Bank Cheque Rule : बैंक चेक का इस्तेमाल तो हम सब करते हैं, लेकिन क्या हमें इससे जुड़े सारे नियम पता हैं? एक छोटी सी गलती आपको बड़े फ्रॉड का शिकार बना सकती है। खासकर जब बात चेक के पीछे साइन करने की हो। अक्सर लोग सोचते हैं कि चेक के पीछे साइन करना शायद ज़रूरी है, लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि ऐसा करने से कितना बड़ा वित्तीय जोखिम (Financial Risk) हो सकता है।
आज हम इसी महत्वपूर्ण नियम के बारे में विस्तार से जानेंगे। समझेंगे कि चेक के पीछे साइन कब और क्यों किया जाता है, इसमें क्या खतरा है और आप इससे कैसे बच सकते हैं।
चेक के पीछे साइन करना: कब करें और कब बिलकुल नहीं?
चेक एक तरह का लिखित आदेश है जो आप अपने बैंक को देते हैं कि किसी व्यक्ति या संस्था को आपके खाते से तय की गई रकम का भुगतान कर दिया जाए। यह पैसों के लेन-देन का एक सुरक्षित और सुविधाजनक तरीका माना जाता है। चेक पर आपके हस्ताक्षर (Signature) बहुत मायने रखते हैं, क्योंकि यही बैंक को यह बताते हैं कि चेक आपकी तरफ से ही जारी किया गया है।
लेकिन, यह समझना ज़रूरी है कि हर चेक पर पीछे साइन नहीं किया जाता है।
तो फिर पीछे साइन कब करते हैं? सिर्फ ‘बेयरर चेक’ पर!
चेक के पीछे साइन करने का नियम सिर्फ ‘बेयरर चेक’ (Bearer Cheque) के लिए है। अब यह बेयरर चेक क्या होता है?
बेयरर चेक वो होता है जिस पर ‘Pay to’ के आगे किसी खास व्यक्ति या संस्था का नाम नहीं लिखा होता, या फिर नाम लिखकर उसके आगे ‘Bearer’ शब्द पर लाइन नहीं खींची होती। इसका मतलब है कि जिस किसी के भी हाथ में यह चेक है, वो बैंक जाकर इसे काउंटर पर दिखाकर कैश ले सकता है।
बैंक ऐसे चेक को आपकी सहमति से किया गया लेन-देन मानता है। और सबसे महत्वपूर्ण बात: नियम यह कहता है कि इस तरह के बेयरर चेक से अगर कोई फ्रॉड होता है (यानी कोई गलत व्यक्ति इसे भुना लेता है), तो बैंक इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता है!
क्यों है बेयरर चेक और पीछे साइन करना जोखिम भरा?
सोचिए, अगर आपका साइन किया हुआ बेयरर चेक किसी गलत आदमी के हाथ लग जाए, तो वो आसानी से बैंक जाकर कैश निकाल सकता है। चूंकि इस पर किसी का नाम नहीं है और आपने पीछे साइन कर दिया है (जो एक तरह से ‘एंडोर्समेंट’ माना जाता है, हालांकि आम तौर पर इसे सिर्फ पहचान या रिकॉर्ड के लिए लेते हैं), बैंक इसे वैध मानेगा। और जैसा कि बताया गया, फ्रॉड होने पर बैंक जिम्मेदार नहीं होगा। आपका पैसा डूब सकता है।
सुरक्षित तरीका क्या है?
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‘अकाउंट पेई’ चेक का इस्तेमाल करें: हमेशा चेक पर ‘A/C Payee’ या ‘Account Payee Only’ लिखें। इसका मतलब है कि चेक की रकम सिर्फ उसी व्यक्ति या संस्था के खाते में जाएगी जिसका नाम चेक पर लिखा है। यह सबसे सुरक्षित तरीका है, क्योंकि इसमें कैश नहीं मिलता और पैसा सीधे खाते में जाता है।
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क्रॉस चेक: चेक के ऊपर बाईं ओर दो समानांतर लाइनें खींच दें। इसे क्रॉस चेक कहते हैं। यह भी सुनिश्चित करता है कि भुगतान खाते में ही होगा।
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नाम वाला चेक (ऑर्डर चेक): ‘Pay to’ के आगे व्यक्ति या संस्था का नाम लिखें और ‘Bearer’ शब्द को काट दें। यह ‘ऑर्डर चेक’ बन जाता है, जिसे सिर्फ नामित व्यक्ति ही भुना सकता है (पहचान दिखाने के बाद)।
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बेयरर चेक से बचें: जहाँ तक हो सके, बेयरर चेक जारी करने से बचें। अगर बहुत ज़रूरी हो, तो छोटी रकम के लिए ही करें और देते समय बेहद सावधानी बरतें।
चेक से जुड़ी कुछ और ज़रूरी बातें:
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चेक हमेशा चालू या बचत खाते से ही जारी किया जाता है।
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चेक पर तारीख लिखना अनिवार्य है। बिना तारीख का चेक मान्य नहीं होता।
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चेक जारी होने की तारीख से तीन महीने के लिए वैध होता है।
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चेक पर प्राप्तकर्ता का नाम (अगर ‘Account Payee’ है) साफ और सही लिखें।
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चेक की रकम शब्दों (Words) और अंकों (Figures) दोनों में लिखें, और दोनों समान होने चाहिए।
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चेक पर ओवरराइटिंग (Overwriting) करने से बचें। अगर कुछ गलती हो जाए तो नया चेक इस्तेमाल करें या सुधार करके हस्ताक्षर के साथ पुष्टि करें (लेकिन ज़्यादातर बैंक ओवरराइटिंग वाले चेक स्वीकार नहीं करते)।
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चेक के नीचे 9 अंकों का एमआईसीआर कोड होता है जो चेक क्लियरेंस में मदद करता है।
चेक के पीछे साइन करना आम तौर पर सिर्फ बेयरर चेक के लिए होता है। बेयरर चेक इस्तेमाल करना और उसके पीछे साइन करना जोखिम भरा है क्योंकि अगर यह खो जाता है या चोरी हो जाता है, तो कोई भी इसे कैश करा सकता है और फ्रॉड होने पर बैंक जिम्मेदार नहीं होता। अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने के लिए हमेशा ‘अकाउंट पेई’ या नाम वाले (ऑर्डर) चेक का ही इस्तेमाल करें।