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Join NowNDA: क्या आप 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मैदान में नए समीकरणों के बनने की उम्मीद कर रहे हैं? ऐसे में एनडीए (NDA) की सहयोगी, निषाद पार्टी (Nishad Party), एक बार फिर से अपने से संबंधित जातियों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर चर्चा में आ गई है। पार्टी के दफ्तर के बाहर लगाए गए पोस्टरों में इस जातिगत आरक्षण की मांग को प्रमुखता से उठाया गया है। इस राजनीतिक दांव-पेच के बीच, पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने विश्वास जताया है कि सरकार जल्द ही इस मांग को पूरा करेगी। यह स्थिति राजनीतिक दलों के गठबंधन (political party alliances) और चुनावी वादों (election promises) पर आधारित है।
6 साल के साथ के बाद भी अधूरी मांगें: बीजेपी के लिए सिरदर्द?
दरअसल, निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद लंबे समय से अपने समुदाय की जातियों को पिछड़ा वर्ग (OBC) से अनुसूचित जाति (SC) में आरक्षण दिलाने की मांग उठा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भी समय-समय पर इस बारे में वादे किए हैं, लेकिन भाजपा के साथ करीब 6 साल का लंबा गठबंधन होने के बावजूद यह मांग अभी तक पूरी नहीं हुई है। यह स्थिति भाजपा के लिए एक चुनावी चुनौती बन सकती है, खासकर जब 2024 के लोकसभा चुनाव में निषाद वोट बैंक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह मुद्दा एक नया मोड़ ले सकता है।
आरक्षण की मांग पर संजय निषाद का बड़ा बयान: 2024 में हुए नुकसान का ज़िक्र!
इस मामले पर ABP न्यूज़ से बातचीत में संजय निषाद ने कहा कि केवट, मल्लाह, बिंद, रैकवार, बाथम, मांझी जैसी जातियों को पिछड़ा वर्ग (OBC) के आरक्षण के बजाय मझवार (Majhwar) के रूप में SC आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस आरक्षण के लागू न होने के कारण, इन जातियों ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी नाराजगी वोट के माध्यम से व्यक्त की थी, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय जनता पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। यह बयान सीधा इशारा करता है कि कैसे जातीय समीकरण उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं, खासकर जातिगत जनगणना और आरक्षण की राजनीति के दौर में।
संजय निषाद ने आगे कहा, “हम भारतीय जनता पार्टी के मित्र हैं और भाजपा अपने मित्रों का ख्याल रखती है।” उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि भाजपा यह आरक्षण 2027 के चुनाव से पहले जरूर जारी करेगी। निषाद पार्टी के दफ्तर पर लगे पोस्टरों के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने बस इतना कहा कि उम्मीद है सरकार इस आरक्षण को जल्द लागू करेगी। यह ‘मिशन 2027’ के लिए पार्टी की रणनीतिक तैयारी का हिस्सा लगता है, जहाँ वे अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाए रखेंगे।
‘कोटा में कोटा’ पर घमासान: राजभर की मांग पर संजय निषाद की प्रतिक्रिया!
ओम प्रकाश राजभर (OP Rajbhar) द्वारा ‘कोटा में कोटा’ (quota within quota) के आरक्षण की मांग पर, संजय निषाद ने अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि राजभर को ऐसी मांग नहीं करनी चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि राजभर समाज के लोग भी SC आरक्षण की मांग करते हैं, और राजभर पार्टी का गठन भी इसी मांग को पूरा करने के लिए हुआ था। इसलिए, “कोटा में कोटा” की मांग करना उनके अपने समाज के साथ अन्याय करने जैसा है। यह बयान अन्य पिछड़े वर्गों के बीच चल रही आरक्षण संबंधी बहसों में एक नई दरार पैदा करता है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी बिहार चुनाव में भी अपनी दावेदारी पेश करेगी और भाजपा को बिहार में जिताने का काम करेगी। यह दिखाता है कि निषाद पार्टी की नज़र केवल उत्तर प्रदेश पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी पकड़ मजबूत करने पर है।
यह स्थिति स्पष्ट रूप से दिखाती है कि उत्तर प्रदेश में जातीय राजनीति और आरक्षण की मांगें एक बार फिर चुनाव पूर्व समीकरणों को प्रभावित कर रही हैं, और निषाद पार्टी इस बार अपने हितों को साधने के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है।