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Join NowPersonal loan: क्या आपकी नौकरी छूट गई है, अचानक पैसों की तंगी आ गई है, या बिज़नेस में घाटा हो गया है? कोरोना जैसी अप्रत्याशित परिस्थितियों ने कई लोगों को आर्थिक मुश्किल में डाल दिया है। ऐसे में, छोटा-मोटा पर्सनल लोन (personal loans) चुकाना भी मुश्किल हो सकता है, खासकर ₹10,000 से कम के लोन में डिफॉल्ट का मामला ज़्यादा देखा जाता है। भारत के प्राइवेट बैंक (Private Banks in India) धीमी आर्थिक वृद्धि के कारण इस साल ऐसे छोटे और पर्सनल लोन पर डिफॉल्ट (default) बढ़ने की आशंका जता रहे हैं।
पर्सनल लोन एक अनसिक्योर्ड लोन (Unsecured loan) होता है, यानी इसके लिए बैंक आपसे कुछ भी गिरवी नहीं रखवाता। लेकिन, इसके बावजूद, पर्सनल लोन में डिफॉल्ट करने पर आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है! आइए जानते हैं कि यदि आप पर्सनल लोन नहीं चुका पाते हैं, तो आपको किन-किन कानूनी और वित्तीय झटकों का सामना करना पड़ सकता है:
1. लेट पेमेंट चार्ज और पेनल्टी: जेब पर पड़ेगा सीधा असर!
बैंक आमतौर पर पर्सनल लोन की EMI आपके खाते से ऑटो-डेबिट के ज़रिए काटते हैं। अगर ड्यू डेट पर आपके खाते में पर्याप्त राशि नहीं है, तो बैंक पेनल्टी लगाएंगे। यह पेनल्टी हर बैंक में अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए, ICICI बैंक ₹500 और HDFC बैंक ₹450 तक की पेनल्टी वसूल सकता है। इसके अलावा, बैंक लेट पेमेंट चार्ज (late payment fees) भी लगाते हैं।
- HDFC Bank की बात करें तो, वे ओवरड्यू इंस्टॉलमेंट अमाउंट का 1.50% प्रति महीना + टैक्स चार्ज कर सकते हैं। आमतौर पर, बैंक ड्यू डेट के 7 दिन का ग्रेस पीरियड (grace period) देते हैं। यदि इस अवधि में भी EMI नहीं चुकाई जाती है, तो लेट पेमेंट फीस लगनी तय है।
- इसी तरह, ICICI Bank ओवरड्यू पर्सनल लोन (Personal Loan) EMI पर 5% सालाना लेट पेमेंट फीस ले सकता है। ये अतिरिक्त चार्जेज़ आपके लोन की कुल लागत को बढ़ा देते हैं।
2. क्रेडिट स्कोर का सत्यानाश: भविष्य के लिए लोन मिलना होगा बेहद मुश्किल!
आरबीआई के दिशानिर्देशों (RBI New Guidelines) के अनुसार, यदि आप पर्सनल लोन EMI भुगतान में देरी करते हैं, तो बैंकों को हर 15 दिन में इसकी सूचना क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियों (Credit Information Companies – CICs) को देनी होती है। यह जानकारी आपकी क्रेडिट रिपोर्ट (Credit Report) में भी दिखाई देती है, जिसका सीधा असर आपके क्रेडिट स्कोर (Credit Score) पर पड़ता है।
- लोन EMI और क्रेडिट कार्ड (credit card) देनदारी का समय पर पेमेंट ही आपके क्रेडिट स्कोर की गणना में सबसे ज़्यादा महत्व रखता है। ऐसे में, जब आपकी लोन EMI डिफॉल्ट होती है, तो आपका क्रेडिट स्कोर खराब होना तय है।
- भले ही आप बाद में अपनी EMI चुका दें, लेकिन आपके क्रेडिट स्कोर की रिकवरी बहुत धीमी होती है। एक खराब क्रेडिट स्कोर भविष्य में नया लोन, क्रेडिट कार्ड या यहां तक कि बेहतर ब्याज दर पर लोन मिलना भी लगभग नामुमकिन बना देता है।
क्रेडिट स्कोर की अहमियत समझें:
कैटेगरी | वैटेज (महत्व) |
पेमेंट हिस्ट्री | 35% |
बकाया राशि (कर्ज) | 30% |
क्रेडिट हिस्ट्री की लंबाई | 15% |
नए कर्ज के लिए आवेदन | 10% |
क्रेडिट मिक्स | 10% |
क्रेडिट स्कोर का पैमाना:
क्रेडिट स्कोर रेंज | क्रेडिट रेटिंग |
750 से 900 | बहुत बढ़िया |
650 से 750 | बढ़िया |
550 से 650 | एवरेज |
300 से 550 | खराब |
3. रिकवरी एजेंट्स का दरवाज़े पर दस्तक: मुश्किल बढ़ सकती है!
