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Join NowCDS: भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने देश की आंतरिक स्थिरता और सुरक्षा को लेकर एक अहम चेतावनी जारी की है। उन्होंने चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ते आपसी सहयोग को भारत के लिए एक गंभीर चुनौती बताया है। CDS चौहान के अनुसार, इन तीनों देशों के साझा हित भारत की सुरक्षा व्यवस्था के लिए नई जटिलताएं पैदा कर सकते हैं।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में बांग्लादेश में हुए राजनीतिक बदलावों के बाद भारत और बांग्लादेश के संबंधों में भी कुछ खटास देखी गई है। गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त 2024 में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाए जाने के बाद भारत में शरण लेनी पड़ी थी।
चीन-पाकिस्तान-बांग्लादेश की तिकड़ी: भारत के लिए क्या है खतरा?
गुरुवार, 10 जुलाई 2025 को ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) द्वारा आयोजित एक प्रतिष्ठित समारोह में अपना संबोधन देते हुए, CDS जनरल अनिल चौहान ने कहा, “हम चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अपने-अपने हितों की पूर्ति के लिए संभावित रूप से एक साथ आने की बात कर सकते हैं, जिसका भारत की स्थिरता और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।” यह बयान स्पष्ट रूप से भारत के लिए भू-राजनीतिक (Geopolitical) स्तर पर एक महत्वपूर्ण चेतावनी है।
हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में बाहरी ताकतों का बढ़ता प्रभाव:
CDS चौहान ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region/IOR) में आर्थिक चुनौतियों का फायदा उठाकर बाहरी ताकतें अपना प्रभाव बढ़ा रही हैं। उन्होंने कहा, “हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) ने ऋण कूटनीति (Debt Diplomacy) के माध्यम से बाहरी ताकतों को अपना प्रभाव जमाने का मौका दे दिया है, और इसने भारत के लिए कई चिंताएं पैदा कर दी हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि दक्षिण एशिया (South Asia) में लगातार बदल रहे भू-राजनीतिक समीकरण और सरकारों में बार-बार होने वाले बदलाव भी एक बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। यह स्थिति क्षेत्र में अस्थिरता को बढ़ा सकती है, जिसका सीधा असर भारत की आंतरिक सुरक्षा (Internal Security) और स्थिरता (Stability) पर पड़ सकता है।
भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’:
जनरल अनिल चौहान ने भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सैन्य तनाव (Military Tension) का भी जिक्र किया। उन्होंने 7 से 10 मई के बीच हुई घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि यह शायद पहली बार था जब दो परमाणु हथियार संपन्न देश (Nuclear-armed Countries) सीधे टकराव की स्थिति में आए थे। उन्होंने दोहराया कि भारत किसी भी परमाणु हमले की गीदड़भभकी से डरने वाला नहीं है (Not afraid of any nuclear blackmail)। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए इसे दो परमाणु देशों के बीच सैन्य तनाव का एकमात्र उदाहरण बताया।
CDS का यह बयान क्षेत्रीय सुरक्षा (Regional Security) और भारत की विदेश नीति (India’s Foreign Policy) के संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण है। चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ता सैन्य और आर्थिक सहयोग, और अब बांग्लादेश के साथ उनके संभावित तालमेल की ओर CDS का इशारा, भारत के लिए एक नई सुरक्षा चुनौती पेश करता है।
भारत की प्रतिक्रिया और भविष्य की चुनौतियाँ:
भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय इन भू-राजनीतिक विकासों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। CDS का यह बयान भविष्य में भारत की रक्षा रणनीति और पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को लेकर महत्वपूर्ण संकेत देता है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और बांग्लादेश के साथ चीन के बढ़ते आर्थिक संबंध, भारत के लिए रणनीतिक चिंता का विषय रहे हैं।
CDS चौहान की यह टिप्पणी भारत के लिए एक अलर्ट कॉल है, जो पड़ोसी देशों के साथ रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने और अपनी रक्षा तैयारियों (Defence Preparedness) को और बेहतर बनाने की आवश्यकता पर जोर देती है।