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Join Now8th Pay Commission: एक करोड़ से अधिक केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का इंतजार अब अपने चरम पर है। सभी की निगाहें आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की सिफारिशों पर टिकी हैं, जो उनके वेतन और पेंशन में भारी बढ़ोतरी का वादा करती हैं। सरकार ने इसी साल जनवरी में आयोग के गठन की घोषणा तो कर दी थी, लेकिन इसकी प्रक्रिया उम्मीद से कहीं ज्यादा धीमी चल रही है। अब तक न तो समिति का विधिवत गठन हुआ है और न ही इस संबंध में कोई ठोस चर्चा ही शुरू हुई है। यह सरकारी कर्मचारियों के लिए नवीनतम अपडेट है, जो भविष्य की वित्तीय सुरक्षा की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
यह देरी चिंता का विषय इसलिए भी है क्योंकि सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की अवधि दिसंबर 2025 में समाप्त होने वाली है। ऐसे में, सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों (pensioners) को एक जनवरी 2026 से नए वेतन आयोग के तहत बढ़ी हुई सैलरी मिलने की पूरी उम्मीद थी। हालांकि, अब तक की धीमी रफ्तार को देखते हुए, इन उम्मीदों पर पानी फिरने की आशंका गहरा गई है। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, आठवां वेतन आयोग (8th Pay Commission) संभवतः वित्त वर्ष 2027 में ही लागू हो पाएगा, जिससे कर्मचारियों को दो साल का इंतजार और करना पड़ सकता है। यह वेतन वृद्धि का इंतजार काफी लंबा खिंचता दिख रहा है।
क्या है 8वें वेतन आयोग का अनुमान? जानें कितना होगा इजाफा!
एंबिट कैपिटल की एक हालिया रिपोर्ट ने इस मामले में कुछ रोशनी डाली है। रिपोर्ट के अनुसार, 8वां वेतन आयोग सरकारी वेतन और पेंशन में 30-34% तक की वृद्धि कर सकता है। यह कर्मचारियों के लिए एक बहुत बड़ी राहत की खबर है, जो बढ़ती महंगाई के दौर में अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना चाहते हैं। हालांकि, जैसा कि पहले बताया गया है, यह वेतन वृद्धि वित्त वर्ष 2027 से पहले लागू होने की संभावना नहीं है। इस देरी का सबसे बड़ा कारण यह है कि हालांकि केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग की घोषणा जनवरी में की थी, लेकिन जुलाई 2025 तक इसके अध्यक्ष, सदस्यों या संदर्भ की शर्तों (Terms of Reference) के बारे में कोई भी विवरण जारी नहीं किया गया है। यह सरकारी पेंशनभोगियों के लिए भी चिंता का विषय है।
सातवें वेतन आयोग में भी लगा था काफी समय! जानें प्रक्रिया क्या है?
यह कोई पहली बार नहीं है कि वेतन आयोग की स्थापना से लेकर उसकी सिफारिशों के वास्तविक कार्यान्वयन तक में इतना समय लग रहा है। यदि हम पिछले उदाहरणों पर नजर डालें, तो सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) का गठन फरवरी 2014 में हुआ था, लेकिन इसकी सिफारिशें जनवरी 2016 से लागू हो पाईं। इसमें लगभग दो साल का समय लगा था। एक वेतन आयोग के सदस्यों को अपनी रिपोर्ट और विस्तृत सिफारिशें जमा करने के लिए आमतौर पर 18 महीने का समय दिया जाता है। इसके बाद, केंद्र सरकार (Central Government) इन सिफारिशों की एक गहन समीक्षा करती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे आर्थिक रूप से व्यवहार्य हैं और सरकारी कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखती हैं। यह पूरी प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल होती है। केंद्रीय बजट भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सैलरी में 34 प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना, पर कैसे?
एक प्रमुख रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से बताया गया है कि केंद्रीय बजट (Central Budget) 2025-26 में आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के लिए कोई विशेष बजटीय आवंटन (Budgetary Allocation) की घोषणा नहीं की गई थी। रिपोर्ट के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि यदि वेतन और पेंशन में अनुमानित 30-34% की बढ़ोतरी लागू की जाती है, तो सरकार को इसके लिए अतिरिक्त 1.8 ट्रिलियन रुपये की आवश्यकता होगी। यह एक बहुत बड़ी राशि है, और ऐसे में यह उम्मीद की जा सकती है कि अगले केंद्रीय बजट में इस संबंध में कुछ बड़े ऐलान किए जा सकते हैं। जो लोग इस प्रक्रिया को गहराई से समझते हैं, उनका मानना है कि यदि वेतन आयोग के लागू होने में देरी होती है, तो कर्मचारियों को एरियर (Arrears) के रूप में एक बड़ी रकम मिल सकती है, जो उनकी मेहनत का मुआवजा होगा। यह सरकारी नौकरी करने वालों के लिए एक अच्छी खबर हो सकती है।
8वें वेतन आयोग का इंतजार और इंतजार, पर क्यों?
इस देरी के कई कारण हो सकते हैं। पहला, सरकार शायद देश की आर्थिक स्थिति का जायजा ले रही होगी ताकि वह एक ऐसी रिपोर्ट तैयार कर सके जो आर्थिक रूप से टिकाऊ हो। दूसरा, विभिन्न विभागों के बीच समन्वय और सिफारिशों पर अंतिम निर्णय लेने में भी समय लग सकता है। बहरहाल, कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को धैर्य बनाए रखने की सलाह दी जाती है। यह सरकारी वेतनमान में एक बड़ा बदलाव लाएगा और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाएगा।