8th Pay Commission: केंद्र सरकार के लगभग 35 लाख सरकारी कर्मचारियों (sarkari karmachari) और 67 लाख पेंशनधारकों (pensiondharko) की निगाहें आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) पर टिकी हुई हैं। हर दस साल में गठित होने वाला यह आयोग उनके वेतन (salary) और पेंशन (pension) में महत्वपूर्ण वेतन वृद्धि (vetan vriddhi) लाता है। हालांकि, आठवें वेतन आयोग 2025 (8th Pay Commission 2025) में लागू होने की जो उम्मीदें थीं, वे अब आठवें वेतन आयोग में देरी (8th pay commission delay) की खबरों के कारण धूमिल होती दिख रही हैं। यह स्थिति न केवल वित्तीय योजनाओं पर असर डालती है, बल्कि कर्मचारियों और पेंशनरों के बीच एक अनिश्चितता का माहौल भी पैदा करती है। सवाल यह है कि नया वेतन आयोग (naya vetan ayog) कब गठित होगा और वेतन और पेंशन में कितनी बढ़ोतरी (vetan aur pension mein kitni badhotri) देखने को मिलेगी? इस पर चर्चा गरम है, पर फिलहाल जवाब सिर्फ इंतजार है।
वर्तमान स्थिति और गठन में अभूतपूर्व देरी:
आठवें वेतन आयोग की ताजा खबर (8th Pay Commission news) के अनुसार, इसकी सिफारिशें आदर्श रूप से जनवरी 2026 से लागू होनी चाहिए। परन्तु, चिंता का सबसे बड़ा विषय यह है कि अभी तक केंद्र सरकार द्वारा आठवें वेतन आयोग के गठन (formation of 8th pay commission) की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। विभिन्न कर्मचारी संगठनों (karmachari sangathan) ने सरकार से इस प्रक्रिया में तत्काल हस्तक्षेप करने और जल्द से जल्द आयोग का गठन करने का पुरजोर आग्रह किया है। उनका मानना है कि इससे केंद्रीय कर्मचारियों (central government employees) और पेंशनभोगियों के मन में भविष्य को लेकर व्याप्त शंकाएं दूर होंगी और उन्हें अपनी वित्तीय योजना बनाने में मदद मिलेगी। यह देरी अप्रत्याशित है, खासकर जब सातवें वेतन आयोग (7th pay commission) के कार्यान्वयन को कई वर्ष बीत चुके हैं।
सातवें वेतन आयोग का उदाहरण और समय-सीमा:
यह समझना महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार प्रत्येक दशक में अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक नया वेतन आयोग (new pay commission for central government employees) बनाती है और फिर उसकी सिफारिशों को अमल में लाती है। सातवें वेतन आयोग (7th pay commission) की सिफारिशें जनवरी 2016 में प्रभावी हुई थीं। उस सातवें वेतन आयोग का गठन (formation of 7th pay commission) फरवरी 2014 में किया गया था, और आयोग ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट 19 नवंबर 2015 को सरकार को सौंप दी थी। इस बार, आठवें वेतन आयोग (eighth pay commission) के अपेक्षित कार्यान्वयन में केवल छह महीने से कुछ अधिक का समय शेष रहते हुए भी, न तो आयोग का विधिवत गठन हुआ है और न ही इसके टर्म्स ऑफ रेफरेंस (term of reference – TOR) यानी कार्यक्षेत्र और विचारणीय बिंदु तय किए गए हैं। यह स्थिति प्रक्रिया की धीमी गति को दर्शाती है और सरकारी कर्मचारियों के लिए अगला वेतन आयोग (next pay commission for central government employees) की प्रतीक्षा को और लंबा करती है।
सिफारिशें आने में लगने वाला अपेक्षित समय:
