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Join NowKargil Vijay Diwas 2025: आज पूरा भारतवर्ष 26वां कारगिल विजय दिवस मना रहा है। यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से अंकित गौरव, शौर्य और अटूट संकल्प का एक जीवंत प्रतीक है। यह वह दिन है जो हमें याद दिलाता है उस अदम्य साहस की, जब 1999 में हमारे वीर जवानों ने दुनिया की सबसे दुर्गम चोटियों पर, माइनस डिग्री तापमान, लगातार हो रही दुश्मन की गोलाबारी और सांसें रोक देने वाली ऊंचाई पर तिरंगा दोबारा फहराया था।
इस ऐतिहासिक अवसर पर, कृतज्ञ राष्ट्र अपने उन सपूतों को नमन कर रहा है जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। भारतीय वायु सेना से लेकर देश के सर्वोच्च नेतृत्व तक, हर कोई उन नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है।
राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक, राष्ट्र ने किया वीरों को नमन
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने भावुक संदेश में कहा, “कारगिल विजय दिवस के अवसर पर मैं मातृभूमि के लिए प्राण न्योछावर करने वाले वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। यह दिवस हमारे जवानों की असाधारण वीरता, साहस एवं दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। देश के प्रति उनका समर्पण और सर्वोच्च बलिदान देशवासियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा।”
सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कारगिल के वीरों को याद करते हुए कहा, “करगिल विजय दिवस भारतीय सेना के अद्वितीय साहस, शौर्य और अटूट संकल्प का प्रतीक है। इस गौरवपूर्ण अवसर पर हम उन वीरों को नमन करते हैं जिनके पराक्रम से यह ऐतिहासिक विजय संभव हुई। भारतीय सेना राष्ट्र की सम्प्रभुता और स्वाभिमान की रक्षा के लिए सदैव प्रतिबद्ध है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए अपने उद्गार व्यक्त किए, “देशवासियों को कारगिल विजय दिवस की ढेरों शुभकामनाएं। यह अवसर हमें मां भारती के उन वीर सपूतों के अप्रतिम साहस और शौर्य का स्मरण कराता है, जिन्होंने देश के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। मातृभूमि के लिए मर-मिटने का उनका जज्बा हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा।”
ऑपरेशन विजय: जब दुश्मन ने पीठ में छुरा घोंपा
मई 1999 की शुरुआत में, जब भारत-पाकिस्तान के बीच शांति की बातें चल रही थीं, दुश्मन ने धोखे से नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर कारगिल की ऊंची और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारतीय चौकियों पर कब्जा कर लिया था। इन घुसपैठियों का नापाक मकसद श्रीनगर को लेह से जोड़ने वाले जीवनरेखा-समान राष्ट्रीय राजमार्ग 1A को काटना और सियाचिन ग्लेशियर से भारत का संपर्क तोड़ना था। उन्होंने सोचा था कि इस ऊंचाई पर भारत कोई प्रभावी जवाबी कार्रवाई नहीं कर पाएगा, लेकिन उन्होंने भारत के फौलादी इरादों को बहुत कम आंका था।
इसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन विजय’ लॉन्च किया। यह सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि भारत के आत्मसम्मान की लड़ाई थी। इसमें गहरी रणनीतिक योजना, मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और भारतीय सैनिकों का वो जज्बा शामिल था जिसके सामने पहाड़ भी बौने साबित हुए।
एक-एक इंच के लिए संघर्ष, लहू से लिखी गई विजयगाथा
दो महीने से भी अधिक समय तक चले इस भीषण संघर्ष में भारतीय सेना और वायु सेना ने कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी। हमारे सैनिकों ने उन दुर्गम इलाकों में, जहां ऑक्सीजन भी पूरी नहीं मिलती, इंच-दर-इंच जमीन के लिए युद्ध किया। टाइगर हिल, तोलोलिंग, बटालिक जैसी चोटियां हमारे वीरों के शौर्य की गवाह बनीं, जब तक कि आखिरी घुसपैठिये को खदेड़ नहीं दिया गया और हर चौकी पर तिरंगा शान से लहरा नहीं दिया गया।
द्रास में होगा भव्य आयोजन, सेना लॉन्च करेगी 3 महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट
इस गौरवशाली दिन का मुख्य समारोह लद्दाख के कारगिल जिले स्थित द्रास में आयोजित किया जाएगा, जहां केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी उपस्थित रहेंगे। जानकारी के अनुसार, इस दौरान सेना राष्ट्र को समर्पित तीन बेहद महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भी लॉन्च करने जा रही है, जिन पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं। यह सालगिरह न केवल हमारे नायकों को याद करने का अवसर है, बल्कि यह भारत की एकता, अखंडता और उस भावना का प्रतीक है कि जब देश की संप्रभुता पर आंच आती है, तो पूरा राष्ट्र एक होकर खड़ा हो जाता है। जय हिन्द