8th Pay Commission Salary : देश के करीब 1.2 करोड़ केंद्रीय कर्मचारी (Central Government Employees) और पेंशनभोगी (Pensioners) बेसब्री से आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन (Formation) और उसकी सिफारिशों (Recommendations) का इंतजार कर रहे हैं। पिछले कुछ समय से वेतन आयोग (Pay Commission) के गठन की संभावनाओं को लेकर अटकलें तेज हैं, और इस बीच फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है। फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) ही वह महत्वपूर्ण आधार है जिस पर नए मूल वेतन (New Basic Salary) की गणना की जाती है, और यही सीधे तौर पर कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की मासिक आय (Monthly Income) को प्रभावित करता है।
हाल ही में सामने आई कुछ रिपोर्ट्स (Reports) के मुताबिक, आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) में फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) को बेसिक सैलरी (Basic Salary) पर लागू किया जाएगा। यह खबर लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए राहत भरी हो सकती है, क्योंकि इससे उनकी सैलरी और पेंशन (Salary and Pension) में अच्छी खासी बढ़ोतरी (Significant Increase) होने की उम्मीद है। हर कर्मचारी और पेंशनभोगी यह जानने को उत्सुक है कि संभावित फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) के कारण उनकी आय में वास्तव में कितनी वृद्धि होगी।
8वें वेतन आयोग के गठन की प्रक्रिया और ToR
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार (Central Government) बहुत जल्द आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के संदर्भ की शर्तें (Terms of Reference – ToR) जारी कर सकती है। ToR वेतन आयोग के कार्यक्षेत्र, उद्देश्य और कार्यप्रणाली को परिभाषित करता है। एक बार ToR को अंतिम रूप दिए जाने के बाद, वेतन आयोग (Pay Commission) के अध्यक्ष (Chairman) और प्रमुख सदस्यों (Members) की नियुक्ति की जाएगी।
पिछले महीने, वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने दो अलग-अलग सर्कुलर (Circulars) जारी किए थे, जिनमें संकेत दिया गया था कि 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के लिए लगभग 40 विभिन्न पदों पर कर्मियों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। इन पदों पर विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारी प्रतिनियुक्ति (Deputation) के आधार पर नियुक्त किए जाएंगे। यह दर्शाता है कि सरकार आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन की दिशा में धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही है।
कर्मचारियों की मांग: उच्च फिटमेंट फैक्टर (High Fitment Factor)
केंद्रीय कर्मचारी संगठन (Central Employee Unions) आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) से काफी उम्मीदें लगाए हुए हैं। उनकी प्रमुख मांगों में से एक उच्च फिटमेंट फैक्टर (High Fitment Factor) है। कर्मचारी संगठन 2.86 के फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor of 2.86) की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि यह फैक्टर कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और पेंशन में एक पर्याप्त और न्यायोचित वृद्धि सुनिश्चित करेगा, जो मौजूदा महंगाई (Inflation) और जीवन स्तर (Cost of Living) को देखते हुए आवश्यक है। हालांकि, सरकारी खजाने पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ (Financial Burden) को देखते हुए सरकार द्वारा इस उच्च मांग को पूरी तरह स्वीकार करना शायद आसान न हो।
फिटमेंट फैक्टर का गणित: सैलरी पर कैसे पड़ेगा असर?