पर्सनल लोन EMI डिफॉल्ट (EMI Default) होने पर बैंक आपको SMS, ईमेल्स, WhatsApp, और कॉल्स के ज़रिए लगातार पेमेंट रिमाइंडर भेजते हैं। अगर आप एक तय समय तक भी भुगतान नहीं करते हैं, तो यह केस रिकवरी डिपार्टमेंट (recovery department) या किसी बाहरी रिकवरी एजेंसी को सौंप दिया जाता है। इसके बाद, रिकवरी एजेंट्स (recovery agents) आपसे संपर्क करेंगे और लोन की वसूली के लिए आपके घर या ऑफिस भी आ सकते हैं। यह स्थिति काफी तनावपूर्ण हो सकती है।
4. गारंटर की बढ़ेगी परेशानी: आपकी गलती की सज़ा उसे भी मिलेगी!
अगर आपके लोन में कोई गारंटर (Guarantor) है या कोई सह-आवेदक (Co-applicant) है, तो उसकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। बैंक लोन चुकाने के लिए गारंटर से संपर्क करेगा। यदि आप लोन नहीं चुकाते हैं, तो लोन चुकाना गारंटर का कानूनी दायित्व (legal liability) बन जाता है। अगर गारंटर भी भुगतान नहीं करता है, तो क्रेडिट ब्यूरो (credit bureau) को इसकी सूचना दी जाएगी, और ऐसे में दोनों (आप और गारंटर) का क्रेडिट स्कोर खराब हो जाएगा।
5. लीगल एक्शन की तलवार: कोर्ट-कचहरी के चक्कर!
जब ग्राहक कई रिमाइंडर (reminder) भेजने के बाद भी लोन नहीं चुकाता है, तो बैंक कानूनी नोटिस (bank legal notice) भेज सकता है। यदि लोन में गारंटर है, तो उसे भी नोटिस भेजा जाएगा। यदि आप नोटिस का जवाब नहीं देते हैं या भुगतान नहीं करते हैं, तो बैंक आपके खिलाफ वसूली का मुकदमा (recovery suit) दायर कर सकता है। यह स्थिति आपको कानूनी पचड़ों में डाल सकती है।
याद रखें: जब आप पर्सनल लोन (personal loan) में डिफॉल्ट करते हैं, तो यह जानकारी क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियों (CICs) के पास दर्ज हो जाती है और आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में सालों तक बनी रहती है। इससे भविष्य में नया लोन या क्रेडिट कार्ड (credit card) मिलना बेहद मुश्किल हो जाता है। यदि आपको लोन मिल भी जाता है, तो उसकी ब्याज दरें (interest rates) काफी अधिक होंगी। जब तक आप उचित सुधारात्मक कदम नहीं उठाते, डिफॉल्ट (Default) की यह नकारात्मक जानकारी आपकी क्रेडिट रिपोर्ट से आसानी से नहीं हटेगी।