मीडिया में चल रही खबरों और सूत्रों के मुताबिक, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी यह तो स्वीकार कर रहे हैं कि आठवें वेतन आयोग के संबंध में आंतरिक चर्चाएं चल रही हैं, लेकिन इसकी वर्तमान गति को देखते हुए यह लगभग निश्चित माना जा रहा है कि 1 जनवरी 2026 से इसे लागू करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण होगा, यदि असंभव नहीं। यदि अगले कुछ दिनों या हफ्तों में आयोग के गठन और उसके टर्म्स ऑफ रेफरेंस (TOR) की घोषणा हो भी जाती है, तो पिछला अनुभव यही बताता है कि प्रत्येक वेतन आयोग को अपनी विस्तृत सिफारिशें तैयार करने और सरकार को सौंपने में सामान्यतः डेढ़ से दो साल का समय लगता है। यदि आठवां वेतन आयोग भी इसी ऐतिहासिक गति से चलता है (8th pay commission delay), तो इसकी सिफारिशें 2026 के अंत या फिर 2027 की शुरुआत में ही आ पाएंगी, जिसका सीधा असर वेतन वृद्धि (salary increase) के प्रभावी होने पर पड़ेगा। पेंशन धारक (pension holders) भी इस देरी से चिंतित हैं क्योंकि उनकी पेंशन भी इसी आयोग की सिफारिशों पर निर्भर करती है।
फिटमेंट फैक्टर: वेतन वृद्धि की कुंजी:
वेतन आयोग (Pay Commission) की सिफारिशों में जिस एक पहलू पर सभी की नजरें टिकी होती हैं, वह है फिटमेंट फैक्टर (fitment factor)। यह फिटमेंट फैक्टर ही वह जादुई चाबी है जो पुराने मूल वेतन (basic salary) को नए मूल वेतन (new basic salary) में परिवर्तित करता है। कर्मचारी के मौजूदा पुराने बेसिक वेतन को इस फिटमेंट फैक्टर से गुणा करने पर उनका नया बेसिक वेतन (new basic salary after pay commission) निर्धारित होता है। उदाहरण के लिए, सातवें वेतन आयोग (saatvan vetan ayog) ने फिटमेंट फैक्टर 2.57 तय किया था। इसके परिणामस्वरूप, केंद्र सरकार कर्मचारी (central government staff) का न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये से सीधे बढ़कर 18,000 रुपये हो गया था, जो एक बड़ी उछाल थी।
आठवें वेतन आयोग में संभावित फिटमेंट फैक्टर और वेतन अनुमान:
अब सभी की उत्सुकता इस बात पर है कि आठवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर कितना होगा (fitment factor in 8th pay commission)। विभिन्न कर्मचारी संगठनों और वेतन मामलों के विशेषज्ञों का प्रारंभिक अनुमान है कि इस बार फिटमेंट फैक्टर (latest fitment factor news) 2.5 से लेकर 2.86 के बीच रह सकता है। यदि यह अनुमान सही साबित होता है, तो इसके आधार पर न्यूनतम सरकारी नौकरी वेतन (sarkari naukri vetan) 40,000 रुपये से 45,000 रुपये के बीच हो सकता है। और यदि सरकार और उदारता दिखाते हुए फिटमेंट फैक्टर 2.86 पर मुहर लगाती है, तो न्यूनतम मूल वेतन (minimum basic salary) प्रभावशाली रूप से 51,000 रुपये तक पहुंच सकता है। इसकी तुलना में, छठे वेतन आयोग (6th pay commission) के समय फिटमेंट फैक्टर 1.86 निर्धारित किया गया था, और तब न्यूनतम बेसिक सैलरी (basic salary) 2,750 रुपये से बढ़कर 7,000 रुपये हुआ था। आठवें वेतन आयोग की खबर (8th pay commission news) में यह सबसे महत्वपूर्ण पहलू रहेगा।
स्पष्ट रूप से, आठवें वेतन आयोग के लागू होने की तारीख (8th pay commission implementation date) अभी अनिश्चित है और इसमें और देरी की संभावना प्रबल है। सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन वृद्धि (salary hike for government employees) और पेंशनभोगियों के लिए पेंशन में बढ़ोतरी (pension hike for pensioners) का इंतजार फिलहाल जारी रहेगा। जब तक सरकार आठवें वेतन आयोग का गठन (8va vetan ayog gathan) नहीं करती और उसके टर्म्स ऑफ रेफरेंस तय नहीं करती, तब तक इस पर केवल अटकलें ही लगाई जा सकती हैं। लाखों केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी सरकार से इस दिशा में शीघ्र कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि उनकी वित्तीय भविष्य की योजनाओं को लेकर स्पष्टता आ सके और उनकी आर्थिक स्थिति (arthik sthiti) में सुधार हो। अगला वेतन आयोग (agla vetan ayog) निश्चित रूप से एक बड़ा बदलाव लाएगा, लेकिन आठवां वेतन आयोग कब आएगा (8th pay commission kab aayega), यह अभी भी एक बड़ा प्रश्न है।