मीडिया रिपोर्ट्स और एक्सपर्ट्स के अनुसार, फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) को कर्मचारी की बेसिक सैलरी (Basic Salary) पर सीधे तौर पर लागू किया जाएगा। इसका मतलब है कि नई बेसिक सैलरी (New Basic Salary) की गणना मौजूदा बेसिक सैलरी (Current Basic Salary) को फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) से गुणा करके की जाएगी।
उदाहरण के लिए:
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यदि फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) 1.92 होता है, और किसी कर्मचारी की मौजूदा बेसिक सैलरी (Basic Salary) ₹18,000 है (जो सातवें वेतन आयोग में न्यूनतम बेसिक सैलरी थी), तो उसकी नई न्यूनतम बेसिक सैलरी (Minimum Basic Salary) ₹18,000 * 1.92 = ₹34,560 होगी।
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यदि कर्मचारी संगठनों की मांग के अनुसार फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) 2.86 लागू होता है, तो ₹18,000 की मौजूदा बेसिक सैलरी (Basic Salary) बढ़कर ₹18,000 * 2.86 = ₹51,480 तक पहुँच जाएगी।
यह स्पष्ट है कि फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) जितना अधिक होगा, बेसिक सैलरी (Basic Salary) में उतनी ही अधिक वृद्धि होगी, जिसका सीधा असर कर्मचारी के कुल वेतन (Total Salary) और पेंशन (Pension) पर पड़ेगा।
पिछले वेतन आयोगों का अनुभव: 6वां और 7वां वेतन आयोग
आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) से पहले के वेतन आयोगों का अनुभव भी महत्वपूर्ण है:
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छठे वेतन आयोग (6th Pay Commission): इसमें फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) 1.86 था। हालांकि फैक्टर अपेक्षाकृत कम था, लेकिन उस समय कुल वेतन और भत्तों में वास्तविक वृद्धि (Actual Salary Hike) लगभग 54 प्रतिशत हुई थी।
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सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission): इसमें फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) बढ़कर 2.57 हो गया था। फैक्टर में वृद्धि के बावजूद, कुल वेतन और भत्तों में वास्तविक वृद्धि लगभग 14 प्रतिशत ही हुई थी।
यह दिखाता है कि केवल फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) ही एकमात्र निर्धारक नहीं होता; विभिन्न भत्तों (Allowances) और इंक्रीमेंट (Increment) की दरों में बदलाव भी वास्तविक वेतन वृद्धि (Actual Salary Increase) को प्रभावित करता है। हालांकि, बेसिक सैलरी (Basic Salary) में बढ़ोतरी कुल वेतन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है।
कर्मचारियों की उम्मीदें और सरकार की तैयारी
देश भर के लगभग 47 लाख केंद्रीय कर्मचारी (Central Employees) और 65 लाख पेंशनभोगी (Pensioners) इस समय सरकार द्वारा ToR को अंतिम रूप दिए जाने और वेतन आयोग (Pay Commission) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उनकी मुख्य चिंता यह सुनिश्चित करना है कि आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की सिफारिशों को समय पर लागू किया जा सके।
सरकार की योजना के अनुसार, आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को जनवरी 2026 (January 2026) से लागू किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 (December 31, 2025) को समाप्त हो रहा है। पिछला यानी सातवां वेतन आयोग (7th Pay Commission) 2016 में लागू हुआ था, और उस समय सरकार पर लगभग ₹1.02 लाख करोड़ (Rupees 1.02 Lakh Crore) का अतिरिक्त वार्षिक वित्तीय बोझ पड़ा था। नए वेतन आयोग (Pay Commission) के लागू होने से निश्चित रूप से सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) के वेतन (Salary) और भत्तों (Allowances) में व्यापक संशोधन (Comprehensive Revision) की उम्मीद है।
आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) का गठन केंद्रीय कर्मचारियों (Central Employees) और पेंशनभोगियों (Pensioners) के लिए एक बड़ा वित्तीय घटनाक्रम (Financial Event) है। फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) का बेसिक सैलरी (Basic Salary) पर लागू होना एक महत्वपूर्ण संकेत है कि वेतन में अच्छी वृद्धि की उम्मीद है। कर्मचारी संगठन उच्च फिटमेंट फैक्टर की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार वित्तीय स्थिरता (Fiscal Stability) का भी ध्यान रखेगी। आने वाले समय में ToR जारी होने और आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के बाद ही आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की सिफारिशों की स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी। तब तक, कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की निगाहें सरकार के अगले कदम पर टिकी रहेंगी, जो सीधे तौर पर उनकी आर्थिक स्थिति (Economic Condition) को प्रभावित करेगा।