डेस्क। समाजवादी पार्टी के एमएलसी और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने रामचरित मानस को लेकर विवादित टिप्पणी भी की थी। वहीं उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो गया है। साथ ही अब स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी और बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्य (BJP MP Sanghmitra Maurya) ने अपने पिता का समर्थन भी किया है।
इसके साथ ही संघमित्रा मौर्य ने कहा कि उनके पिता द्वारा उठाए गए हिंदू धार्मिक पाठ के बारे में बिंदुओं पर एक स्वस्थ चर्चा भी होनी चाहिए।
इसके साथ ही संघमित्रा मौर्य बदायूं से सांसद भी हैं। वहीं उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा है कि, “एक व्यक्ति के लिए जो भगवान बुद्ध (Lord Budha) को मानता है और भगवान राम (Lord Ram) को भाजपा में रहते हुए स्वीकार भी करता है, वहीं मेरे पिता ने रामचरितमानस के एक श्लोक के बारे में संदेह भी जताया है क्योंकि यह राम के संदेश के बिल्कुल खिलाफ है। वहीं यह बहस या विवाद का विषय नहीं है बल्कि ये विश्लेषण का विषय बन चुका है।”
संघमित्रा मौर्य ने द इंडियन एक्सप्रेस से यह भी कहा, “हर किसी को अपनी शंका जताने का अधिकार है। वहीं कोई युवा छात्र संदेह भी व्यक्त करता है, तो उसके शिक्षकों और माता-पिता को संदेह स्पष्ट भी करना चाहिए।
रामचरितमानस (Ramcharitmanas) में भगवान राम ने शबरी (Shabri) द्वारा चढ़ाए गए बेर को उसकी जाति को महत्व दिए बिना खाया लेकिन अगली चौपाई में उसकी जाति का वर्णन भी किया गया है। इसके साथ ही अगर किसी ने संदेह जताया है तो विशेषज्ञों, बुद्धिजीवियों और विद्वानों को मीडिया में बहस करने के बजाय संदेह पर चर्चा और विश्लेषण भी करना चाहिए।”
संघमित्रा मौर्य ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हर किसी को अपनी शंका जताने का अधिकार भी है। यदि कोई युवा छात्र संदेह व्यक्त करता है, तो उसके शिक्षकों और माता-पिता को संदेह स्पष्ट भी करना चाहिए।
वहीं रामचरितमानस (Ramcharitmanas) में भगवान राम ने शबरी (Shabri) द्वारा चढ़ाए गए बेर को उसकी जाति को महत्व दिए बिना खाया लेकिन अगली चौपाई में उसकी जाति का वर्णन भी किया गया है। साथ ही अगर किसी ने संदेह जताया है तो विशेषज्ञों, बुद्धिजीवियों और विद्वानों को मीडिया में बहस करने के बजाय संदेह पर चर्चा और विश्लेषण भी करना चाहिए।”