐतिहासिक फैसला है, जिसमें भारत में पावर मार्केट कपलिंग (Power Market Coupling) को औपचारिक रूप से लागू करने की घोषणा की गई है। चिंता की बात यह है कि यह घोषणा IEX के वित्तीय वर्ष 2026 की पहली तिमाही (Q1FY26) के नतीजों के आने से कुछ ही घंटे पहले हुई, जिससे निवेशकों की धड़कनें और तेज हो गईं।
बुधवार देर रात जारी एक आधिकारिक आदेश में, CERC ने स्पष्ट किया कि उसने चरणबद्ध तरीके से मार्केट कपलिंग को शुरू करने का फैसला किया है। इसके पहले चरण में, देश के सभी पावर एक्सचेंजों द्वारा संचालित डे-अहेड मार्केट (Day-Ahead Market – DAM) को जनवरी 2026 तक ‘राउंड-रॉबिन’ मोड का उपयोग करके जोड़ा (Couple) जाएगा।
यह आदेश राष्ट्रीय ग्रिड ऑपरेटर, ग्रिड-इंडिया (Grid-India) और बिजली क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों द्वारा प्रस्तुत की गई दलीलों और महीनों के विचार-विमर्श के बाद आया है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य भारत के बिजली बाजारों में पारदर्शिता बढ़ाना, दक्षता में सुधार करना और कीमतों की बेहतर खोज सुनिश्चित करना है।
क्या है पावर मार्केट कपलिंग, जिसने IEX की कमर तोड़ दी?
पावर मार्केट कपलिंग एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें बिजली की कीमत तय करने की प्रक्रिया को एकीकृत किया जाता है। मौजूदा व्यवस्था में, IEX, PXIL और HPX जैसे कई पावर एक्सचेंज स्वतंत्र रूप से काम करते हैं, ठीक अलग-अलग मंडियों की तरह, जहां खरीदार और विक्रेता बोलियां लगाते हैं और हर एक्सचेंज पर एक अलग कीमत तय होती है। IEX इस बाजार का सबसे बड़ा खिलाड़ी है और उसका लगभग एकाधिकार है।
लेकिन, मार्केट कपलिंग लागू होने के बाद, इन सभी एक्सचेंजों से आने वाली बिजली खरीदने और बेचने की बोलियों (Bids) को एक केंद्रीय पूल में इकट्ठा किया जाएगा। इसके बाद एक केंद्रीयकृत प्रणाली के माध्यम से सभी के लिए एक ही बाजार समाशोधन मूल्य (Market Clearing Price) या एक समान कीमत (Uniform Price) तय की जाएगी। सीधे शब्दों में कहें तो, यह “एक राष्ट्र, एक ग्रिड, एक कीमत” के सिद्धांत पर काम करेगा। इसका लक्ष्य पूरे देश में बिजली की कीमतों में असमानता को कम करना है।
इस नई व्यवस्था के लागू होने से एक्सचेंजों के संचालन, निपटान तंत्र और उनके द्वारा संभाले जाने वाले व्यापार की मात्रा पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। चूंकि डे-अहेड और रियल-टाइम मार्केट में IEX की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है, इसलिए मार्केट कपलिंग से जुड़े इन बड़े परिचालन बदलावों से उसे सीधा और सबसे ज्यादा नुकसान होने की आशंका है। यह कदम उसके एकाधिकार को सीधी चुनौती देता है।
Q1 नतीजों पर भारी पड़ा रेगुलेटरी अपडेट
इस रेगुलेटरी घोषणा का समय भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह IEX के Q1FY26 नतीजों के ठीक पहले आया है। अब निवेशक और विश्लेषक तिमाही के आंकड़ों से ज्यादा कंपनी प्रबंधन की इस रेगुलेटरी बदलाव पर टिप्पणी का इंतजार कर रहे हैं। बाजार यह जानना चाहता है कि इस बदलाव का कंपनी के मुनाफे पर क्या असर पड़ेगा और इस चरणबद्ध कार्यान्वयन के लिए कंपनी की क्या तैयारी है।
इससे पहले IEX ने अपने डे-अहेड मार्केट (DAM), रियल-टाइम मार्केट (RTM), और ग्रीन मार्केट सहित सभी सेगमेंट में व्यापार की मात्रा में लगातार वृद्धि दर्ज की थी। आगामी परिणाम अप्रैल-जून तिमाही के दौरान बिजली की मांग और एक्सचेंज-आधारित व्यापारिक गतिविधि के रुझानों पर और अधिक स्पष्टता प्रदान करेंगे।
IEX शेयर की चाल: निवेशकों के लिए निराशाजनक प्रदर्शन
IEX के शेयर का प्रदर्शन पिछले काफी समय से निवेशकों के लिए चिंता का सबब बना हुआ है:
- पिछले एक साल में, IEX के शेयरों में 3.07% की गिरावट आई है।
- इस साल (YTD), यह 6.21% तक गिर चुका है।
- पिछले छह महीनों में, स्टॉक लगभग सपाट रहा है, जिसमें केवल 0.18% की मामूली गिरावट आई है।
- पिछली तिमाही में, इसमें 11.35% की गिरावट देखी गई, जबकि अकेले पिछले एक महीने में ही इसने 9.93% का नुकसान कराया है।
यह निराशाजनक प्रदर्शन स्पष्ट रूप से बाजार में रेगुलेटरी बदलावों को लेकर चल रही अनिश्चितता को दर्शाता है, जिसकी पुष्टि अब CERC के आदेश से हो गई है।