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Join NowYogi government: उत्तर प्रदेश विकास की एक नई रफ्तार पकड़ चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश की तस्वीर बदलने वाली परियोजनाओं पर लगातार काम हो रहा है। इसी कड़ी में, यूपी कैबिनेट ने एक ऐसे ऐतिहासिक प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है जो न केवल राज्य के दो प्रमुख हिस्सों को जोड़ेगा, बल्कि दिल्ली-एनसीआर से बिहार तक की यात्रा को हमेशा के लिए बदल देगा। पेश है 49 किलोमीटर लंबा एक नया लिंक एक्सप्रेसवे, जो विकास की एक नई कहानी लिखने को तैयार है।
क्या है यह महा-परियोजना जो जोड़ेगी दो छोरों को?
कल्पना कीजिए, आप दिल्ली या आगरा से तेज रफ्तार आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर चल रहे हैं और आपको बिना किसी रुकावट, बिना शहर के ट्रैफिक में फंसे सीधे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर पहुंचना है। अब यह कल्पना हकीकत बनने जा रही है। योगी सरकार ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ने वाले एक 6-लेन लिंक एक्सप्रेसवे को मंजूरी दे दी है। यह गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के बाद प्रदेश का दूसरा ऐसा महत्वपूर्ण लिंक एक्सप्रेसवे होगा, जो दो प्रमुख मार्गों (highways) को आपस में जोड़ेगा।
लखनऊ के ट्रैफिक जाम से मिलेगी मुक्ति, बचेगा समय और ईंधन
अभी तक की व्यवस्था के अनुसार, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से आने वाले वाहनों को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पकड़ने के लिए या तो घने ट्रैफिक वाले लखनऊ शहर के अंदर से होकर गुजरना पड़ता था या फिर लंबे आउटर रिंग रोड का चक्कर काटना पड़ता था। इस प्रक्रिया में न केवल घंटों का कीमती समय बर्बाद होता था, बल्कि ईंधन की भी अतिरिक्त खपत होती थी।
यह नया 49 किलोमीटर का लिंक एक्सप्रेसवे इस समस्या का रामबाण इलाज है। इसके बनने के बाद वाहन आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के पहले टोल प्लाजा के पास से ही एक सीधा रास्ता लेकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के पहले टोल प्लाजा तक पहुंच सकेंगे। इसका सबसे बड़ा फायदा लखनऊ शहर को मिलेगा, जिसका ट्रैफिक लोड आश्चर्यजनक रूप से कम हो जाएगा और शहरवासियों को जाम से बड़ी राहत मिलेगी।
विकास का नया गलियारा: लागत और भविष्य की योजना
इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर योगी कैबिनेट ने औद्योगिक विकास विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 4776 करोड़ रुपये है, जिसमें सड़क निर्माण के साथ-साथ भूमि अधिग्रहण का खर्च भी शामिल है। अब इस विशाल एक्सप्रेसवे का निर्माण करने के लिए एक निजी कंपनी का चयन किया जाएगा, जो न केवल इसका निर्माण करेगी बल्कि अगले 5 वर्षों तक इसके रखरखाव की जिम्मेदारी भी संभालेगी।
भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इस एक्सप्रेसवे को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे आसानी से आठ लेन तक चौड़ा किया जा सके, जो इस मार्ग पर आने वाले दशकों के ट्रैफिक को संभालने में सक्षम होगा।
सिर्फ एक सड़क नहीं, औद्योगिक प्रगति का द्वार
सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस लिंक एक्सप्रेसवे के साथ-साथ कुल 30 अहम प्रस्तावों को हरी झंडी मिली है। इनमें बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण नियमावली का प्रस्ताव भी शामिल है। यह दर्शाता है कि सरकार की मंशा सिर्फ कनेक्टिविटी सुधारना नहीं, बल्कि इन एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक विकास को गति देना भी है। यह नया एक्सप्रेसवे पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश के बीच एक आर्थिक गलियारे (economic corridor) के रूप में काम करेगा, जिससे व्यापार और उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यह निर्णय राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।