राजनीति- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जब युक्रेन रसिया युद्ध के दौरान स्पष्ट तौर पर रूस का सहयोग दिया तो पूरे विश्व के जानकारों ने भारत के परिपेक्ष्य में तरह तरह की बातें करना आरंभ कर दिया।
विशेषज्ञ का कहना था कि चीन के इस रुख से भारत और रूस के रिश्ते में कुछ दूरी आएगी और चीन रूस का सबसे करीबी देश बन जाएगा। जिसके बाद भारत की परेशानियां बढ सकती हैं। लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ। चीन भले ही रूस का हितैषी बन गया लेकिन रूस का भारत से जुड़ाव और लगाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन आय दिन भारत की सराहना करते दिखाई देते हैं। उनका यह रुख इस बात का सबूत है कि भारत की जगह कोई अन्य देश नहीं ले सकता। लेकिन इस सबके बाद भी भारत का डर कहीं न कहीं सही भी है क्योंकि रूस हित भले ही भारत का करता है। लेकिन चीन के साथ बीते कई महिनों में रूस का निवेश बढ़ गया है।
आज के समय मे चीन पर रूस की निर्भरता बढ़ गई है। वहीं चीन बार बार रूस के पक्ष में खुलकर खड़ा हो रहा है जो कहीं न कहीं रूस का विश्वास जीत रहा है। अभी हाल ही में चीन ने बयान दिया कि रूस की सुरक्षा चिंताओं का भी ख़्याल रखा जाना चाहिए।
क्या चीन और अमेरिका की दोस्ती भारत के लिए खतरा–
जानकारों का कहना है रूस की चीन पर बढ़ती निर्भरता वास्तव में यदि किसी के लिए खतरा साबित हो सकती है तो वह है अमेरिका। क्योंकि अमेरिका अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप से युक्रेन के समर्थन में खड़ा है। वहीं चीन का भी अमेरिका द्वारा कई दफा विरोध किया गया है। जिस कारण यह साफ है कि चीन और रूस के नजदीक आने का मकसद अमेरिका को निशाना बनाना है।
वहीं भारत को इससे डरने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि चीन से रूस का निवेश बढ़ रहा है तो वह उनके लिए उनका व्यक्तिगत मामला है। लेकिन भारत के प्रति रूस का जो रख है वह इस बात का सबूत है कि पुतिन भारत को लेकर काफी झुकाव रखते हैं और उन्हें भारत के नेतृत्व पर विश्वास है।
रूस हालाकि कभी भी भारत के खिलाफ नहीं जाएगा। लेकिन यह बात सत्य है कि आगामी समय भारत के लिए सरल नहीं होगा। क्योंकि भारत धीरे धीरे विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है और आगमी समय मे भारत की कामयाबी कई देशों की आंखों में खटक सकती है।