CIBIL Score: सरकारी नौकरी पाने का सपना देख रहे हैं? तो ठहरिए! क्या आपने कभी अपने सिबिल स्कोर (CIBIL Score) या क्रेडिट स्कोर के बारे में सोचा है? आपको यह जानकर हैरानी होगी, लेकिन सरकारी नौकरी या बैंकिंग सेक्टर में अप्लाई करते समय आपका सिबिल स्कोर देखना अब बेहद ज़रूरी हो गया है। हाल ही में, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के एक ऐसे फैसले ने देशभर में हलचल मचा दी, जब उन्होंने खराब सिबिल स्कोर के कारण एक आवेदक पी. कार्तिकेयन का नियुक्ति पत्र (Appointment Letter) ही रद्द कर दिया। यह घटना साफ संकेत देती है कि आपके क्रेडिट हेल्थ का आपके प्रोफेशनल करियर और सरकारी नौकरी की संभावनाओं पर सीधा और महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, सुनिश्चित करें कि आपका सिबिल स्कोर अच्छा और बेदाग हो, अन्यथा कड़ी मेहनत के बाद भी आपको नियुक्ति मिलने के बाद भी अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।
इस सनसनीखेज मामले में, जब पी. कार्तिकेयन ने एसबीआई के इस कदम के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में अपील की, तो मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने भी एसबीआई के फैसले को सही ठहराते हुए शिकायतकर्ता की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट का यह निर्णय वित्तीय अनुशासन के महत्व और नौकरी की पात्रता को नए सिरे से परिभाषित करता है।
SBI ने अप्वाइंटमेंट लेटर जारी करने के बाद नियुक्ति क्यों रद्द की?
यह मामला तब शुरू हुआ जब जुलाई 2020 में भारतीय स्टेट बैंक ने CBO (Chief Business Officer) पद के लिए एक भर्ती विज्ञापन जारी किया था। पी. कार्तिकेयन ने इस सरकारी भर्ती विज्ञापन के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन किया और अपनी योग्यता साबित करने के लिए सभी आवश्यक परीक्षाएं सफलतापूर्वक पास कर लीं। इन सफलताओं के बाद, एसबीआई ने 12 मार्च, 2021 को उन्हें विधिवत नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिया था, जिसे एक शुभ संकेत माना जा रहा था। हालांकि, अप्रत्याशित रूप से, सिर्फ कुछ हफ्तों बाद ही, 9 अप्रैल, 2021 को एसबीआई ने आवेदक की नियुक्ति को रद्द करने का फरमान सुना दिया। बैंक ने अपने इस चौंकाने वाले कदम के पीछे का कारण बताते हुए कहा कि उन्होंने कार्तिकेयन की सिबिल रिपोर्ट (CIBIL Report) में “वित्तीय अनुशासन की गंभीर कमियां” पाई थीं, जिनके आधार पर यह नियुक्ति रद्द की गई। यह स्पष्ट करता है कि बैंक कर्मचारी चयन में क्रेडिट हिस्ट्री चेक को कितनी गंभीरता से ले रहा है।
शिकायतकर्ता ने अपनी याचिका में क्या कहा?
एसबीआई के इस कड़े फैसले से आहत होकर, पी. कार्तिकेयन ने मद्रास हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और बैंक के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए एक रिट याचिका दाखिल की। याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में जोर देकर कहा कि बैंक द्वारा विज्ञापन जारी करने की तारीख तक उसके ऊपर कोई लोन पेंडिंग (Loan Pending) नहीं था, और उन्होंने अपने सभी पूर्व के लोन समय पर चुका दिए थे। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि उन्हें सिबिल सहित किसी भी क्रेडिट एजेंसी ने कभी भी डिफॉल्टर (Defaulter) घोषित नहीं किया था, ऐसे में एसबीआई का फैसला गलत और अन्यायपूर्ण है। उनकी दलील थी कि उन्होंने कर्ज चुकाना पूरा कर लिया था, तो फिर यह निर्णय अनुचित कैसे?
एसबीआई का पक्ष: विज्ञापन की शर्तें क्यों थीं महत्वपूर्ण?
भारतीय स्टेट बैंक ने मद्रास हाई कोर्ट में अपने फैसले का दृढ़ता से बचाव किया। बैंक ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपने भर्ती विज्ञापन की धारा 1(E) में ही यह शर्त स्पष्ट रूप से बताई थी। इस धारा के मुताबिक, अगर किसी भी आवेदक के नाम पर लोन या क्रेडिट कार्ड पेमेंट (Credit Card Payment) में चूक हो, या सिबिल या किसी अन्य क्रेडिट एजेंसी से खराब रिपोर्ट (Bad Report) हो, तो वे सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं माने जाएंगे। बैंक ने जोर देकर कहा कि नौकरी के लिए निकाले गए विज्ञापन में इस शर्त को बहुत स्पष्ट रूप से और पारदर्शी तरीके से उल्लेखित किया गया था, जिसका अर्थ है कि आवेदक को इन पात्रता मानदंडों के बारे में पहले से पता होना चाहिए था। यह भर्ती नियम हर उम्मीदवार पर लागू होते हैं।
मद्रास हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: वित्तीय अनुशासन की नई परिभाषा!
मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस एन. माला ने पी. कार्तिकेयन की याचिका पर गहन सुनवाई की। कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया कि ऋण चुकाना ही पर्याप्त नहीं है; बल्कि पूरे ऋण अवधि में आवेदक का पुनर्भुगतान रिकॉर्ड (Repayment Record) भी बेदाग और त्रुटिहीन होना चाहिए। जस्टिस एन. माला ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि “किसी भी प्रकार की खराब सिबिल रिपोर्ट अस्वीकार्य है,” विशेष रूप से जब बात संवेदनशील क्षेत्रों जैसे बैंकिंग और वित्त में सरकारी नौकरियों की आती है।
कोर्ट ने यह भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण और दूरगामी फैसला सुनाया: एक बार जब कोई आवेदक भर्ती विज्ञापन की शर्तों के आधार पर किसी सरकारी पद के लिए आवेदन करता है, तो बाद में उन शर्तों को कानूनी रूप से चुनौती नहीं दी जा सकती। इस मद्रास हाई कोर्ट के फैसले ने सभी सरकारी नौकरी उम्मीदवारों के लिए वित्तीय अनुशासन की अहमियत और आवेदन की शर्तों का गंभीरता से पालन करने के महत्व को रेखांकित किया है। यह न्यायिक फैसला भारत में रोजगार और वित्तीय जिम्मेदारी के संदर्भ में एक मिसाल बन गया है, जिससे भविष्य में अन्य सरकारी विभागों को भी प्रेरणा मिलेगी। यह एक स्पष्ट संकेत है कि आपके क्रेडिट स्वास्थ्य का आपके नौकरी पाने पर सीधा और गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, अपनी क्रेडिट हिस्ट्री को हमेशा साफ और मजबूत रखें।